मनोज जोशी चंडीगढ़ : 7 दिसंबर 1905 को महान क्रांतिकारी श्री लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी ने आंदोलन चलाया था, जिसमें सभी विदेशी कपड़ों को जलाया गया था और सभी कार्यकर्ता विदेशी दुकानों के बाहर आंदोलन चलाते थे। जो भी व्यक्ति विदेशी कपड़े या सामान लेने आता थे उससे निवेदन करते थे कि आप विदेशी वस्तु ना खरीदें। उस समय चीनी तक विदेशों से आती थी, और भारतीय चीनी का प्रयोग चाय पीने के लिए करते थे ।
भारत मां के सपूतों ने आंदोलन के बाद चीनी का प्रयोग बंद कर दिया, और गुड़ का प्रयोग करने लगे और उस समय अंग्रेजों का एक ब्लेड आता था उस ब्लेड का भी बहिष्कार किया गया दुकानों में नाइयों ने उस्तरा बनाना शुरू किया और उस्तरा से दाढ़ी काटने लगे इस तरह से विदेशियों का बहिष्कार किया गया उस समय अंग्रेजों के देश से 60 से 70 तरह की वस्तुएं आती थी । जब हम गुलाम थे तब भारत मां के सपूतों ने उन सब विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया। पर आज भी ही हम मानसिक गुलाम हैं।
मित्रों आज बेरोजगारी का मुख्य कारण विदेशी वस्तुएं हैं आज हम अपनी रोजाना इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएं ज्यादातर विदेशी होती हैं हमारी एक आदत बन चुकी है आज TV में जिस तरह से विदेशी वस्तु के बारे में बार बार झूठ दिखाते हैं उस झूठ को हम स्वीकार कर लेते हैं जो हमें दिखाई देता है उसे हम सही समझ कर इस्तेमाल करते हैं और यह कई बीमारियों का मुख्य कारण भी है पहले तो हम अंग्रेजो और मुगलों के हाथों मजबूरी में लूटते थे लेकिन आज लूटने के लिए खुद उनके पास जाते हैं और वह विदेशी कंपनी थोड़ी सी पूंजी लेकर आती है और बाकी सारी पूंजी भारत से लेकर अपने देश चले जाते हैं इसी तरह से आज भी हम गुलामी की मानसिकता में जिंदा है।
आज हमारे नवयुवक विदेशी वस्तुओं से बहुत प्रभावित होते हैं और उसका इस्तेमाल करते हैं और फिर बाद में भारत की सरकार को कोसते हैं कुछ दिन पहले मैंने एक युक्ति और दो युवकों को मैकडोनाल्ड में बहस करती भी सुना कि भारत में रोजगार नहीं है और भारत की सरकार रोजगार के लिए कोई काम नहीं कर रही है मुझे इस बात पर हंसी आई मैंने उनसे इस बारे में बातचीत की और उनसे कहा की आप जब तक अपने स्वदेशी सामान का आदर नहीं करेंगे तब तक हम बेरोजगार रहेंगे आज आप जिस तरह से सीसीडी बरिस्ता KFC विदेशी कॉफी हाउस में बैठकर भारत की सारी पूंजी विदेशों में भेज रहे हैं और आप रोजगार की बात कर रहे हैं रोजगार इस तरह से नहीं आएगा रोजगार बनाना पड़ेगा हम सब को भारत सरकार को कोसने से अच्छा है भारत के लिए कुछ काम करें जिस प्रकार से आप नीचे से लेकर ऊपर तक विदेशी कपड़ों में और आपके हाथ में विदेशी चाय और आप बात करते हैं रोजगार की सबसे पहले आप अपने अंदर सुधार ले कर आएं उसके बाद भारत सरकार के बारे में बात करें हम सभी को यह बात समझ नहीं पड़ेगी रोजगार बनाना पड़ता है।
अरे आप तो अपना सारा पैसा विदेशों में भेज रहे हो कहां से मिलेगा रोजगार आज भारत के लोग उसी मानसिकता में जिंदा है जो अंग्रेजो ने हमारे दिमाग में डाल कर गई थी क्लर्क कि एक नौकरी उससे आगे हम सोचते नहीं हैं आज हमारी मानसिकता सरकारी नौकरी की है और हम बात तो करते हैं देश की मगर खाते पीते विदेशी हैं भारत माता की जय तब तक नहीं हो सकता जब तक हम स्वदेशी चीजों को पूर्ण रूप से इस्तेमाल ना करें हमें स्वदेशी चीजें अपनी रोजाना की जिंदगी में इस्तेमाल करना चाहिए अगर भारत का पैसा भारत में रहेगा भारत उन्नति करेगा तो हमारी बेरोजगारी भी खत्म होगी
क्यों हम अपना रोजगार क्यों नहीं खोलते क्यों उसी मानसिकता में जिंदा हैं।
गुलामी से कब हम आजाद होंगे कब तक हमारी मुलाकातें परिवारिक कार्यक्रम विदेशी रेस्टोरेंट में होगी सीसीडी बटिस्टा मैकडोनाल्ड KFC त्याग कर दीजिए इन सब का क्यों हम यह सारी चीजें पीते हैं कोको कोला पेप्सी बहुत से नाम है क्यों नहीं इस्तेमाल करते हैं हम अपनी स्वदेशी चीजें आने वाली पीढ़ी को क्या कहेंगे आज हम आने वाली पीढ़ी का भविष्य अंधेरे में डाल रहे हैं इसका मुख्य कारण हमारी मुगलों के हाथों और अंग्रेजो के हाथों गुलामी है उस गुलामी से कब आजाद होंगे कब हम स्वदेशी अपनाएंगे आज हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए कि देश के लिए अगर हमें कुछ करना है।
अगर हमें बेरोजगारी मिटानी हैं 130 करोड़ की जनसंख्या वाला देश अगर अपनी बनाई हुई वस्तु का इस्तेमाल करें तो यह देश दुनिया का सबसे विकसित देश बन सकता है आज हम सबको इस बात का संकल्प लेना चाहिए कि हम विदेशी चीजों का बहिष्कार करेंगे स्वदेशी चीजों को अपनाएंगे मैं मनोज जोशी आज सब को इस बात के संकल्प लेने के लिए आह्वान करता हूं हम जो खाएंगे हम जो पहनेंगे हम जहां रहेंगे वह सब स्वदेशी होगा ना बेरोजगारी होगी और ना बीमारी होगी।
भारत माता की जय