ईश्वर क्या है❓
ईश्वर अखिल ब्रह्माण्डनायक सर्वव्यापी सर्वभूतान्तरात्मा एवं सर्व शक्तिमान् है ।
वेद किसे कहते हैं❓
अनादि अनन्त अपौरुषेय नियतानुपर्वी वह शब्दराशि जिससे धर्म – अर्थ – काम – मोक्ष पुरुषार्थ चतुष्टय जाने जाते हैं , उसे वेद कहते हैं ।
इनकी परम्परा सृष्टि के आरम्भ काल से बराबर चली आ रही है ।
गुरुओं के मुख से सुने जाने के कारण इसे श्रुति भी कहते हैँ ।
वेद चार हैं :-
ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद और अथर्ववेद ।
शाखा किसे कहते हैं❓
वेद के अंश को ही शाखा कहते हैं एवं संहिताओं के भेद को भी शाखा कहते हैं ।
सभी वेदों की 1.131 शाखा है ।
ऋग्वेद की 21 शाखाएँ है ।
आश्वालायनी , शांखायनी , शाकला , वाष्कला , माण्डुकेया प्रभृति हैं । इस समय भारतवर्ष में उत्तरी भारत में शाकला शाखा एवं दक्षिण भारत में वाष्कला शाखा की संहितायें मिलती है शेष लुप्त हैं ।
यजुर्वेद की कितनी शाखायें हैं❓
यजुर्वेद की 101 शाखाएँ हैं । उनमें 6 शाखाएँ मिलती हैं जिनके नाम हैं – तैत्तिरीय , मैत्रायणि , कठ , कापिष्ठल , श्वेताश्वतर ये कृष्ण यजुर्वेद की शाखाएँ हैं जो उपलब्ध हैं ।
शुक्ल यजुर्वेद की वाजसनेय , काण्व शाखाएँ उपलब्ध हैं शेष शाखाएँ लुप्त है ।
सामवेद की कितनी शाखाएँ है❓
साममवेद की 1000 एक हजार शाखाएँ हैं । जिनमें केवल 3 तीन शाखाएँ प्राप्त हैं शेष शाखाएँ लुप्त हैं ।
अथर्ववेद की कितनी शाखाएँ है❓
अथर्ववेद की 9 नव शाखाएँ हैं । जिनमें पैप्पलाद और शौनकीया प्राप्त हैं ।
ऋग्वेद की शाकल शाखा का विवरण बतायें❓
ऋग्वेद की शाकल शाखा 10 दस भागों में विभक्त है । जिन्हें मण्डल कहते हैं प्रत्येक मण्डल में कई सूक्त में कई ऋचाएँ हैं । कुल 1 , 028 एक हजार अठ्ठाईस सूक्त हैं । जिसमें 10 हजार 500 पाँच सौ ऋचाएँ है ।
यजुर्वेद का विवरण बतायें❓
यजुर्वेद 2 दो भागों में विभक्त हैं शुक्ल यजुर्वेद और कृष्ण यजुर्वेद । शुक्ल यजुर्वेद वाजसनेयमाध्यदिन संहिता में कुल 40 चालीस अध्याय हैं जिनमें यज्ञ संबन्धी ज्ञान का विस्तृत विवरण है ।
कृष्ण यजुर्वेद की तैत्तिरीयशाखा में कितने मन्त्र हैं❓
कृष्ण यजुर्वेद में 7 सात अष्टक , 44 चौवालीस प्रपाठक , 651 छः सौ एक्यावन अनुवाक और 2,198 दो हजार एक सौ अठ्ठावन मन्त्र समुह है ।
शुक्ल यजुर्वेद माध्यदिन शाखा में कितने मन्त्रादि हैं❓
शुक्ल यजुर्वेद माध्यदिन शाखा में 40 चालीस अध्याय 1 ,975 एक हजार नव सौ पचहत्तर मन्त्र तथा 90 , 535 नब्बे हजार पाँच सौ पैतीस अक्षर 1 , 230एक हजार दो सौ तीस सभी प्रकार के { – } धूं चिह्न हैं ।
सामवेद का विवरण बतायें❓
सामवेद की 1, 000 एक हजार शाखाओं में से कौथुमी शाखा में 29 उनतीस अध्याय हैं , 6 छः आर्चिक 88 अठ्ठासी साम , 1 , 824 एक हजार आठ सौ चौबीस मन्त्र हैं ।
राणायणी शाखा में 1 , 549 एक हजार पाँच सौ उननचास मंत्र हैं ।
अथर्ववेद के विवरण बतायेँ❓
अथर्ववेद की 9 नव शाखाएँ है जिसमें से शौनक शाखा में 20 बीस काण्ड , 34चौतीस प्रपाठक , 111 एक सौ ग्यारह अनुवाक , 733 सात सौ तैतीस वर्ग , 759 सात सौ उननचास सुक्त , 5 . 977 पाँच हजार नौ सौ सतहत्तर मन्त्र हैं । कुछ शाखाएँ ऐसी है जिनके आरण्यक , ब्राह्मण उपनिषद ही मिलते हैं मन्त्र भाग नहीं मिलते ।