सुरेश आर्य भट्ट, राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय हरित क्रांति सेना : आज अमर शहीद कनाई लाल दत्ता जी का जन्म दिवस है । इनका जन्म 30 अगस्त 1888 को हुगली में हुआ। 1905 ई. के ‘बंगाल विभाजन’ विरोधी आन्दोलन में कनाईलाल ने आगे बढ़कर भाग लिया तथा वे इस आन्दोलन के नेता सुरेन्द्रनाथ बनर्जी के भी सम्पर्क में आये।
बी.ए. की परीक्षा समाप्त होते ही कनाईलाल कोलकाता चले गए और प्रसिद्ध क्रान्तिकारी बारीन्द्र कुमार घोष के दल में सम्मिलित हो गए और यहाँ वे उसी मकान में रहते थे, जहाँ क्रान्तिकारियों के लिए अस्त्र-शस्त्र और बम आदि रखे जाते थे। अप्रैल, 1908 ई. में खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी ने मुजफ्फरपुर में किंग्सफ़ोर्ड पर आक्रमण किया। इस हमले में कनाईलाल दत्त, अरविन्द घोष, बारीन्द्र कुमार आदि पकड़े गये।
इनके दल का एक युवक नरेन गोस्वामी अंग्रेज़ों का सरकारी मुखबिर बन गया। कनाईलाल दत्त और सत्येन बोस ने नरेन गोस्वामी को जेल के अंदर ही अपनी गोलियों का निशाना बनाने का निश्चय किया। पहले सत्येन बीमार बनकर जेल के अस्पताल में भर्ती हुए, फिर कनाईलाल भी बीमार पड़ गये। सत्येन ने मुखबिर नरेन गोस्वामी के पास संदेश भेजा कि मैं जेल के जीवन से ऊब गया हूँ और तुम्हारी ही तरह सरकारी गवाह बनना चाहता हँ। मेरा एक और साथी हो गया, इस प्रसन्नता से नरेन्, सत्येन से मिलने जेल के अस्पताल जा पहुँचा। फिर क्या था, उसे देखते ही पहले सत्येन ने और फिर कनाईलाल दत्त ने उसे अपनी गोलियों से वहीं ढेर कर दिया।
दोनों पकड़ लिये गए और दोनों को मृत्युदंड मिला। कनाईलाल के फैसले में लिखा गया कि इसे अपील करने की इजाजत नहीं होगी। 10 नवम्बर, 1908 को मात्र 20 वर्ष की आयु में कनाईलाल कलकत्ता में फांसी के फंदे पर लटक कर शहीद हो गए। जेल में उनका वजन बढ़ गया था।फांसी का नाम सुनकर ही शायद किसी को नींद भी ना आये लेकिन फांसी के दिन जब जेल के कर्मचारी उन्हें लेने के लिए उनकी कोठरी में पहुँचे, उस समय कनाईलाल दत्त गहरी नींद में सोये हुए थे। ऐसे वीर सेनानी को शत शत नमन !