गुरु गोबिंदसिंह जी के छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह जी 7 वर्ष एवं साहिबजादा फतेह सिंह जी 5 वर्ष की सहीदी संसार मे एक मात्र ऐसी सहीदी हे जो धर्म की रक्षा के लिए दी गई होगी
सरसा नदी पर माता गुजरीजी जी से बिछुड़े पर साहिबजादे जोरावर सिंह एवं साहिबजादा फतेह सिंह जी गिरफ्तार कर लिए गए। उन्हें सरहंद के नवाब वजीर खाँ के सामने पेश कर माताजी के साथ ठंडे बुर्ज में कैद कर दिया गया और फिर कई दिन तक नवाब और काजी उन्हें दरबार में बुलाकर धर्म परिवर्तन के लिए कई प्रकार के लालच एवं धमकियाँ देते..
दोनों साहिबजादे गरज कर जवाब देते, ‘ हम अकाल पुर्ख (परमात्मा) और अपने गुरु पिताजी के आगे ही सिर झुकाते हैं, किसी ओर को सलाम नहीं करते। हमारी लड़ाई अन्याय, अधर्म एवं जुल्म के खिलाफ है। हम तुम्हारे इस जुल्म के खिलाफ प्राण दे देंगे लेकिन झुकेंगे नहीं।’ अत: वजीर खाँ ने उन्हें जिंदा दीवारों में चिनवा दिया।
आज “पंजाब जागा” ने गुरु गोबिंदसिंह के सात व पांच साल की उम्र के साहिबजादों की शहादत के दिन को बाल दिवस घोषित करने की मांग की है। इसके लिए आज से सभी कस्बों-शहरों से प्रशासन के मार्फत राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजे जाएंगे और मांग की जाएगी कि बाल दिवस का उपादेयता तय करने के लिए ऐसे बालकों की शहादत के दिन को चुना जाए, जिनके बलिदान जैसी मिसाल आज तक के इतिहास में कहीं नहीं मिलती।
पंजाब जागा ने छोटे साहिबजादों की शहादत को सम्मान देने के लिए इस घोषणा की जरूरत जताई है। उनके अनुसार इससे सभी सिख संगठन इत्तेफाक भी रखते हैं और इसे पूरा करवाने के लिए हर संभव प्रयास करने को भी तैयार हैं। वीर भारत के संयोजक नीरज ने सहमति देते हुए आज से सभी कस्बों-शहरों में सिख संगत को एकत्रित करते हुए बड़ी संख्या में हस्ताक्षरित ज्ञापन राष्ट्रपति के नाम प्रशासन को सौंपे जाएंगे। । इसे देशव्यापी आंदोलन बनाया जाएगा, ताकि बाल दिवस की महत्ता बने।
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