राहुल मिश्रा : हिंदुस्तान के देवतुल्य आदरणीय ब्राह्मणों से अनुरोध: युगों-युगों से चली आ रही ब्राह्मणों की देशभक्ति व स्वामिभक्ति की अटूट परम्परा एवं पूर्वजों द्वारा अत्यंत विषम परिस्थितियों में अर्जित ब्राह्मण वंश की कीर्ति को क्षणिक स्वार्थ के लोभ में आकर और ब्राह्मणवाद के आवेश में आकर कलंकित न करें। यदि कोई ब्राह्मण बंधु ग़लत मार्ग पर या देशद्रोहियों का समर्थन करने वाली पार्टी में चला गया है तो उसको सही रास्ता दिखाना हमारा दायित्व है, न कि उसके साथ-साथ अनुचित मार्ग पर चल देना।
महान् विद्वान् ब्राह्मण चाणक्य भी आपकी तरह ही क्षेत्रीय राजा के कुकर्मों से रुष्ट थे, लेकिन उन्होंने राष्ट्रहित को सर्वोपरि माना और चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया, न कि किसी ब्राह्मण को।ब्राह्मण, हाथी और कुत्ते को जाति का साथी नहीं कहा जाता, यह हम सभी के लिए गौरव का विषय है, क्योंकि ब्राह्मण, हाथी और कुत्ता, ये तीनों जातिवाद के बहकावे में आकर कभी भी अपने स्वामी और अपने देश को धोखा नहीं देते।हमारी राष्ट्रभक्ति, स्वामिभक्ति और बुद्धिजीविता ही हमें अन्य जातियों से श्रेष्ठ बनाती है, न कि जातिवाद। ब्राह्मणों की देशभक्ति के मार्ग में जातिवाद कभी नहीं आ सकता।
अतः आप सभी विद्वज्जनों से करबद्ध प्रार्थना है कि देश द्रोहियों के ब्राह्मणवाद वाले बहकावे में न आयें और सभी क्षेत्रीय मतभेदों को भुलाकर, क्षणिक स्वार्थों से ऊपर उठकर, देश हित मेंभारत को विश्वशक्ति बनाने के लिए, प्रत्याशी की कमियों को न देखें। देखें तो केवल मोदी जी की लगन, और देशभक्ति को। ब्राह्मणवाद और जातिवाद के सहारे अन्य पार्टी के किसी एक प्रत्याशी को जिता लेने से ब्राह्मण कुल का उद्धार नहीं होने वाला है, लेकिन भाजपा का एक सांसद कम पड़ जाने से, देश अगले 5 वर्षोंं में बीसों साल पीछे ज़रूर चला जाएगा।
अतः अच्छी तरह सोच विचार कर निर्णय लें कि किसी एक ब्राह्मण को जिताना है या लाखों कश्मीरी ब्राह्मणों को फिर से कश्मीर में स्थापित कराने वाले, गरीब ब्राह्मणों को आरक्षण देने वाले और हिन्दू धर्म के सहारे ब्राह्मण वाद की रक्षा करने वाले मा. नरेन्द्र मोदी जी के हाथों में देश को सौंपना है। विचार कीजिए, जब हिन्दू ही नहीं रहेगा तो ब्राह्मण और ब्राह्मणवाद कैसे रहेगा?