2019 का चुनाव एक वैचारिक युद्ध का चुनाव है, दो विचारधाराए आमने सामने खड़ी है ! एक तो 1950 से संस्कृति राष्ट्रवाद और अंत्योदय का सिद्धांत लेकर चली, गऱीब कल्याण का मंत्र लेकर चली, उस विचारधारा का आधार पर एक बड़ा वर्ग आज हमारे साथ एकत्रित खड़ा है और दूसरा जो राष्ट्रहित के विरोधियों के साथ खड़ा है ! इतिहास में एक और उदाहरण है जो आज की स्थिति के साथ ठीक मेल खाता है!
17वी सदी के समय की बात है तब करीब 130 साल ऐसे आए थे कि शिवाजी महाराज के नेतृत्व में आज़ादी की जिस लड़ाई की शुरुआत हुई, उसमे शिवाजी महाराज, संभाजी महाराज, ताराबाई, शाहूजी महाराज, और पेशवा से होते हुए 1860 तक इस देश का बड़ा भू-भाग स्वतंत्र हो गया ! अफगानिस्तान से लेकर कर्नाटक तक ओर गुजरात से लेकर ओडिशा तक एक बहुत बड़ा स्वतंत्र हिन्दूशासन देश मे उठ खड़ा हुआ !
उसके बाद 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई में अब्दाली और सदाशिव की लडाई हुई, दुर्भाग्य से पानीपत की तीसरी लड़ाई मराठा सैनिक हार गए और परिणाम क्या हुआ सिर्फ एक युध नही हारे ! लगातार 131 युद्द जीतने वाली मराठा सेना एक युद्द हार गई तो 200 साल की गुलामी के दल-दल में देश धंस गया ! उसके बाद 200 साल तक अंग्रेजों ने हम पर राज किया ! यह निर्णायक युद्द था, यह निर्णायक युद्द हारने के कारण देश की जनता को 200 साल तक ओर ग़ुलामी का दौर झेलना पड़ा !आज ऐसी ही स्तिथि है !
अतः समाज को जागृत कर आगामी लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवादी तथा भारत की मूल परम्पराओ एवं संस्कृति को संवर्धन तथा पोषण करने वाले दल के पक्ष में शत-प्रतिशत मतदान करने के लिए प्रेरित करें !।।भारत माता की जय।।