ओमप्रकाश पांडे : पंजाब की पवित्र भूमि पर रची गई ऋग्वेद के प्रथम अध्याय के 28वें खण्ड के अनुसार गाय ब्रम्हाण्ड के संचालक श्री सूर्य नारायण की सीधी प्रतिनिधि है। इसका अवतरण पृथ्वी पर इसलिए हुआ ताकि पृथ्वी की प्रकृति का संतुलन बना रहे। पृथ्वी पर जितने जीव है सबका पालन पोषण होता रहे।
सूर्य की किरणों में तीन प्रकार की उर्जायँ है।
1. प्रकाश ऊर्जा : जिसके द्वारा हमारी आँखे प्रकृति की सभी सजीव तथा निर्जीव वस्तुओं को देख सकें।
2. जीवन ऊर्जा: इसी ऊर्जा को लेकर सभी वनस्पति जगत अपने हरे भाग से प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा भोजन और प्राण वायु (ऑक्सीजन) बनाते हैं।
इसको लेकर सभी सजीव जगत जीवित रहते हैं।
3. गाय ऊर्जा : गाय में 33 प्रकार के देवता होते हैं जिन्हें आज के विज्ञान के अनुसार 33 तत्व कहते हैं, इन्ही 33 तत्वों से मनुष्य शरीर का निर्माण हुआ है।
मनुष्य अपनी जैविक क्रियाओं के द्वारा इसे ख़र्चता रहता है।जिसकी आपूर्ति वह गाय से प्राप्त उत्पादों (गव्य, दूध, घी, गोमय, गोमूत्र और छाछ) से तथा गाय द्वारा उपज किये अनाज से करता है और गाय इन सभी तत्वों को सीधे सूर्य की गाय ऊर्जा से प्राप्त करती है।
जब शुद्ध भारतीय नस्ल की गाय सूर्य की किरणों में स्वतंत्र रूप से घूमती है तो सूर्य से आने वाली सातों किरणों को अपने सूर्यकेतु नाड़ी से शोषित करती है यह सात किरणे( VIBGYOR, बै ज नी ह पी ना ला) हमारे सात चक्र आज्ञा चक्र, सहस्त्रार चक्र ,विशुद्धि चक्र,हृदय चक्र,नाभि चक्र , स्वाधिष्ठान चक्र तथा मूलाधार चक्रों को प्रभावित करते हैं। गाय इन्ही सात उर्जाओं को सूर्यकेतु नाड़ी द्वारा लेकर गव्य और गव्य आधारित अनाज के माध्यम से हमें देती है। जिसके द्वारा शरीर का सन्तुलन बना रहता है।
गाय के गुम्बद में सूर्य की उस ऊर्जा को लेने का गुण होता है जो अदृश्य है।
1. प्रज्ञा ऊर्जा
2. क्रिया ऊर्जा
भारतीय नस्ल की शुद्ध गाय 100% प्रज्ञा ऊर्जा 80% क्रिया ऊर्जा सोख सकती है और भारतीय नस्ल का शुद्ध घोड़ा 80% प्रज्ञा ऊर्जा तथा 100% क्रिया ऊर्जा सोख सकता है। प्रज्ञा ऊर्जा से हमारी चेतना सक्रिय होती है तथा हम अपना कल्याण, समाज कल्याण, देश का कल्याण तथा विश्व के कल्याण के बारे में सोचते हैं। चेतना ऊर्जा के न होने से हम केवल अपना सोचते हैं
अब हम सोच सकते हैं कि हमारी गायों का स्थान वह है जहां जाकर गाय खुले में चर सके तथा सूर्य ऊर्जा लेकर हमारे तक पहुंचा सके । गाय को बन्द स्थान पर रखने से सूर्य ऊर्जा जो गाय को ओषधि युक्त उत्पाद जो मनुष्य शरीर के लिये आवश्यक है वह नहीं प्राप्त कर पायंगे और भयानक रोगों के शिकार होते रहेंगे।
भारत के गौरवशाली इतिहास से इस बात की पुष्टि होती है जब यहाँ अधिक से अधिक गायों की संख्या थी तो हम बीमार नहीं होते थे। आज की घातक बीमारियों का मुख्य कारण गाय की कमी ही है। भारतवर्ष में गाय की संख्या बढ़े देश के अन्नदाता किसानों के पास गाय हो व वह गाय आधारित कृषि करे तथा देश के हर व्यक्ति को दूध तथा गाय आधारित अनाज मिल सके।
इस लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु भारत के सन्तजन गौ पालक गौ संरक्षकों ने यह निर्णय लिया है कि गौ जप महायज्ञ गौजन राष्ट्र और जगत के हित में श्री सुरभ्यै नमः जाप जप 31मार्च 2018 चैत्र शुक्ल पक्ष पूर्णमासी सम्वत 2075 दिन शनिवार से 15 अप्रैल दिन रविवार वैशाख कृष्ण पक्ष की अमावस्या सम्वत 2075 तक करने का निर्णय किया गया है। भारत के सभी सन्तजन का यह विश्वास है कि यदि जन समुह सिद्ध मन्त्र का जाप 14 करोड़ बार करता है तो मनवान्छित परिणाम की प्राप्ति अवश्य होगी।
Why Scientists are indolent to the researches made by Rishis since ancient times . If they can not do research they should follow the inference depicted in Scriptures . While they eat cooked rice they do not think that they should eat after research only .They are habituated to think the Universal mother as one food animal .They get doctorates from Oxford without knowing what is Ox. What a pity !