चंडीगढ : जीवन का आधार ही पिता है, पिता से ही घर होता है। पिता ही जीवन में सबसे महत्वपूर्ण होते है बिना पिता के जीवन नरक सा लगता है।माता पिता के बिना जीवन अनुसाशन के बिना ही बीतता है कोई रोक टोक नहीं होती है मगर जीवन एक कटी हुई पतंग के सामान हो जाता है। पिता हमारे जीवन में बहुत महत्व रखते हैं पिता न होते तो शायद मेरा कोई अस्तित्व ही न होता। पिता बिना किसी लोभ के अपने बच्चों के लिए पूरी जिंदगी मेहनत करते है ताकि उनका बच्चा पढ़ लिख कर बड़ा आदमी बने और उनका नाम गर्व से ऊँचा हो। हर हाल में माता पिता चाहते हैं की हमारे बच्चे को किसी भी प्रकार का दु:ख न देखना पड़े। ये शब्द मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमारजीआलोक ने सैक्टर 24सी अणुव्रत भवन में सभा को संबोधित करते हुए कहे।
मनीषीश्रीसंत ने आगे कहा जीवन में पिता का होना बहुत जरुरी होता है बिना पिता के जीवन मानो बिना छत के घर, बीना आसमान के जमीन का होना है। पिता का जीवन में बहुत बड़ा भाग होता है जिसकी व्याख्या करना बेहद मुश्किल है। पिता न होते तो घर नहीं चलता, बिना पिता के दुनिया कभी नहीं अपनाती पिता का जीवन में होना बहुत जरूरी है जिनके पास पिता होते हैं उसके पास दुनिया की सबसे बड़ी ताकत होती है। पिता से ही नाम है और पहचान है, माता पिता एक वो अनमोल रत्न है जिनके आशीर्वाद से दुनिया की सबसे बड़ी कामयाबी भी हांसिल की जा सकती है। माता पिता ही है जो हमें सच्चे दिल से प्यार करते हैं बाकी इस दुनिया में सब नाते रिश्तेदार झुटे होते हैं। पिता हमें पढ़ाते हैं लिखाते हैं, एक कामयाब इन्सान बनाते है। जब बच्चे को कामयाबी हांसिल होती है चाहे वो कितनी बड़ी हो चाहे कितनी छोटी माता पिता को लगता है की ये कामयाबी उन्हें मिली है। पता नहीं क्यों हमे हमारे पिता इतना प्यार करते हैं, दुनिया के बैंक खाली हो जाते हैं मगर पिता की जेब हमेशा हमारे लिए भरी रहती हैं पता नहीं जरुरत के समय न होते हुए कहाँ से पैसे आ जाते हैं। भगवान के रूप में माता-पिता हमें एक सौगात हैं जिनकी हमें सेवा करनी चाहिए और कभी उनका दिल नहीं तोडना चाहिए.माता-पिता का कर्ज दुनिया में सभी कर्जों से बहुत बड़ा होता है जिसे किसी भी कीमत से चुकाया नहीं जा सकता है। माता जितना प्यार करती हैं पिता भी उतना ही प्यार करते हैं, माता पिता के प्यार का कोई मोल नहीं होता है।
मनीषीश्रीसंत ने अंत मे एक पिता पर एक कविता पड़ते हुए कहा पिता है तो बाज़ार के सब खिलौने अपने हैं पिता, पिता जीवन है, सम्बल है, शक्ति है,पिता, पिता सृष्टि में निर्माण की अभिव्यक्ति है,पिता अँगुली पकडे बच्चे का सहारा है,पिता कभी कुछ खट्टा कभी खारा है,पिता, पिता पालन है, पोषण है, परिवार का अनुशासन है,पिता, पिता धौंस से चलना वाला प्रेम का प्रशासन है,पिता, पिता रोटी है, कपडा है, मकान है,पिता, पिता छोटे से परिंदे का बडा आसमान है,पिता, पिता अप्रदर्शित-अनंत प्यार है,पिता है तो बच्चों को इंतज़ार है,पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने हैं,पिता है तो बाज़ार के सब खिलौने अपने हैं,पिता से परिवार में प्रतिपल राग है,पिता से ही माँ की बिंदी और सुहाग है,पिता परमात्मा की जगत के प्रति आसक्ति है,पिता गृहस्थ आश्रम में उच्च स्थिति की भक्ति है,पिता अपनी इच्छाओं का हनन और परिवार की पूर्ति है,पिता, पिता रक्त निगले हुए संस्कारों की मूर्ति है,पिता, पिता एक जीवन को जीवन का दान है, पिता, पिता दुनिया दिखाने का अहसान है,पिता, पिता सुरक्षा है, अगर सिर पर हाथ है,पिता नहीं तो बचपन अनाथ है, ,तो पिता से बड़ा तुम अपना नाम करो,पिता का अपमान नहीं उनपर अभिमान करो,क्योंकि माँ-बाप की कमी को कोई बाँट नहीं सकता,और ईश्वर भी इनके आशिषों को काट नहीं सकता,विश्व में किसी भी देवता का स्थान दूजा है,माँ-बाप की सेवा ही सबसे बडी पूजा है,विश्व में किसी भी तीर्थ की यात्रा व्यर्थ हैं,यदि बेटे के होते माँ-बाप असमर्थ हैं,वो खुशनसीब हैं माँ-बाप जिनके साथ होते हैं,क्योंकि माँ-बाप के आशिषों के हाथ हज़ारों हाथ होते हैं।