स्वीटी तोमर : हंगरी के बारे में बहुत कम लोग जानते है। हंगरी अपने आप में बहुत सी विशेषताएँ समेटे हुए है। यह बहुत सुन्दर पर्यटक स्थल है। इसका दायरा 93,030 वर्ग किलोमीटर है। पड़ोसी देश स्लोवाकिया, युक्रेन, रोमानिया, सर्बिया, क्रोएशिया, स्लोवेनिया और ऑस्ट्रिया है। बुडापेस्ट इसकी राजधानी है। प्रमुख शहर- डैब्रसन, सैगड, मिस्काल, पैक्स, गयोर है। यहाँ के लोग ईसाई धर्म के अनुयायी है। हंगेरियन भाषा बोली जाती है। यहाँ की मुद्रा हंगेरियन फोरेंट है। जो भारत की मुद्रा के सामने काफी कमजोर है। भारत के एक रुपये की कीमत 4 फोरेंट है। यहाँ 99% लोग पढे- लिखे है। यहाँ सभी के लिए शिक्षा मुफ्त है। डैब्यूब नदी यहाँ से गुजरती है। प्रथम विश्व युद्ध के बाद हंगरी की आर्थिक हालत बिल्कुल बिगड़ गई थी। इस युद्ध में हंगरी ने जर्मनी का साथ दिया था। हंगरी लम्बे समय तक रोमन साम्राज्य का हिस्सा भी रहा। लगभग चार दशक के बाद ( द्वितीय विश्व युद्ध के ) अक्टूबर 1889 में हंगरी एक लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया। हंगरी ने 13 नोबल पुरस्कार अपने नाम किये है। ओलम्पिक स्पर्धा में 8वाँ सबसे अधिक पदक लेने वाला देश है। हंगरी का नाम उन देशों की सूची में भी शामिल है जहाँ सबसे पहले मैट्रो की शुरुवात हुई। हंगरी में खाना पीना, घूमना बहुत सस्ता है। हंगरी की इमारतें, चर्च, गर्म पानी के चश्में, शराब और 8 किस्म के अंगूर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
चाकलेट का हंगरी से बहुत पुराना नाता है। जहाँ सबसे पहले चाकलेट का उत्पादन हुआ उस शहर का नाम सरैंज है जो अबएक बहुत आधुनिक शहर है। जो उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में बसा है। पहाड़ों पर बसा शहर बहुत ही खूबसूरत है। यही पर 1923 में सबसे पहले चाकलेट बनायी गयी। 1989 में सबसे पहले चीनी बनाने का कारखाना भी यही पर लगा। शुरू में चाकलेट हाथों से बनायी जाती थी। इसकी पैकिंग पर बिल्ली की तस्वीर थी। बिल्ली की तस्वीर वाली चाकलेट पूरे यूरोप में प्रसिद्ध हो गई थी। अब चाकलेट के साथ-साथ कोको पाउडर, कैंडी, बिस्किट, वेफर्स, क्रिसमिस कैंडी, शुगर वाले व्यक्तियों के लिए भी चाकलेट आदि बनाई जाने लगी है। चाकलेट खाने के शौकीन मिल्क चाकलेट का मजा ले सकते है क्योंकि डार्क चाकलेट काफी कड़वी होती है। सरैंज में बनने के कारण इस चाकलेट का नाम सरैन्जी चाकलेट रखा गया था । सजेरेन्सी चाकलेट 2015 से हंगेरियन मूल्यों के संग्रह का सदस्य है। चाकलेट के इस कारखाने में एक इंटरेक्टिव चाकलेट वर्करूम है। जहाँ पर्यटक चाकलेट बना सकते हैं। इसकी प्रदर्शनी में दस्तावेजों तस्वीरों औजारों, मोल्डस, बैंकिंग सामग्री को आज भी देख सकते है। 1998 से सैरेंज में सैरेंज टाऊन दिवस (Szerenc day) का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इस कार्यक्रम को देखने के लिए बहुत पर्यटक आते हैं।
हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट घूमने के लिए एक बेहतरीन जगह है। चार बस्तियों बूडा, पेस्ट, ओ- बूड़ा और कोवान्या से मिलकर बना है। यहाँ एलते विश्वविद्यालय, बुडापेस्ट विश्वविद्यालय तथा टेक्निकल विश्वविद्यालय है। एलते विश्व विद्यालय में 1873 से एक भारतीय अध्ययन विभाग कार्यकर रहा है। जहाँ पर संस्कृत व अन्य भारतीय भाषाओं पर शोध कार्य व अध्यायन चल रहा है। बूडा और पेस्ट को मिलाने के लिए डैब्यूब नदी पर कई पुल बने हैं जो बहुत सुन्दर लगते हैं। हैविल झील, बलातोन झील भी यही पर है। बूडा में पहाड़ियों पर बसी बहुत खूबसूरत जगह कासल है। इसमें बहुत प्राचीन महल है। जिन्हें 1676 ईस्वी की घेराबंदी के दौरान नष्ट कर दिया गया था । 17वीं शताब्दी में हैबशवर्ग राजशाही के लिए फिर से बनाया गया। इसमें 200 से अधिक कमरे है। यह यूनेस्कों की विश्व धरोहर स्थल है। महल की बनावट बहुत आकर्षित है। इस महल को देखने के लिए पूरे विश्व से लोग आते हैं। बालाथोन झील के पास ही एक द्वीप है जिसकी सुन्दरता अद्भूत व अविश्वनीय है। यह भी एक बेहतरीन पर्यटक स्थल है।
बुडापेस्ट से सिर्फ ५० किलोमीटर दूर उत्तर में डैन्यूब बैंड में जो पुराने शहर थे। उन्हें देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। डैन्यूल बैंड हंगरी के सबसे लोकप्रिय मनोरंजन और भ्रमण स्थलों में से एक है। यहाँ नदी गहरे जंगलों में से होकर गुजरती है। डेन्यूब नदी को देखने के लिए साईकिल से घूमना एक लोकप्रिय तरीका है। क्योंकि बूड़ापेस्ट और वियाना के बीच पहाड़ियों के माध्यम से साइकिल पर घूमतें हुए लगातार बदलते नदी के दृश्य मन को मोहित कर देते है।
हंगरी गर्म पानी के चश्मों के लिए भी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। जब भारी बर्फवारी होती है तब पर्यटकों की संख्या बहुत बढ़ जाती है। पानी में कैल्शियम, मैग्नीशियम जैसे कई तत्व होते हैं। हंगरी में मान्यता है कि यहाँ स्नान करने से सेहत अच्छी होती है और बीमारियों से छुटकारा मिलता है। हंगरी में गर्म पानी के चश्मों का उतना ही महत्व है जितना भारत में गंगा नदी में स्नान करने का । हंगरी में ये ऐतिहासिक स्पा है। 16वीं शताब्दी में तुर्क ने कई तुर्की स्नानग्रहों का निर्माण किया इसके अतिरिक्त तिहानी झील भी बहुत खूबसूरत हैं। बसन्त में यहाँ बादाम के पेड़ खिल जाते हैं। और जून में लवैंडर की सुगंध हवा में भर जाती है. जब भी मौका मिले हंगरी एक बार जरूर जाये यूरोप में बसा ये छोटा सा देश अपने आप में गजब की खूबसूरती समेटे हुए है।
(स्वीटी तोमर, लेखिका, समाज सेविका, संयुक्त सचिव, अंकुर स्कूल, प्रबंधन, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़)
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