आचार्य वेदश्रमी, ग्रेटर एटलांटा : आप सभी को ईस्वी संवत्सर की शुभ कामनाएं। आईये हम सभी विचार करें यह संवत्सर कितनी बुद्धि संगत है। January 1 आते ही हम क्या करते हैं ? क्या January 1 नए वर्ष का आरम्भ है ? यूरोप में पहले ओलम्पियन संवत्सर प्रचलित था। यूरोप महाद्वीप में एक ओलम्पिया नगर है जो यूनान देश के पश्चिमी मोरिया में रूफ़िया नदी के उत्तरी किनारे पर आधुनिक पिरगोस नगर से 11 मील पूर्व स्थित है। वहां के बुद्धिजीवी वर्गों ने ओलम्पियन संवत्सर को प्रारम्भ किया। यह संवत्सर मार्च से दिसम्बर तक दस महीने का था। वे लोग नया वर्ष 25 March को मनाया करते थे। ये March to December months 53 वर्ष तक व्यहृत होते रहे। उन्होंने मार्च नाम Mars देवता के सम्मान में रखा जो कि उनके अनुसार युद्ध के देवता हैं। अप्रैल के सम्बन्ध में दो विचार हैं। कुछ विद्वान कहते हैं कि अप्रैल नाम Aphrodite, जो love और beauty के देवता हैं, के नाम पर पड़ा। और अन्य विद्वान मानते है कि- April developed from the Latin word for “open” in honor of the flower buds that open in spring. उन्होंने Atlas के दो कुमारी बेटी ‘मलिका मई’ और ‘मलिक जॉन’ के नाम पर May and जून नाम दिया। इसीतरह सम्राट जूलियस सीजर और उनके पौत्र आगस्टस सीजर के नाम पर July and August नाम पड़ा। जूलियस सीजर से पहले जुलाई महीने का नाम Quinctilis था परन्तु ईसा से 44 वर्ष पूर्व Julius Caesar के सम्मान में Quinctilis मास के नाम को Julius (july) के रूप में परिवर्तित किया गया। तथा ऑगस्ट सीजर से पहले अगस्त महीने का नाम Sextilis था परन्तु ईसा से 8 वर्ष पूर्व August Caesar ने स्वयं ही Sextilis मास को अपने नाम से ( August) प्रसिद्द कर दिया।
तथा September- अर्थात सातवां महीना, October- अर्थात आठवां महीना, November- अर्थात नववां महीना और December- अर्थात दसवां महीना संख्या के आधार पर दिया गया। इस प्रकार वे लोग दस ही महीने व्यवहार में लाया करते थे। परन्तु वर्ष में 366 को पूर्ण करने के लिए बाद में ईसा से 700 वर्ष पूर्व रोमनों के द्वितीय राजा नुमा पोम्पिलियस (Nu ma pompilius ) ने जैनस नामक रोमन देवता के नाम से January month आरम्भ किया। ( In ancient Roman religion and mythology, Janus is the god of beginnings and transitions, thence also of gates, doors, doorways, endings and time. He is usually a two-faced god since he looks to the future and the past. The Romans dedicated the month of January to Janus.) और February Month को भी आरम्भ किया। The month of February gets its name from the Latin word for a feast of purification, ‘februa’ held every on February 15 in ancient Rome. सन 1582 से पहले January , February को मार्च से पहले जोड़ने पर भी नए वर्ष के रूप में नही मनाया जाता था।25 March को ही मनाया जाता था। सब से प्रथम 1582 को जनवरी 1 New year के रूप में आया। अंग्रेजों नें January 1 को नए वर्ष के रूप में मनाने की पद्धति को सन 1752 में भारत में भी आरम्भ करवाया। भारतीय परम्परा को नष्ट करने के लिए बहुत से षडयंत्र करने पर भी Financial year and Educational year आज भी 1 अप्रैल को मनाया जाता है। इन्हें अंग्रेज बदल नहीं पाये। जो वैज्ञानिक भी है और बुद्धिसंगत भी है। सन 1582 में फ़्रांस के दसवां राजा चार्ल्स ने January 1 को अपने देश में नए वर्ष के रूप में घोषणा की, परन्तु वहां की जनता राजा की आज्ञा को न मानकर April 1 को ही नया वर्ष मनाती रही। इससे राजा चार्ल्स ने क्रुद्ध होकर उलंघन करनेवाले जनता को मूर्ख घोषित कर दिया। मजबूरन वहां की जनता को धीरे धीरे जनवरी 1 को ही नया वर्ष मनाना पड़ा। इस सफलता को देख कर राजा चार्ल्स ने भविष्य में कोई भी April 1 को New year न मनाएं इसलिए उस दिन को मुर्ख दिवस ( Foolish day ) के रूप में घोषणा करवाई। हे नीर क्षीर विवेकी पाठक गण ! आप सभी इस पर विचार करें क़ि यह कितना बुद्धि संगत है। January और
February को महीने के प्रारम्भ में रखने से September, October,November, December जो सातवें,आठवें, नवें और दसवें महीने के लिए रखा गया था वह असंगत हो गया. भाषा विज्ञान के आधार पर September, October,November, December सातवें,आठवें, नवें और दसवें महीने के लिए सटीक था परन्तु अपनी तृष्णा की पूर्ति के लिए, अपने अहंकार को पूर्ण करने के लिए फ़्रांस के दसवां राजा चार्ल्स ने January 1 को अपने देश में नए वर्ष के रूप में घोषणा कर अज्ञानता का प्रदर्शन किया। यदि राजा चार्ल्स जी January और February को महीने के प्रारम्भ में न रखकर महीने के अन्त में रखते तो September,
October,November, December नाम भी यथा नाम तथा गुण के अनुसार संगत हो जाता। अस्तु आप सभी इस पर विचार करें और हम सभी सत्य के ग्रहण और असत्य के छोडने में सर्वदा सर्वथा सर्वत्र उद्यत रहें।