मिर्ज़ापुर उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाव में जन्मे कृष्णानन्द जी गोमाता के सेवार्थ एक संकल्प लेंकर 2012 से अपना घर परिवार त्यागकर गोरक्षा के लिए जन जन से अपील करते हुए जनमानस में एक नया सन्देश एक कदम गोरक्षा की खातिर देने का काम कर रहे हैं. कृष्णानन्द जी ने अबतक नरेंद्र मोदी जी को जिताने के लिए प्रयाग के संगम से काशी विश्वनाथ मंदिर की 130 किमी, उज्जैन से काशी विश्वनाथ मंदिर की 77 दिन में 1727 किमी गोमाता के लिए, भोपाल से उज्जैन सिंहस्थ महाकुंभ के लिए 1200 किमी गोरक्षा एवम स्वच्छ सिंहस्थ को लेकर, जयपुर से जीढ माता मन्दिर की 244 किमी की गोरक्षा को लेकर ,द्वारका से सोमनाथ मंदिर की 266 किमी गोरक्षा को लेकर पुष्कर मेले में गोरक्षा के लिए 1300 किमी, जनवरी 2017 में इलाहाबाद में माघ मेले में 900 किमी की गोरक्षा के लिए, उत्तर प्रदेश में बीजेपी की जीत के लिए गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा, के साथ साथ योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के लिए कामदगिरि जी की परिक्रमा प्रमुख हैं.
कृष्णानन्द जी द्वारा अबतक गौमाता के संरक्षण संवर्धन को लेकर अब तक 6000किमी की यात्रा कर चुके है. उन यात्राओं की सफलता के बाद एक बार पुनः 10 जून 2018 भंडारा के सर्किट हाउस से एक कदम गौरक्षा की खातिर यात्रा का शुभारंभ किया जो लगभग 3000 किमी की दूरी 4 माह में नागपुर ,हैदराबाद चेन्नई रामेश्वरम के रास्ते कन्याकुमारी तक जाएगी इस यात्रा को सफल बनाने के लिए लोगो से पंचगव्य का प्रयोग करने के लिए साथ ही समाज में गौमाता की दयनीय हालत इस कदर हो गई है कि लोग देशी गायो को जरशी गायो में दूध के लालच में तब्दील करने लगे हैं. जिस गौमाता की रक्षा के लिए प्रभु श्री राम ने पुनः कृष्ण रूप में जन्म लेकर गाये चराई माखन चुराए, ऋषि मुनियों ने गौमाता के लिए जान गवाई, पहली रोटी गौमाता का भोग लगाया जाता था आज उस गौमाता को लोग असहाय कर रहे हैं गोमाता के दूध के बजाय जहर पी रहे हैं. जैविक खाद के बजाय उर्वरक खादों का प्रयोग कर खेतो से जहर पैदा कर रहे हैं. यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में गौमाता तो फोटो में लटकी हुई मिलेगी ही साथ में हमारे शरीर का हाल भी दयनीय हालत में होगा चारो तरफ भुखमरी बीमारियां भी होगी
इन सब से कोई बचा सकता है तो वह सिर्फ हमारी गौमाता ही है.
अतः आप सब से निवेदन करता हूँ कि गौरक्षा के लिए एक कदम उठाए और उनकी रक्षा कर अपना जीवन धन्य करे
इन कार्यो को लेकर कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है साथ ही नेपाल में भी एक संस्था द्वारा सम्मानित किया गया है.
महामहिमामयी गौ हमारी माता है उनकी बड़ी ही महिमा है वह सभी प्रकार से पूज्य है गौमाता की रक्षा और सेवा से बढकर कोई दूसरा महान पुण्य नहीं है. गौमाता को कभी भूलकर भी भैस बकरी आदि पशुओ की भाति साधारणनहीं समझना चाहिये गौ के शरीर में “३३ करोड़ देवी देवताओ” का वास होता है. गौमाता श्री कृष्ण की परमराध्या है, वे भाव सागर से पार लगाने वाली है. गौ को अपने घर में रखकर तन-मन-धन से सेवा करनी चाहिये, ऐसा कहा गया है. जो तन- मन-धन से गौकी सेवा करता है. तो गौ उसकी सारी मनोकामनाएँ पूरी करती है. प्रातः काल उठते ही श्री भगवत्स्मरण करने के पश्चात यदि सबसे पहले गौमाता के दर्शन करने को मिल जाये तो इसे अपना सौभाग्यमानना चाहिये. यदि रास्ते में गौ आती हुई दिखे, तो उसे अपने दाहिने से जाने देना चाहिये. जो गौ माता को मारता है, और सताता है, या किसी भी प्रकार का कष्ट देता है, उसकी २१ पीढियाँ नर्क में जाती है. गौ के सामने कभी पैर करके बैठना या सोना नहीं चाहिये, न ही उनके ऊपरकभी थूकना चाहिये, जो ऐसा करता है वो महान पाप का भागी बनता है.
आपसब से निवेदन है कि ज्यादा से ज्यादा इस यात्रा में शामिल होकर गौमाता को पुनः उनका हक दिलाये साथ ही तन मन धन से सहयोग प्रदान करे.