राम गोपाल : ट्रॉय का घोड़े की कहानी विश्वप्रसिद्ध है । लगभग हर पढ़े लिखे इंसान ने कभी ना कभी पढ़ी सुनी है
ट्रॉय के अभेद्य किले बंदी को तोड़ने के लिये युद्धरत एथेंस वासियो ने युद्ध से पीछे हटने का दिखावा किया और एक बहुत बड़ा लकड़ी का घोड़ा उपहार स्वरूप रख गये । ट्राय वाले उसे किले के अंदर ले गये लेकिन उसमे छुपे योद्धाओं ने रात को किले के दरवाजे को खोल दिया और छुपे उसे यूनानियो ने अविजित ट्राय का सर्वनाश कर दिया । यह महागाथा महान यूनानी कवि होमर ने लिखी है “ओडिसी” के नाम से, होमर जन्मांध थे।
यह अश्व एक पुतला ना होकर एक रणनीती थी जो तब से लेकर आजतक सदियो से सभ्यताओं ,राज्यो द्वारा खेली जाती रही। ट्राय का वो महान अश्व लकड़ी का बना था, पर हर बार वो लकड़ी का बने यह जरूरी नही, आज कल वो ट्राय का घोड़ा मांस का भी बनने लगा है, “मानव मांस का”, वो भी उस वर्ग का जिसको देख कर अविजित शत्रुओ के मन में वैसे ही करूणा, दया , इंसानियत, पश्चाताप की भावनाओं का ज्वार आये जैसे कभी ट्राय के मूल अश्व को देख कर ट्राय के शासक वर्ग मे अपने विजयी होने गलतफहमी भर गई थी।
पिछले बीते समय मे सबसे पहला ट्राय का घोड़ा छोड़ा गया जब आईसिस ने सीरिया और इराक मे निजामे-मुस्तफा कायम किया खून और बारूद के ढेर लग गये सारी उम्मत अपने हम मजहब सउदी अरब ना जाकर योरोप की तरफ भागी पर सीमा पार नही करने दी गई, उनको तब तुर्की के समुद्री तट पर एक सीरीयन बच्चे “अयान कुर्दी के रूप मे ट्राय का अश्व छोड़ा गया। अति लिबरल और मानवतावादी योरोप पश्चाताप के विलाप मे डूब गया और शरणार्थियों के लिये योरोप की सीमायें खोल दी गईं । लोगो ने अपने घरो मे सीरियन्स को जगह दी उसके बाद यूरोप ने भोगा वो सर्वविदित है।
जिन लोगो ने उन्हे घर मे रखा उन्ही की बच्चियों, पत्नियों के साथ बलात्कार करे शरणार्थियों ने, राह चलती औरतो के साथ बद्तमीजियां होने लगी । जगह जगह शरिया की मांग की जाने लगी। इसका सबसे सुंदर रिटर्न गिफ्ट जो शरणार्थियो ने योरोप को दिया वो था “तहर्रूश जमई” और “लौंडा नाच”। राह चलती औरत को सौ लोग घेर कर उसको सरेआम नंगा करके बलात्कार करा जाता है अंदर चार पांच लोग यह करते है बाकी चाकू और लाठी के बल औरत को बचाने वाले लोगो को रोकते हैं, यह ड्यूटी बदलती जाती है जब तक पूरी भीड़ उस औरत का उपभोग ना करले।
खैर छोड़िये विदेश की बाते अभी हाल में जम्मू के कठुआ मे भी ट्राय का घोड़ा छोड़ा गया एक काश्मीरी मुसलमान आठ वर्षिया लड़की आसिफा के रूप मे । जम्मू के हिन्दु बहुलता को खत्म करने के लिये रोहिंग्याओ को जम्मू मे बसाया जा रहा था विगत कुछ दिनो इसके खिलाफ जम्मू के हिन्दू आवाज उठाने लगे थे , रैलियां बंद इत्यादी ,सार्वजनिक मंचो पर यह बात उठाई जाने लगी थी, हालात काबू से बाहर होते देख कर ट्राय का घोड़ा छोड़ दिया गया।
उस बच्ची की लाश एक मंदिर के अंदर रख दी गई। बस फिर क्या था सारे लिबरल, वामपंथी , शांतिप्रिय मीडिया, राजनेता ,साहित्यकार देश मे हिन्दु चरम पंथ के उद्भव के कारण अल्पसंख्यक, दलित और स्त्रियों पर हो रहे जुल्म ज्यादतियों के खिलाफ अपने तीर तरकश लेकर तैयार हो गये और सारे राष्ट्रवादी बंधुवर उसी करूणा, दया और सबसे ज्यादा पश्चाताप के ज्वार से सराबोर हो क्षमा मांगने लगे।
मंदिर मे लाश मिली है तो हिन्दुओं ने ही करा होगा, शांतिप्रिय इल्हामी तो बेचारे ऐसा कुछ नही सकते । देख लीजीये हर तरफ राष्ट्रवाद के झंडाबरदार, पश्चाताप की मुद्रा मे रूदन कर रहें हैं, अपना मूल उद्देश्य छोड़कर। सब ट्राय के घोड़े के अनुगामी हो गये सफेद झंडिया लहराते हुये ।
सारे हिन्दुधर्म को दोषी बताते वामपंथी और उनके सामने मूक बनकर खड़े, दक्षिणपंथी यह भूल गये की हजार सालो से ऐसे ना जाने कितने बलात्कारों को हमारे पूर्वजो ने सहन करा और आज भी कर रहे हैं। जब हिंदू बच्चियों के साथ कोइ मज़हबी, हैवानियत की हदे पार कर दें तो उसकी बात कोइ नही करता, कयोकि तब सेकुलर रेप होता है ना। पिछले कुछ वर्षो से चालू लव जिहाद भी इसी रणनीती का एक कूट रूप है। जम्मू मे बसे रोहिंग्याओ की अवैध बस्ती भूल गये हर गैरकानूनी और देशविरोधक कामों मे उनकी संल्गनता भूल गये ,पाकिस्तानी और काश्मीरी आतंकवादियो से उनकी गलबहियां भूल गये।
याद रहा तो बस मंदिर और उसमे पड़ी बच्ची की लाश या कहें ट्राय का घोड़ा । अब सब दुखी है जम्मू के लिये, सब गिल्टी कॉंशियस हो गये, एक तीर से कई शिकार, हिन्दू और हिन्दुत्व को शर्मिंदा किया ! मंदिर की शुचिता टूटी ! देवताओं को अपशब्द ! हिंदुओं को बलात्कारी बनाया ! राष्ट्रवादियों को नीचा दिखाया ! हिंदुओं को आपस में उलझाया !
अंतराष्ट्रीय मंचों पर देश की छवि खराब करी ! हिंदुओं को लूटने और मार भगाने की वजह बनाई ! घुसपैठियों को गले लगाया ! अपनी सियासत ज़िंदा करी ! देश मे अराजकता का माहौल बनाया ! हिदूं-मुस्लिम में बांटकर हिंदुओं के खिलाफ माहौल बनाया और उनकी बच्चियों के लिये बलात्कार की वजह दे दी!
अभी शायद अहसास नही हो कि जम्मू के हिन्दू कितने ख़तरे में आ गये। कुछ समय में वहाँ से हिन्दू पलायन शुरू होगा, लिख लीजिये पर इससे अभी किसी को मतलब नही, सब मगन है।
और ट्राय का घोड़ा सरपट दौड़ा चला जा रहा है……..