( प्रत्येक हिन्दू बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा मुसलमानों के प्रति प्रकट किये गए निम्नांकित विचारों को अवश्य पढ़े , और समझे/ )
(1) यथार्थवादी व्यक्ति को यह सच्चाई समझ लेनी चाहिए कि मुसलमान हिन्दुओं को काफ़िर समझते हैं जो बचाये जाने से कहीं ज्यादा मार डाले जाने लायक हैं /
(2) केवल कोई हिम्मती हिन्दू ही यह कह सकता है कि मुसलमान देशों के किसी हमले के वक्त हिंदुस्थानी सेना के मुसलमान वफादार रहेंगे और यह खतरा नहीं रहेगा कि वे मुसलमान सैनिक हमलावरों से मिल नहीं जाएंगे /
(3) लेकिन इसका अधिक महत्त्व नहीं है कि उन्मादी मुसलामानों द्वारा मारे गए प्रख्यात हिन्दुओं की संख्या कम है या ज्यादा / …. प्रतिष्ठित मुसलमानों ने इन अपराधियों की कभी निंदा नहीं की / इसके विपरीत इन अपराधियों की तारीफ़ धार्मिक शहीद की तरह की गई /
(4) मैं यह अच्छी तरह नहीं बता पाऊँगा कि हिन्दू -मुस्लिम एकता की हर उम्मीद निरर्थक है /
(5) मुस्लिम महिला दुनिया की सबसे असहाय प्राणी है /
(6) जब तक दासता मौजूद थी ,इस्लाम और इस्लामी देशों ने उसका सबसे ज्यादा समर्थन किया था /
(7) यह अच्छी तरह दिखता है कि मुसलमानों में न केवल जाति मौजूद है , बल्कि छुआछूत भी मौजूद है / (8) दरअसल मुसलमानों में हिन्दुओं की सभी सामाजिक बुराइयां तो हैं ही , इसके साथ कुछ और भी बुराइयां हैं / मुसलमानों में एक अतिरिक्त बुराई है –मुस्लिम स्त्रियों में परदे की अनिवार्यता /
(९) बुर्का पहनी हुई इन औरतों को सड़क पर चलते हुए देखना भारत में सबसे भयानक चीजों में से एक है /
(10) परदे ने मुस्लिम पुरुषों के चरित्र पर बुरा प्रभाव छोड़ा है / जो सामाजिक व्यवस्था स्त्री पुरुष के बीच के सभी सामाजिक संपर्क समाप्त करती है ,उसमें वासना की अधिकता और अन्य अप्राकृतिक तथा विकृत तरीकों को बढ़ावा मिलता है /
(11) हिन्दुओं का यह कहना सही है कि हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच सामाजिक सम्बन्ध स्थापित नहीं हो सकता /
(12) मुस्लिम राजनीति अनिवार्यतः मजहबी है और वह केवल हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच के फर्क को ही मानती है / मुसलमानों की राजनीति में जीवन के धर्मनिरपेक्ष वर्गों को कोई जगह नहीं मिलती है /
(13) मुसलमानों के बीच इन बुराइयों की मौजूदगी से काफी कष्ट होता है / लेकिन इससे भी कहीं अधिक कष्ट इस बात से होता है कि भारत के मुसलमानों के बीच ऐसा कोई संगठित आंदोलन नहीं है ,जो उन्हें समाप्त कर सकने में सक्षम हो/
(14) दरअसल इस्लाम की एक बड़ी खासियत यह है कि उसने जिन नस्लों को गुलाम बनाया है , उनको इस्लाम ने बर्बरता से जकड लिया है /
(15) रैना ने लिखा है –दरअसल विज्ञानं से घृणा ही मुसलमानों की अनिवार्य विशेषता है /
(16) आक्रामक भावना मुसलमानों की एक ख़ास बात है / आक्रमण की भावना के प्रदर्शन में मुसलमान हिन्दुओं से बहुत आगे हैं /
(17) मुसलमानों के राजनीतिक आक्रमण ने एक ऐसी बीमारी पैदा की है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है/
(१८) मुसलमान हिटलर की भाषा बोल रहस्य हैं /
(19) मुसलमानों में ध्यान देने वाली दूसरी चीज हिन्दुओं की कमजोरी का शोषण करने की उनकी प्रवृत्ति है / (20) मुसलमानों ने राजनीति में सामूहिक गुंडागर्दी का तरीका अपना लिया है / दंगों से इस बात का पर्याप्त संकेत मिलता है कि गुंडागर्दी राजनीति में उनकी रणनीति का स्थायी हिस्सा बन गई हैं /
(21) कांग्रेस इस बात को समझने में असफल रही है कि मुस्लिम तुष्टिकरण और समाधान में फर्क है / तुष्टिकरण का मतलब यह है कि जिन लोगों ने निर्दोष लोगों की हत्या , बलात्कार , लूट और आगजनी किया है उनके कुकृत्यों में सहयोग करके उनको खरीद लिया जाये /
(22) कांग्रेस इस बात को समझने में असफल रही है कि मुसलमानों को सहूलियतें देते जाने की उसकी नीति ने मुसलमानों की आक्रामकता को बढ़ाया है और उससे भी बुरी बात यह है उन सहूलियतों से मुसलमानों को यह लगा है कि हिन्दू पराजयवादी है और हिन्दुओं में बदला लेने की प्रवृत्ति नहीं है /
(23) इस्लामी क़ानून की इस व्यवस्था की वजह से भारत हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों की साझा मातृभूमि नहीं हो सकती है /
(24) मुसलमानों के लिए हिन्दू काफ़िर है / काफ़िर सम्मान के लायक नहीं है/ काफ़िर नीच जन्म वाला है /
(25) यह हिन्दुओं को तय करना है कि वे (हिन्दू-मुस्लिम एकता) के अपनी सभी कोशिशों के दुखद अंत के बावजूद इस मिथ्या प्रयास में अपने को लगाये रखेंगे या एकता की कोशिश छोड़ देंगे/
(26) चूंकि हमलों में मंदिरों का विध्वंश और जबरिया धर्म परिवर्तन किया गया , संपत्ति लूटी गई , उन्हें गुलाम बनाया गया., इसलिए अगर उन हमलों की यादें हमेशा ताज़ी रहें , तो इसमें अचरज की क्या बात है /