अमित तोमर , देहरादून : दीपावली में अभी एक माह से अधिक शेष है पर अभी से बाजार में माँ दुर्गा,माँ लक्ष्मी, गणेश जी और राम जी की मूर्तिया बिकने लगी है। बच्चे अभी से हाथो में प्लास्टिक की बंदूको में चीनी पटाखे लोड कर चोर-पुलिस खेलने लगे है। बाजार में हर और रौनक ही रौनक है परंतु भारत के लाखों पटाखा मज़दूरों, कुम्हार परिवारों और मूर्ती के कारीगरों के घरों में अभी से भूख और बेरोज़गारी दस्तक देने लगी है। भारत की अर्थव्यवस्था पर पुनः ड्रैगन ने हमला बोल दिया है।
16 वर्ष पूर्व 2000 में भारत-चीन व्यापार मात्र 2.9 बिलियन डॉलर था (1 बिलियन =100 करोड़) जो इस वर्ष लगभग 9 गुणा बढ़ कर 27.3 बिलियन पहुँच चुका है। दुःखद यह है की इस व्यापार में भारत केवल IMPORTER की भूमिका में है। चीन अपने यहाँ बनी सड़ी और ज़हरीली प्लास्टिक की मूर्तिया और खिलोने भारत में भेज रहा है जो आर्थिक रूप से भारत को तो क्षति पहुंचाती ही है साथ में भारतीयों के स्वास्थ के लिए भी बहुत हानिकारक है।
यदि केवल दीपावली की ही बात करे तो आज से लेकर अगले 40 दिनों में चीन भारत को लगभग 1000 करोड़ रूपये का चूना लगाएगा। यह आंकड़े इसलिए और खतरनाक हो जाते है क्योकि भारत से कमाया सारा पैसा चीन भारत को ही नष्ट करने और पाकिस्तान की मदद करने में लगाता रहा है। अब चुनाव आपका है ! क्या आप अब भी चीन निर्मित उत्पाद खरीदेंगे ?
सभी राष्ट्रभक्तों से विनती है इस वर्ष अपने पवित्र त्योहारों पर चीन निर्मित उत्पादों- पटाखों, लाइट, मूर्तिया, मिठाई, खिलोने आदि का पूर्ण बहिष्कार करे। स्वदेशी अपनाओ – विदेशी भगाओ