अमित तोमर , देहरादून : आप कितने भी पढ़े लिखे क्यों ना हो यदि हिंदी या अन्य किसी राजकीय भाषा में आप बोलते या लिखते है तो आप केवल एक गंवार है और भारतीय है, Indian बनने के लिए आपको अंग्रेजी में ही लिखना और बोलना होगा। कम से कम भारत के बुद्धिजीवी समाज को तो यही लगता है। यह कथाकथित बुद्धिजीवी आज तक भारत का भ भी नही समझ सके पर इन्ही के लिखे लेख और शोध को मान्यता मिलती है। ऐसी दशा में जब 95% भारत हो और केवल 5% India तब भी हमेशा भारत हार जाता है और 5% Indian देश पर राज करते है। उनकी केवल इतनी उपलब्धि है कि उनके माँ बाप अमीर है। इसी हवस में आज भारत, India बनने के लिए दौड़ रहा है।
क्या आपने कभी किसी चीनी,रूसी,फ्रांसीसी, जर्मन, जापानी,कोरियाई, अरबी को अंग्रेजी बोलते TV पर देखा है। कदापि नही। क्योकि यह लोग अपनी मातृभाषा को अपनी माँ से अधिक मान देते है। क्या यह देश विकसित नही हुए ? फिर क्यों विश्व के 20%भारतीय, Indian बनने की होड़ में दौड़ने लगते है(विश्व का हर पांचवा व्यक्ति भारतीय है)। क्यों हम अपनी मूल भाषाओं की बलि चढ़ा विदेशी भाषा को गले लगाते है? क्यों हम आज भी काले अँगरेज़ कहलाते है ? क्यों हम इस मानसिक गुलामी से निज़ात नही पा सकते ?
कारण केवल एक ही है, हम 70 साल पहले भी गुलाम थे और आज भी है और अगले 70 साल भी गुलाम ही रहेंगे यदि हमने अपनी मातृभाषा को माँ सा सम्मान ना दिया। भारत में रोज़ किसान आत्महत्या करते रहेंगे पर Indian रोज़ Mcdonald’s में बर्गर और KFC में चिकन खाते रहेंगे।
सोच बदलो देश बदलो।
जिसे अपनी माँ, मातृभाषा और मातृभूमि पर गर्व ना हो वो व्यक्ति नाजायज़ कहलाने के ही काबिल है।
भारत से प्यार करो क्योकि भारत ही विश्वपटल पर India कहलाता है।
गर्व से कहो हम भारतीय है और हिंदी हमारी मातृभाषा है। केवल हिंदी में बोले और लिखे और अपने आसपास के Indian को भी प्रोत्साहित करे।