विपुल मुनि “हरिजन दास” : मैं कुछ पिछले कई महीनों से सोशल मीडिया में देखता-सुनता आ रहा हूँ कि ब्राह्ममण विदेशी है परन्तु उसका कोई भी आधार नहीं दिया गया , वह अंग्रेजी समाचार पत्र THE TIMES OF INDIA 21 मई 2001 की रिपोर्ट को गलत दिखा कर देश का माहोल ख़राब करब रहें हैं
इस वाईरल लेख को पढ़कर मेरी जिज्ञासा उत्पन्न हुयी कि वास्तविकता की खोज की जाये । काफी खोज-बीन के अथक प्रयास से सफलता मिली, 21 मई 2001 की THE TIMES OF INDIA समाचार पत्र की मूल प्रति लिपि पढ़ने का अवसर मिला । इस DNA शोध से सम्बन्धित वास्तविक लेख को समाज के सामने लाने के प्रयास को अपना प्रथम कर्तव्य समझा ।ताकि समाज इस भ्रम जाल से मुक्ति पा सके ।
प्रमाण : 21 मई , 2001 पृष्ठ संख्या -8 अन्तर्राष्ट्रिय पृष्ठ , The Times of India .
शोध रिपोर्ट का वर्णन निम्न लिखित है ।
नोट :- इस रिपोर्ट मे किसी भी प्रकार की कोई भी हेरा फेरी नहीं की गयी है अर्थात् एक भी शब्द पाठक गण से नहीं छुपाया गया ।ताकि पाठक गण भ्रमित न हो । अगर किसी पाठक गण को शंका हो तो वह व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट में अपनी आपत्ति दर्ज करा सकता है ।
Date : 21 May , 2001
Page no. 8 , International news , The Times Of India
Original Report here : We’re all a complex mixture and related ‘
By Jonathan Leake
One in every 100 “white” Britons is directly descended from an African or Asian, a new study has found. The study, which looked at the DNA of 10,000 people, found that many who believed there ancestry to be completely British were actually far more diverse, Bryan Sykes, professor of human genetics at Oxford University, believes the DNA Originates in Africans brought to Britain as soldiers and slaves by the Romans. Among those whom Sykes found with a strong selection of African genes were a dairy farmer from somerset whose British ancestry can be traced back hundreds of years.
Many other discoveries cannot be so easily explained. Sykes found that a primary school teacher in Edinburgh had polynesian DNA that could only have originated from tribes in the south Pacific, even though her family could trace its British ancestry for at least 200 years.
Sykes believes such discoveries show that long migrations and consequent mixing of populations have always been a feature of humanity, making talk about racial purity meaningless. He said: “This makes nonsense of any biological basic for racial classification. We are all a complex mixture and, at the same time, we are all related.”
Similar analyses on black Britons have helped them to establish the links to their past that were destroyed when their ancestors were captured by slave traders. Other recent research has further undermined claims that Britain could be racially unmixed.
(The Sunday Times)
Translation in hindi
(हिन्दी में अनुवाद )
*द टाईम्स ऑफ इंडिया*
21 मई 2001 पृष्ठ संख्या -8 अन्तर्राष्ट्रीय पृष्ठ पर लेख।
*” हम सभी जटिल रूप से मिश्रित व एक दूसरे से संबन्धित हैं ।”*
रिपोर्ट द्वारा : जोनेथन लीक
ब्रिटिश जो यह मानते हैं, कि अनुवांशिकता तौर पर उनकी जाति बिल्कुल शुद्ध है, वास्तविकता के विपरीत है । एक शोध के अनुसार (जिसमें 10,000 लोगों के डी०एन०ए० की जांच की गई) प्रत्येक 100 में से 1 ब्रिटिश के जीन में एशिया या अफ्रीकी लोगों का जीन मौजूद है। मानव अनुवांशिकी के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ब्रायन साइक्स का मानना है, कि रोम के लोगों द्वारा लाए गए अफ्रीकी या एशिया मूल के सैनिकों व गुलामों के माध्यम से ये जीन ब्रिटिश लोगों में पहुंचे। उन डेयरी किसानों, जिनका 100 वर्ष तक का पारिवारिक इतिहास ज्ञात था, उनके डी०एन०ए० में भी सशक्त अफ्रीकी जीन की उपस्थिति साइक्स ने दर्ज की।
बहुत सी दूसरी खोजों को आसानी से व्यक्त नहीं किया जा सकता। साइक्स ने एडिनबर्ग की प्राइमरी स्कूल की एक अध्यापिका जिसको उसके परिवार के लगभग 200 वर्षों से ब्रिटिश मूल का, होने की जानकारी थी उसके डी०एन०ए० में पोलिश जीन की उपस्थिति देखी जो कि वहां की जनजातियों में ही मिलता है । जो कि दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र में पाई जाती हैं।
साइक्स ने निष्कर्ष निकाला कि लोगों का अपने स्थान से दीर्घकालीन पलायन और उस दौरान उनका दूसरे लोगों से मिलना मानवीय सभ्यता का अभिन्न अंग रहा है । जीव वैज्ञानिक आधार पर भी विभिन्न जातियों को वर्गीकृत करने का कोई अर्थ नहीं है और हम सभी जटिल रूप से अनुवांशिक तौर पर एक दूसरे से मित्श्रित व जुड़े हैं ।
अश्वेत ब्रिटिश लोगों के विश्लेषण से भी उनके पूर्व काल के उन लोगों, जो दास बनाने वाले व्यापारियों के द्वारा, पकड़कर दास बनाए गए थे, से संबंधों का पता चलता है। कुछ आधुनिक शोध भी यही प्रदर्शित करते हैं, कि जो ब्रिटिश यह मानते है कि उनकी जाति अनुवांशिक रुप से बिल्कुल शुद्ध है वास्तविकता इसके विपरीत है।
सौजन्य से: द टाइम्स ऑफ इंडिया 21मई 2001 (पृष्ठ संख्या 8 अन्तर्राष्ट्रीय पृष्ठ पर लेख । )
इस लेख से ये सिद्ध होता है कि भारत के किसी भी व्यक्ति के DNA की जाँच शोध किसी विदेशी देशों के व्यक्तियों से नहीं हुयी थी और महिलाओं में भी DNA जीन स्थानातरित हो सकते है ।(उदाहरण ब्रिटिश स्कूल अध्यापिका)
21 मई 2001 The times of India का गलत उदाहरण देकर, भ्रमित ,असत्य DNA शोध रिपोर्ट को मानसिक कुविचार आधार बनाकर 17-सालों से तथाकथित मूढ़- अज्ञानी व्यक्तियों ने भारत देश की भोली भाली ग्रामीण जनता को भेड़-बकरियों की तरह चराया । मुझे खेद है कि कैसे 17 सालों से भोल-भाली ग्रामीण जनता ने आँख बंद करके ऐसे मूढ़-अज्ञानी व्यक्तियों पर अंध विश्वास किया और भारत देश को विभिन्न जातियों में खण्ड-खण्ड करने तथा भारत देश की अखंण्डता को कमजोर (जर-जर) किया और धिक्कार है हम पढ़े लिखे समाज पर जिन्होने इस पाखंड दुष्प्रचार का खंडन करने का प्रयास नहीं किया ।
जागो भारत वासियों जागो भारत की सनातनी अखंण्डता को तोड़ने वाले लोगों को पहचानो अन्यथा भविष्य में हमें पछताना पड़ेगा और भारत राष्ट्र गुलामी की ओर अग्रसर होगा ।
जय हिन्द् ,सादर नमस्ते ।