भारतीय शिक्षण मंडल ने मनाया 48 वां स्थापना दिवस
चंडीगढ़ : भारतीय शिक्षण मंडल, चंडीगढ़ महानगर इकाई ने पंजाब विश्वविद्यालय में आयोजित स्थापना दिवस के कार्यक्रम के अवसर पर शिक्षा के प्रारूप को पुनर्स्थापित करने की बात कही, कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित भारतीय शिक्षण मंडल के प्रान्त मंत्री श्री पुष्पेंद्र राठी ने सदस्यों के बीच मंडल के उद्देश्यों का विषय रखते हुए कहा कि अनादि काल से ही भारतीय शिक्षापद्धति पाठशालाओं और गुरुकुलों के कारण विश्वविख्यात रही है
नालंदा,तक्षशिला ,वल्लभी ,विक्रमशिला जैसे सुविख्यात शैक्षणिक संस्थान विराट स्वरुप में भारतवर्ष में संचालित होते थे,जिसमें समाज के सभी वर्गों को उन्नत एवं समग्र तथा अनुभूतिजन्य प्रायोगिक शिक्षा उपलब्ध कराई जाती थी,उन पद्धति को पुनः स्थापित करने के उद्देश्यों को लेकर भारतीय शिक्षण मंडल अपने आयामों, प्रकल्पों एवं अनुसंधान केंद्रों के माध्यम से कार्य कर रहा है
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो.सुकेश शर्मा, पंजाब विश्वविद्यालय ने कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा शिक्षा के प्रति समाज जागरण करने एवं अनुसंधान के क्षेत्र में किया जा रहा सार्थक प्रयास निश्चित रूप से शिक्षण पद्धति की दिशा में अतुलनीय होगा,क्योंकि शिक्षा का सम्बन्ध समाज के प्रति स्वयं के उत्तरदायित्व से है,इसलिए शिक्षा को भारत केंद्रित शिक्षा बनाने के लिए हम सबको संगठित होकर प्रयास करने होंगे ,इन्हीं उद्देश्यों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय सरसंघचालक श्री बालासाहब देवरस ने वर्ष 1969 में रामनवमी के पावन दिवस पर भारतीय शिक्षण मंडल की स्थापना की थी,तब से यह संगठन शिक्षा, शिक्षण पद्धति एवं शैक्षिक पाठ्यक्रम के क्षेत्र में नित नवीन आयाम स्थापित करने की दिशा में प्रयासरत है
कार्यक्रम के संचालक एवं महानगर संयोजक प्रो. संजय कौशिक ने शिक्षा को सामाजिक उत्तरदायित्व का विषय निरूपित करते हुए कहा कि इन्ही उद्देश्यों को लेकर आगामी 28 से 30 अप्रैल को उज्जैन में विराट गुरुकुल सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जिसमें भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्री ,श्री प्रकाश जावड़ेकर , कई राज्यों के मुख्यमंत्री, अंतर्राष्ट्रीय स्तर के वरिष्ठ शिक्षाविद , विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, देश विदेशों में संचालित गुरुकुलों के प्रतिनिधि सहित विभिन्न धर्मों के धर्माचार्य सम्मेलन में शामिल होकर गुरुकुल शिक्षा पद्धति ,शिक्षण पद्धति की दशा एवं दिशा जैसे विषयों पर विचार विमर्श करेंगे