गाय का क्यों, किसी भी प्रश्न पर कानून में हाथ में लेना, हिंसा करना, तोड़-फोड़ करना ये अत्यंत अनुचित अपराध है। और उस पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए। अपराधियों को सजा होनी चाहिए। परंतु गाय ये परम्परागत श्रद्धा का विषय तो है ही। मानव बिन्दु माना जाता है। गाय, मैं जानवारों का डॉक्टर हूं, मैं जानता हूं शास्त्र को। उसके हवाले से कह रहा हूं। अपने देश के छोटे किसान जो बहु संख्या में हैं। उनके अर्थायाम का आधार गाय बन सकता है, दूसरा कुछ नहीं बन सकता। अनेक ढंग से वो गाय उपकारी है। अब सारी बातें बाहर आ रही हैं। ई टू मिल्क की बात होती है। पहले नहीं थी, अब मालूम हो गया है विज्ञान। तो गौरक्षा तो होनी चाहिए। संविधान का भी मार्गदर्शक तत्व है। तो उसका पालन करना चाहिए। लेकिन गौरक्षा केवल कानून से नहीं होती। गौरक्षा करने वाली देश के नागरिक गाय को पहले रखें। गाय को रखेंगे नहीं और खुला छोड़ देंगे तो उपद्रव होगा। वो गौरक्षा के बारे में आस्था पर प्रश्न उठता है। इसलिए गौसंवर्धन इसका विचार होना चाहिए। गाय के जितने सारे उपयोग हैं, सामान्य राजमर्रा के जीवन में वो कैसे आज लागू किए जाएं, कैसे तकनीकी का उपयोग करके उसको घर तक पहुंचाया जाए, इस पर बहुत लोग काम कर रहे हैं। वो गौरक्षा की बात करते हैं, वो लींचिंग करने वालों में नहीं हैं। वो समाज की भलाई के लिए काम कर रहे हैं, सात्विक प्रवृत्ति के लोग हैं। पूरा का पूरा जैन समाज इस पर तुला है और भी अनेक लोग हैं। अच्छी गौशालाएं चलाने वाले, भक्ति से चलाने वाले, मुसलमान भी अपने देश में बहुत जगह हैं। इन सब लोगों को लींचिग के साथ कभी जोड़ना नहीं चाहिए। इनके कार्य को प्रोत्साहन मिलना चाहिए क्योंकि वो अपने देश के सामान्य व्यक्ति के हित का काम है, अपने देश की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा आधार साबित हो सकता है। और इसलिए गौ तस्कर हमला करते हैं तो उसको भी अब लींचिंग पर आवाज करते हैं। और गौ तस्कर हमला करते हैं, हिंसा करते हैं उस पर आवाज नहीं होती है। ये दोगली प्रवृत्ति छोड़नी चाहिए। इन सबका समाधान यही है। गाय के बारे में लोगों में जागृति लाना। उसके क्या-क्या उपयोग हैं, हो रही है, बन रही है। और सारी बातें आजकल कागजों में मौजूद है, वैज्ञानिकों में शोध हुआ उसके डॉक्युमेंट्स उपलब्ध हैं और गौरक्षा का काम करने वाले लोग, सात्विक प्रवृत्ति से इस एक काम को बढ़ा रहे हैं, वो बढ़ेगा। जो उपद्रवी तत्व हैं, उनके साथ जोड़कर उनको देखना नहीं इतना कर लें हम और समाज को जागृत करें तो गौरक्षा का काम होगा, देश का लाभ होगा और गाय के सानिध्य का ये प्रत्यक्ष अनुभव है, हाथों से गौ सेवा करने वाले की आपराधिक प्रवृत्ति कम हो जाती है, जेल की गौशालाओं में ये प्रयोग हो चुके हैं। देश का ये अपराध वगैरह भी कम हो जाएगा। ऐसा मुझे लगता है।