जगदीश भाटी : अभी जो आप नीचे पढ़ने वाले है, हो सकता है आपको जानकर बहुत गुस्सा आये आप यकीन न कर पाएं पर ये चीजें सच है अगर एक सवाल किया जाये कि भारत का इस दुनिया में सबसे करीबी मित्र देश कौन सा है तो फटाक से आपके मुँह से इजराइल का नाम निकल आएगा ! 1999 में कारगिल युद्ध हो रहा था, दुश्मन पहाड़ी के ऊपर था भारत के पास लेजर गाइडेड मिसाइल नहीं थे, रूस ने भी नहीं दिया और न ही अमरीका ने , इजराइल ने हमे लेजर गाइडेड मिसाइल दिया, अमेरिका के ऐतराज़ के बाबजूद दिया, और हमने उसका इस्तेमाल किया इजराइल भारत का सबसे करीबी मित्र रहा है,
पर आपको हम बताएं कि 1947 से आज तक भारत का कोई भी प्रधानमंत्री इजराइल कभी गया ही नहीं तो आपको शायद यकीन न हो, अरे आजतक कोई प्रधानमंत्री इजराइल गया ही नहीं देखिये इजराइल प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के ऑफिस के आधिकारिक ट्वीट्स — बैंजामिन नेतन्याहू ने कहा, “मेरे मित्र मोदी अगले हफ्ते इजराइल आ रहे हैं स्वागत में कोई कोर कसर नही छोडगे ये एक ऐतहासिक यात्रा है, 70 साल हो गए पर आजतक कोई भी भारतीय प्रधानमंत्री इजराइल नहीं आया, मोदी आ रहे हैं”, मोदी अभी अमरीका की यात्रा पर है, वहां से नीदरलैंड और इजराइल की यात्रा है आप देख रहे है इजराइल के प्रधानमंत्री ने क्या बोला है, उन्होंने हमारे देश के सेकुलरिज्म की पोल खोल दी है इजराइल भारत का सबसे करीबी मित्र है, युद्ध के समय भारत का साथ देने वाला मित्र और आज तक कोई भारतीय प्रधानमंत्री इजराइल ही नहीं गया क्यों नहीं गया उसका कारण देखिये कोई भी प्रधानमंत्री इजराइल नहीं गया क्यूंकि इस से भारत में मुस्लिम नाराज हो सकते है क्यूंकि मुस्लिमो की आस्था फिलिस्तीन में है, इजराइल से नफरत करते है, और हमारे वोट बैंक वाले प्रधानमंत्रियों ने इसी कारण कभी इजराइल की यात्रा की ही नहीं हमारे देश के नेताओं ने भारत का लाभ नहीं बल्कि वोटबैंक देखा, देशहित से अधिक वरीयता तुष्टिकरण को दी नरेंद्र मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने तुष्टिकरण को नहीं बल्कि भारत को वरीयता दी, इजराइल से भारत की करीबी का साफ़ मतलब है भारत का फायदा क्यूं कि इजराइल दुनिया में युद्ध तकनीक में नंबर 1 है हम एक बात आज पक्के दावे से कह सकते है नरेंद्र मोदी भारत के आज तक के सबसे सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री हैं, और ये चीज अब स्पष्ट हो चुकी है क्यूंकि पहले के प्रधानमंत्री ( लाल बहादुर शास्त्री को छोड़कर क्योंकि उनको इतना समय नहीं मिला था ) वोटबैंक के सामने देशहित की अवहेलना करते रहे, पर मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने तुष्टिकरण नहीं बल्कि देशहित को वरीयता दी !!
भारत के इतिहास में सर्वप्रथम भारत के प्रधानमंत्री मोदीजी इजरायल की यात्रा पर जा रहे हैं… इन गांधियो ने तो वोट बैंक के लिए मुसलमानो को खुश करने की खातिर कभी इजरायल के साथ किसी भी तरह का कोई समबन्ध नही रखा ..
भारत जब थोड़े सालो के लिए इन गांधियो के चंगुल से मुक्त हुआ और पीवी नरसिम्हाराव प्रधानमंत्री बने थे तब 1992 में भारत ने इजरायल के साथ राजनयिक समबन्ध स्थापित किये और दिल्ली व मुंबई में इजरायल के दूतावास खोलने की मंजूरी दी …
भारत ने अब तक अपनी समस्त ताकत फिलिस्तीनी आतंकी यासिर अराफात के पीछे खर्च कर दी थी … उसे करोड़ो रूपये गाँधी शांति पुरस्कार से लेकर नेहरु पुरस्कार आदि में दिए गये ..राजीव गाँधी ने तो उसे उड़ने के लिए एक बोईंग 747 गिफ्ट में दिया था ..
यासिर अराफात को छींक भी आती थी तब वो भागकर दिल्ली चला आता था .. इंदिरा और राजीव उसके लिए पलकें बिछाए इंतजार में रहते थे …
जब आतंकवादी यासिर अराफात ने फिलिस्तीन राष्ट्र की घोषणा की तो फिलिस्तीन को सबसे पहले मान्यता देने वाला देश कौन सा था??…..
सउदी अरब — नहीं
पाकिस्तान —- नहीं
अफगानिस्तान — नहीं
हिंदुस्तान —— जी हा…..
इंदिरा गाँधी ने मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए सबसे पहले फिलिस्तीन को मान्यता दिया और यासिर अराफात जैसे आतंकवादी को नेहरु शांति पुरस्कार (20 करोड़ रूपये और 7 किलो सोने से बना शील्ड) दिया और राजीव गाँधी ने उसको इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय शांति पुरस्कार (15 करोड़ और पाँच किलो सोने से बना शील्ड ) दिया. राजीव गाँधी ने तो उसको पूरे विश्व में घूमने के लिए बोईंग 747 गिफ्ट में दिया था….
अब आगे सुनिए…
वही खुराफात सॉरी अराफात ने OIC ( Organisation of islamic countries ) में कश्मीर को पाकिस्तान का अभिन्न भाग बताया और बोला कि पाकिस्तान जब चाहे, तब मेरे लड़ाके कश्मीर की आज़ादी के लिए लड़ेंगे. इतना ही नही, जिस व्यक्ति को दुनिया के 103 देश आतंकवादी घोषित किये हो और जिसने 8 विमानों का अपहरण किया हो और जिसने दस हज़ार से भी ज्यादा निर्दोष लोगो को मारा हो. ऐसे आतंकवादी यासिर अराफात को सबसे पहले भारत ने किसी अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार ने नवाजा…..
जी हाँ, इंदिरा गाँधी ने इसे नेहरु शांति पुरस्कार दिया. जिसमे 20 करोड़ रुपये नगद और 7 किलो सोने से बना एक शील्ड होता है……और उस समय बोइंग 747 की कीमत 150 करोड़ हुआ करती थी
आप सोचिये, 1983 मे मतलब आज से करीब 34 साल पहले 190 करोड रूपये और 14 किलो सोने की क्या वैल्यू होगी??…..
फिर राजीव गाँधी ने इसे इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार से नवाजा……
फिर बाद मे यही खुराफात,सॉरी अराफात कश्मीर के मामले पर खुलकर पाकिस्तान के साथ हो गया और इसने घूम घूमकर पूरे इस्लामिक देशो मे कहा कि फिलिस्तीन और कश्मीर दोनों जगहों के मुसलमान गैर मुसलमानों के हाथो मारे जा रहे है. इसलिए पूरे मुस्लिम जगत को इन दोनों मामलो पर एकजुट होना चाहिए……
हाय रे खाँग्रेस की सत्ता के लिए वोट बैंक की गंदी और घटिया राजनीती .
~साभार