एकरगल दोष
विवाह लग्न के समय पर यदि अशुभ योग अशुभ योग जैसे गण्ड व्यतिपात विषकुम्भ व्याघात शूल वैघृति वज्र परिधि और अतिगण्ड चल रहे हो और उसी समय चन्द्रमा का नक्षत्र [ जिसमे चन्द्रमा चल रहा हो ] सूर्य के नक्षत्र से विषम संख्या में हो जैसे 1,3,5,7,9 में हो तो इसे एकरगल दोष कहते है ||
यह दोष बहुत हानिकारक होता है ||
इस दोष में वर कन्या में से किसी एक के लिए भयंकर बीमारी धनहानि या मृत्यु तुल्य कष्ट का सामना करना पड़ता है ||
उदाहरणार्थ
सूर्य का नक्षत्र अश्विनी है तथा
चन्द्रमा का भ्रमण काल कृतिका नक्षत्र पर चल रहा हो
तो यह संख्या विषम हो जाती है ||