पात दोष
विवाह लग्न के समय पर सूर्य जब भिन्न-2 नक्षत्रो पर भ्रमण करता है तो अपनी विशेष परिस्थिति में वह कुछ नक्षत्रें को बुरी तरीके से प्रभावित करता है तो उसको पात दोष कहते है ||
चार्ट के द्वारा समझिये
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सूर्य का नक्षत्र विवाह नक्षत्र
पर प्रभाव
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आद्रा पुनर्वसु मूला
पूर्वा फाल्गुनी रोहणी
मृगशिरा आर्द्रा ज्येष्ठा
हस्त मघा धनिष्ठा मृगशिरा
अश्विनी मृगशिरा ज्येष्ठा
पुष्य हस्त रेवती उत्तर मघा
आद्रा विशाखा पूर्वभाद्रपद
पूर्वाफाल्गुनी उ.फा. कृतिका
भरणी मृगशिरा मघा स्वती
शतभिषा पूर्वाभाद्रपद हस्त
कृतिका श्रवण धनिष्ठा
पुष्य हस्ता रेवती स्वाति
अश्विनी आद्रा पू.फा.
पूर्वाषाढ़ा उत्तराषाढ़ा
पूर्वाभाद्रपद अनुराधा
रोहणी ज्येष्ठा धनिष्ठा मूला
आश्लेषा उत्तराभाद्रपद मूला
भरणी पुनर्वसु शतभिषा
विशाखा अनुराधा
उत्तराषाढ़ा उत्तराषाढ़ा
भरणी शतभिषा विशाखा
उ.फा. पू.फा. मूला उत्तराभाद्रपद
अश्विनी मघा धनिष्ठा ज्येष्ठा
स्वाति पूर्वाफाल्गुनी रेवती
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जब सूर्य
उपरोक्त नक्षत्रो में होगा
तो विवाह नक्षत्र जो उसके सामने बाएं को दिया है उसे पात दोष लगेगा ||
यदि सूर्य और चन्द्र
अपने-2 नक्षत्रो के एक जैसे ही चरण में हो तो दोष अधिक होगा ||