प्रथम लता दोष
लता दोष : अपने से पिछले नक्षत्र को लात मारता है ||
इसलिए इसे लता दोष कहते है ||
बुध राहु शुक्लपक्ष का चन्द्रमा और शुक्र जिस नक्षत्र में बैठे होते है वहां से पीछे के नक्षत्र में क्रमशः 7,9 व 22वें नक्षत्र को लात मारते है ||
यदि गुरु रेवती नक्षत्र में बैठा हुआ है तो वह अपने से सातवीं नक्षत्र पीछे उत्तराषाढ़ा नक्षत्र को वार करेगा ||
इसीप्रकार सूर्य शनि गुरु मंगल जिस नक्षत्र में बैठे है वहां से 3,6 व 8वें को लात मारेगा ||
लता दोष का प्रभाव अधिक हो सकता है यदि जो ग्रह लात मार रहा है और जिस ग्रह को लात मार रहा है अर्थात चन्द्रमा को वे दोनों ही एक चरण में हो उदाहरणार्थ सूर्य अश्वनी में होते हुए उत्तराफाल्गुनी पर वार करेगा ( चन्द्र जो उत्तराफाल्गुनी में हो ) और यदि सूर्य अश्विनी के पहले चरण (पद) में है और चन्द्रमा भी उत्तरफाल्गुनी के पहले चरण में है तो लता दोष एक चरण में उसी चरण को अधिक हानिकारक होगा ||