कुमार गिरीश, जयपुर : यू तोह राहु छाया ग्रह है लेकिन फिर भी इसका प्रभाव कुंडली में अधिक और असहनीय भी रहता है लेकिन राहु हमेशा बुरे फल नही देता वह तो सिर्फ सब कुछ होने के बाद भी कुछ ना होने का अहसास है, खैर राहु चाहे तो जातक को आत्मज्ञानी बना दे राहु भ्रम की तरह काम करता है बिना राहु के कोई भी ज्योतिषी नही बन सकता राहु आपको वो ताकत देता है की आप चीजो की गहराइयों के साथ साथ वह भी सोच लेते है जो कोई दूसरा नही सोच सकता।
राहु यू तोह जिस भी ग्रह के साथ हो उसकी शक्ति छीन कर खुद उसका फल देता है सूर्य चंद्र को तोह ऐसा ग्रसित करता है मानो वह मात्र एक गोलाकार फल हो।
राहु प्रथम भाव में हो तो जातक हमेशा भ्रमित रहता है जाने अनजाने में कई भूल करता है वैवाहिक जीवन में फसा फसा महसूस करता है , दूसरे भाव में हो तो वाणी श्रापित करता है मृत्यु के समय शारीरक पीड़ा देता है मैने देखा है इस योग के कारण कई लोगो की जीभ काली होती है या तिल या दाग जिव्हा पे तो होता ही है।
तीसरे ,छठे ,दसवे और एकादश में राहु काफी हद तक शुभ परिणाम देता है तीसरा राहु पराक्रम बढाता है कई बार छोटे भी बहन धोका देते है लेकिन व्यक्तिगत रूप से सही होता है, दसवे में हो तो जातक कार्यक्षेत्र में अचानक उछाल पाता है खैर कई बार जातक संघर्ष भी करता है, ग्यारवे में भी अच्छा ही होता है।
मिथुन कन्या का राहु सदा शुभ ऐसा राहु जीवन में उचाइयां देता है कुछ हद तक बुध के साथ युति हो तो राज कारक होता है ।
सिंह , मेष, वृश्चिक का राहु बेकार फल ज्यादा देता है लेकिन इनके स्वामी शुभ ग्रहो के साथ हो तो थोड़ा सुख मिल जाता है।
पाचवे का राहु पुत्रो के लिए शिक्षा के लिए बिल्कुल ठीक नही ऐसे लोग शिक्षा के मामले में भ्रमित रहते है दिमाग में कुछ अलग ही चलता है इनके , कई बार पाचन तंत्र में खराबी ला देता है, प्रेम चक्कर में ये अवश्य पड़ते है और कुछ समय बाद प्रेमी इन्हें छोड़ भी देते है जिससे विद्या अध्यन में बाधा आती है।
किसि स्त्री के पांचवे भाव में राहु हो सातवे में शुक्र और एकादश में मंगल हो तो ऐसी स्त्री शादी होने के पहले बहकने के योग बनते है जिससे शादी के पूर्व ही इनकी सन्तान योग बनता है,अगर राहु शुक्र भी पाचवे में हो तो चरित्र में खनन हो जाता है।
चौथे में राहु शांत होता है लेकिन ऐसे जातक के घर में कलह रहती है जातक अगर जन्म भूमि छोड़ दे तोह काफी तरक्की होती है , खैर यहा का राहु जन्मभूमि और जमीन से दूर ही रखता है ऐसे जातक को मैं का नशा भी बहुत रहता है मिथुन कन्या का होतो स्वतन्त्र राजयोग का निर्माण करता है और आत्मज्ञान भी देता है , दिल भी कई बार टूटता है ऐसे जातको के कॉलेज के समय पर कुछ ऐसी घटनाये या झगड़ा हो जाता है की उसके बाद वो वहां के मित्रो से दूरी बना लेते है या बीच में कॉलेज ही छोड़ देते है यह मेरा सटीक अनुभव रहा है।
19 वे साल राहु चमत्कारिक फल देता है जिस भी भाव में बैठा हो उसका और यही वो उम्र होती है जब जातक प्रेम और फालतू के बारे में गहराइयों से सोचता है।
आठवे का राहु तन्त्र मंत्र और काले जादू में परांगत करता है कई बार ये इन सब चपेटे में आ जाते है खैर गुरु की दृष्टि पड़े तो ज्योतिष में भी तरक़्क़ी पूर्ण ज्ञान मिलता है।
नौवा राहु हो तो जातक धार्मिक होने का दिखावा करता है इन्हें पहचानने में अक्सर भूल हो जाती है लेकिन दिमाग के बड़े होशियार होते है चौथे , दसवे और नव्वे का राहु जातक को चालाक बनाता है।
सातवां राहु हो तो जातक से उसका जीवनसाथी हमेशा दूर भगने की कोशिश करता है कई बार धोखा देता है , कई बार अंतरजातीय विवाह करता है, तलाक भी कराता है शुक्र गुरु शुभ हो तो शादी चल जाती है।
बारवा हो तो कई बार अनैतिक काम करता है जिसके चलते जेल होने की सम्भावना अक्सर होती है, विदेश भ्रमण भी कराता है।
चौथे, बारवे और नववें का राहु विदेश यात्रा कराने में मदत करता है।
शनि के साथ बुरे परिणाम, सूर्य के साथ हो तो मान सम्मान में हानि चरित्र को खराब करता है, चन्द्र के साथ हो तो मन को भटकाता है , मंगल के साथ ठीक ही होता है लेकिन blood pressure होने की सम्भावना , दुर्धटना होने की सम्भावना रहती है, बुध के साथ बुद्धि को भ्रमित करता तो है लेकिन कई बार बहुत अच्छे परिणाम देते पाया गया है गुरु के साथ अशुभ , शुक्र के साथ हो तो बिगाड़ देता है।
राहु जहा भी हो वहां से सबंधित चीजो के लिए झुक जाओ तो ठीक लेकिन परिस्तिथियाँ कुछ ऐसी होती है की जातक उन चीजो के सामने झुकता ही नही किसी भी हालात में और फिर राहु अपना खेल खेलता है।
लेकिन हां आज के तारीख में जीसका राहु बलि है वह सर्वथा यशस्वी है राजनीति का कारक मैं राहु और शनि को ही मानता हु राहु बलि रहा तोह जातक अध्यात्म की गहराइयों तक जाता है और ब्रम्हज्ञान पाता है बस गुरु भी शुभ हो , राहु से डरे नही महादेव की आराधना करे लालच से बचे महाबली हनुमान की गाथा गाये शुभ फल मिलेगा।
।।गुरुदेव दत्त।।।
ॐ अंजनीपुत्राय रामदूताय गुरुवर मारूत्ये नमः