पंडित पंकज शास्त्री, बीकानेर : हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद श्राद्ध करना बेहद जरूरी माना जाता है। मान्यतानुसार अगर किसी मनुष्य का विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण ना किया जाए तो उसे इस लोक से मुक्ति नहीं मिलती और वह भूत के रूप में इस संसार में ही रह जाता है।
पितृ पक्ष का महत्त्व
ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार देवताओं को प्रसन्न करने से पहले मनुष्य को अपने पितरों यानि पूर्वजों को प्रसन्न करना चाहिए। हिन्दू ज्योतिष के अनुसार भी पितृ दोष को सबसे जटिल कुंडली दोषों में से एक माना जाता है। पितरों की शांति के लिए हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक के काल को पितृ पक्ष श्राद्ध होते हैं। मान्यता है कि इस दौरान कुछ समय के लिए यमराज पितरों को आजाद कर देते हैं ताकि वह अपने परिजनों से श्राद्ध ग्रहण कर सकें।
वर्ष 2016 में पितृ पक्ष श्राद्ध की तिथियां निम्न हैं:
तारीख दिन श्राद्ध तिथियाँ
16 सितंबर शुक्रवार पूर्णिमा श्राद्ध
17 सितंबर शनिवार प्रतिपदा
18 सितंबर रविवार द्वितीया तिथि
19 सितंबर सोमवार तृतीया – चतुर्थी (एक साथ)
20 सितंबर मंगलवार पंचमी तिथि
21 सितंबर बुधवार षष्ठी तिथि
22 सितंबर गुरुवार सप्तमी तिथि
23 सितंबर शुक्रवार अष्टमी तिथि
24 सितंबर शनिवार नवमी तिथि
25 सितंबर रविवार दशमी तिथि
26 सितंबर सोमवार एकादशी तिथि
27 सितंबर मंगलवार द्वादशी तिथि
28 सितंबर बुधवार त्रयोदशी तिथि
29 सितंबर गुरुवार अमावस्या व सर्वपितृ श्राद्ध
Res Pandit g. Gaya g mein pind bhar k gati karwane k baad kya Sharradh kerna nahien chahiye. Purohit g ne kowe ( crow) ka aur Dogi ka gras nikalne se bhee manna kiya thhha.