विजय , देहारादून : महाशिवरात्रि के दिन शिव की पूजा करते हैं. भक्त मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर बेल-पत्र आदि चढ़ाकर पूजन करते हैं. साथ ही लोग उपवास तथा रात को जागरण करते हैं. शिवलिंग पर बेल-पत्र चढ़ाना, उपवास तथा रात्रि जागरण करना एक विशेष कर्म की ओर इशारा करता है. यह माना जाता है कि इस दिन शिव का विवाह हुआ था, इसलिए रात्रि में शिवजी की बारात निकाली जाती है.
वास्तव में शिवरात्रि का परम पर्व स्वयं परमात्मा के सृष्टि पर अवतरित होने की याद दिलाता है. ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, स्त्री-पुरुष, बालक, युवा और वृद्ध सभी इस व्रत को कर सकते हैं. इस व्रत के विधान में सवेरे स्नानादि से निवृत्त होकर उपवास रखा जाता है.
शिवरात्रि पर सच्चा उपवास यही है कि हम परमात्मा शिव से बुद्धि योग लगाकर उनके समीप रहे. उपवास का अर्थ ही है समीप रहना. जागरण का सच्चा अर्थ भी काम, क्रोध आदि पांच विकारों के वशीभूत होकर अज्ञान रूपी कुम्भकरण की निद्रा में सो जाने से स्वयं को सदा बचाए रखना है.
शिवरात्रि के पर्व पर जागरण का विशेष महत्व है. पौराणिक कथा है कि एक बार पार्वतीजी ने भगवान शिवशंकर से पूछा, ‘ऐसा कौन-सा श्रेष्ठ तथा सरल व्रत-पूजन है, जिससे मृत्युलोक के प्राणी आपकी कृपा सहज ही प्राप्त कर लेते हैं?’ उत्तर में शिवजी ने पार्वती को ‘शिवरात्रि’ के व्रत का उपाय बताया.
चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं. अत: ज्योतिष शास्त्रों में इसे परम शुभफलदायी कहा गया है. वैसे तो शिवरात्रि हर महीने में आती है. परंतु फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ही महाशिवरात्रि कहा गया है. ज्योतिषीय गणना के अनुसार सूर्य देव भी इस समय तक उत्तरायण में आ चुके होते हैं तथा ऋतु परिवर्तन का यह समय अत्यन्त शुभ कहा गया है. शिव का अर्थ है कल्याण. शिव सबका कल्याण करने वाले हैं. अत: महाशिवरात्रि पर सरल उपाय करने से ही इच्छित सुख की प्राप्ति होती है चतुर्दशी तिथि को चंद्रमा अपनी क्षीणस्थ अवस्था में पहुंच जाते हैं, जिस कारण बलहीन चंद्रमा सृष्टि को ऊर्जा देने में असमर्थ हो जाते हैं. चंद्रमा का सीधा संबंध मन से कहा गया है. अब मन कमजोर होने पर भौतिक संताप प्राणी को घेर लेते हैं तथा विषाद की स्थिति उत्पन्न होती है, जिससे कष्टों का सामना करना पड़ता है. चंद्रमा शिव के मस्तक पर सुशोभित है. इसलिए चंद्रदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए भगवान शिव का आश्रय लिया जाता है.
एक कथा यह भी बताती है कि महाशिवरात्रि शिव की प्रिय तिथि है, इसलिए प्राय: ज्योतिषी शिवरात्रि को शिव अराधना कर कष्टों से मुक्ति पाने का सुझाव देते हैं. शिव आदि-अनादि है. सृष्टि के विनाश और पुन:स्थापन के बीच की कड़ी हैं. ज्योतिष में शिव को सुखों का आधार मान कर महाशिवरात्रि पर अनेक प्रकार के अनुष्ठान करने की महत्ता कही गई है.