इन्द्रकृष्ण भारद्वाज(बीकानेर) : भाग्योदय के लिए किस महीने में क्या करें ?
कार्तिक में तिल-दान, नदी-स्नान, सदा साधु पुरुषों का सेवन और पलाश-पत्र से बनी पत्तल में भोजन मोक्ष देने वाला है।
‘पुष्कर पुराण’ में आता हैः जो मनुष्य कार्तिक मास में संध्या के समय भगवान श्रीहरि के नाम से तिल के तेल का दीप जलाता है, वह अतुल लक्ष्मी, रूप, सौभाग्य एवं सम्पत्ति को प्राप्त करता है।’ कार्तिक मास में बैंगन तथा करेला और माघ मास में मूली का त्याग कर देना चाहिए।
कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूनम तक का व्रत ‘भीष्मपंचक व्रत’ कहलाता है। जो इस व्रत का पालन करता है, उसके द्वारा सब प्रकार के शुभ कृत्यों का पालन हो जाता है। यह महापुण्यमय व्रत महापातकों का नाश करने वाला है। निःसंतान व्यक्ति पत्नी सहित यह व्रत करे तो उसे संतान की प्राप्ति होती है।
जो चतुर्मास में प्रतिदिन नक्षत्रों का दर्शन करके ही एक बार भोजन करता है, वह धनवान, रूपवान और माननीय होता है।
कार्तिक मास में बैंगन और माघ मास में मूली का त्याग कर देना चाहिए।
जो मनुष्य नियम, व्रत अथवा जप के बिना चौमासा बिताता है वह मूर्ख है और जिसने साधन-भजन द्वारा इस अमूल्य काल का लाभ उठाया उसने मानो अमृत-कुंभ पा लिया।
सावन में साग वर्जित है और भादों में दही-छाछ। कहावत भी हैः
भादों की दही भूतों को, कार्तिक की दही पूतों को।
चैत्र मास में 15 दिन ‘अलोने व्रत (बिना नमक का आहार लेना) रखने से रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ती है व वर्ष भर रोगों से रक्षा होती है।
Gud-morg sir, i read ur tips its vry useful plz let me knw every thing u post ..
अंत उतर विचार ििदयेंहै इनका बखान शास्त्रों में पढा है आपका साधुवाद, , आरके शर्मा विक्रमा अलफा न्यूज इंडिया