मुहूर्त में तिथि का महत्व
तिथि 2 प्रकार की
प्रथम : सौर मास की तिथियाँ
यह तिथियाँ
सूर्य संक्रांति के दिन से शुरू होती है ||
अर्थात जिस दिन सूर्य राशि परिवर्तन करता है ||
जैसे ही सूर्य एक राशि में प्रवेश करता है तो उसका एक दिन कहलाता है ||
द्वितीय : चन्द्र मास की तिथियाँ
चन्द्र तिथियाँ
सूर्य तिथियों से भिन्न होती है ||
चन्द्रमा की एक कला को तिथि मानते है ||
तिथि का मान
चन्द्रमा की गति पर आधारित होता है ||
चन्द्र तिथियाँ कुल 30 होती है
15 तिथियाँ कृष्णपक्ष
तथा 15 शुक्लपक्ष में होती है ||
चन्द्रमा 2 पक्षो पर भ्रमण करता है ||
जब चन्द्रमा अँधेरे से उजाले की ओर भ्रमण करता है अर्थात अमावस्या से पूर्णिमा की ओर चलता है तो उसे शुक्ल पक्ष कहते है जिसमे चन्द्रमा का प्रकाश बढ़ता है ||
पूर्णिमा के बाद चन्द्रमा का प्रकाश घटता है जिसे कृष्ण पक्ष कहते है ||
शिवयोगी श्रीप्रमोदजी
चन्द्रमा की तिथियों का समय आगे पीछे रहता है ||
चन्द्रमा
12 अंश गति को पूर्ण करने में
जितना समय लगाता है वह एक
तिथि होती है :-
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तिथि
शुक्लपक्ष कृष्णपक्ष स्वामी
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प्रतिपदा प्रतिपदा अग्नि
द्वितीया द्वितीया ब्रह्मा
तृतीया तृतीया गौरी
चतुर्थी चतुर्थी गणेश
पञ्चमी पञ्चमी सर्प
षष्ठी षष्ठी स्कन्ध
सप्तमी सप्तमी सूर्य
अष्टमी अष्टमी शिव
नवमी नवमी दुर्गामाँ
दशमी दशमी यम
एकादशी एकादशी विश्वदेवा
द्वादशी द्वादशी श्रीविष्णु
त्रयोदशी त्रयोदशी कामदेव
चतुर्दशी चतुर्दशी शिव
पूर्णिमा पूर्णिमा चन्द्रमा
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