विवाह लग्न निकालना
विवाह का शुद्घ समय निकालने के लिए उस समय गोचर के ग्रहों का शुभ और अशुभ स्थिति जो उस समय किसी अशुभ स्थान में भ्रमण न कर रहे हो ||
विवाह लग्न के समय
● सूर्य लग्न सप्तम भाव में चन्द्रमा लग्न, षष्टम सप्तम और अष्टम भाव में मंगल 1,7,8 व 10वें भाव में बुध 7 व 8वें भाव में बृहस्पति 7 व 8वें भाव में शुक्र 3,6,7 व 8वें भाव में शनि 1,7 व 12वें भाव में राहु व केतु 1 व 7वें भाव में नही होने चाहिए ||
लग्न निकालते समय
ध्यान रखें
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● लग्न का स्वामी जो भी ग्रह हो
वह 8वें भाव में नही होना चाहिए ||
● यदि ग्रह अच्छे स्थान पर बैठे है
तो उस समय इनका बल बढ़ जाता है ||
● इस बल को विश्वबल कहा जाता है ||
यह बल विवाह में बहुत महत्वपूर्ण होता है ||
शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
विवाह लग्न में विश्व-बल का महत्व
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ग्रह ग्रहो की विश्वबल
शुभस्थितिभाव
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सूर्य 3 6 8 11 3 1/2
चन्द्र 2 3 11 5
मंगल 3 6 11 1 1/2
बुध 1 2 3 4 5
6 9 10 11 2
गुरु 1 2 3 4
5 9 10 11 3
शुक्र 1 2 3 4
5 9 10 11 2
शनि 3 6 8 111 1 1/2
राहु-केतु 3 6 8 11 1 1/2
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शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
विवाह लग्न में देखिये
कितने ग्रह है जो अपने शुभ स्थान पर बैठ कर कितना अलग-अलग बल दे रहे है ||
सभी ग्रहो के बल को जोड़ कर
विवाह लग्न का विश्व बल आता है और
यदि यह बल
● 15 से 20 तक है तो उत्तम
● 10 से 15 तक है तो अच्छा
● 05 से 10 तक है तो मध्यम है ||
यदि इससे भी नीचे हो तो
उस लग्न को छोड़ देना चाहिए ||
किसी भी राशि का अंतिम नवांश देखे
● यदि वह वर्गोत्तम नही है तो उसे छोड़ देना चाहिए ||
● चर लग्न व चर नवांश भी जब चन्द्र तुला या मकर में हो : छोड़ देना चाहिए ||
● किसी भी लग्न राशि का नवांश यदि 7 9 3 6 राशि में पड़ता है तो
इसे शुभ समझना चाहिए ||
● विवाह लग्न का बल और विवाह लग्न का नवांश वर के लिए शुभ है ||
● सप्तम भाव का बल और सप्तम भाव का नवांश वधु के लिए शुभ है ||