विवाह मुहूर्त
त्रिबल-शुद्घि , त्रिबल शुद्घि अर्थात
3 ग्रहों का बल गोचर में शुद्घ रूप से बहुत अच्छा होना चाहिए ||
सूर्य चन्द्र गुरु के बल को ही त्रिबल शुद्घि कहते है ||
विवाह लग्न का मुहूर्त निकालते समय इन तीनों ग्रहो का बली होना जरूरी है ||
जन्मराशि से सूर्य 3,6,10 व 12वें भाव में शुभ माना जाता है ||
तथा 4,8,12वें भाव में अशुभ माना जाता है ||
इसके अतिरिक्त शेष भागीं में यदि सूर्य बैठा हो तो उसका पूजा पाठ दान कर के शुभ किया जा सकता है ||
जन्मराशि से गोचर में चन्द्रमा 1,3,6,7 व 11 भावो में शुभ माना जाता है ||
तथा 4,8,12 में चन्द्रमा पूर्ण रूप से अशुभ माना जाता है ||
शेष भाव 2,5,9 में पूजा के माध्यम से शुभ किया जा सकता है ||
जन्मराशि से गुरु 2,5,7,9,11 भावों में हो तो शुभ और 4,8,12 में गुरु पूर्ण रूप से अशुभ होता है ||
शेष भावो के गुरु को पूजा के माध्यम से शुभ किया जा सकता है ||
लग्न और नवांश जो जातक की जन्म राशि से 8वीं या12वीं राशि में पड़ते हो तो उन्हें छोड़ देना चाहिए ||
और विशेष रूप से जबकि जातक के लग्न का स्वामी ग्रह या जन्म राशि का राश्याधिपति और अष्टमेश एक दूसरे के शत्रु हो तो ऐसा जिन लोगो की जन्म राशि सम हो या जन्म लग्न में लग्न सम राशि का हो उनके साथ होगा ||
ऐसे व्यक्तियो के लिए जन्म लग्न या जन्म राशि से 8वीं राशि के लग्न और नवांश छोड़ देना चाहिए ||