वर-वधु की आयु की गणना
दीर्घायु का योग : कुण्डली मिलान के समय आयु की भी गणना करना चाहिए मुख्यतः दीर्घायु योगो में उत्पन्न लोगो की आयु 70 वर्ष या इससे अधिक होती है ||
इससे सम्बंधित कुछ योग इसप्रकार
● कुण्डली के केंद्र स्थान पर शुभ ग्रह हो लग्नेश शुभ ग्रह के साथ हो उसपर गुरु की शुभ दृष्टि हो ||
● केंद्र स्थान में गुरु और शुक्र एक साथ हो तथा केंद्र में स्थित लग्नेश गुरु और शुक्र की दृष्टि हो ||
● उच्च राशि में स्थित ग्रह के साथ शनि या अष्टमेश हो ||
● पाप ग्रह 3,6,11वें भाव में तथा शुभ ग्रह केंद्र त्रिकोण में हो और लग्नेश बलवान हो ||
● अष्टमेश जिस भाव में हो तथा उसका स्वामी जिस राशि में हो उस राशि का स्वामी लग्नेश के साथ केंद्र में हो ||
● लग्न में द्विस्वभाव राशि में हो लग्नेश केंद्र में हो तथा वह अपनी उच्च राशि मूलत्रिकोण राशि या मित्र राशि में हो ||
● द्विस्वभाव लग्न में जन्म हो तथा लग्नेश से केंद्र में 2 या अधिक पाप ग्रह हो ||
● शुभ ग्रह 6,7,8वें भाव में हो तथा पापी ग्रह 3,6,12वें भाव में हो ||