के के शर्मा, बीकानेर : हिन्दू नव वर्ष विक्रम संवत् का सम्बन्ध किसी भी धर्म से न होकर सारे विश्व की प्रकृति, खगोल सिद्धांत व ब्रम्हाण्ड़ के ग्रहो व नक्षत्रो से है ।
*18 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होगी और इसी के साथ ही हिन्दू नव वर्ष का आरंभ हो जाता है। चैत्र का महीना हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से साल का* *पहला महीना होता है। शास्त्रों के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन* *आदिशक्ति प्रगट हुई थीं और उनके कहने पर ही ब्रह्राजी ने सृष्टि के निर्माण का काम करना शुरू किया था।* *यही वजह है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है। 18 मार्च 2018से विक्रम संवत् 2075 आरंभ होगा।*
*स्वतंत्रता प्राप्ती के पश्चात* *नवम्बर 1952 में वैज्ञानिको और* *औद्योगिक परिषद के द्वारा पंचांग सुधार समिति की स्थापना की गयी । समिति के 1955 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में विक्रम संवत को भी स्वीकार करने की सिफारिश की । किन्तु, तत्कालिन प्रधानमंत्री पं. नेहरू के आग्रह पर ग्रेगेरियन केलेण्ड़र को ही राष्ट्रीय केलेण्ड़र के रूप में स्वीकार लिया गया ।ग्रेगेरियन केलेण्ड़र की काल गणना मात्र दो हजार वर्षो की अतो अल्प समय को दर्शाती है । जबकि यूनान की काल गणना 1582 वर्ष, रोम* *की 2757 वर्ष, यहूदी 5768, मिस्त्र की 28691, पारसी198875 तथा चीन की 96002305 वर्ष पुरानी है । इन सबसे अलग यदि भारतीय काल गणना की बात करें तो हमारे ज्योतिष के अनुसार पृथ्वी की आयु एक अरब 97 करोड़ 39 लाख 49 हजार 110 वर्ष है । जिसके व्यापक प्रमाण हमारे पास उपलब्ध हैं । हमारे प्राचीन ग्रंथो में एक एक पल की गणना की गई है ।जिस प्रकार ईस्वी संवत् का सम्बन्ध ईसा से है उसी प्रकार हिजरी सम्वत् का सम्बन्ध मुस्लिम जगत और हजरत मोहम्मद से है । किन्तु विक्रम संवत् का सम्बन्ध किसी भी धर्म से न होकर सारे विश्व की प्रकृति, खगोल सिद्धांत व ब्रम्हाण्ड़ के ग्रहो व नक्षत्रो से है । इसलिए भारतीय काल गणना पंथ निरपेक्ष होने के साथ सृष्टि की रचना व राष्ट्र की गौरवशाली परम्पराओं को दर्शाती है*
*मेरा आलेख आज के युगपक्ष में*