सन्तान का आभाव :
● बृहस्पति से पंचमेश 6,8,12 इनमे से किसी भाव में हो और पञ्चम का स्वामी 8 में हो एवं लग्न का स्वामी 12 में हो तथा नवमेश 6 में हो तो सन्तान नही होती है ||
● लग्न में शनि चन्द्र होने से , मंगल होने से अथवा पञ्चम में वृश्चिक या धनु या केतु होने से भी सन्तान नही होती है ||
● सूर्य शनि नवम भाव में तथा दर्शन में चन्द्र गुरु से दृष्ट होने से भी सन्तान नही होती है ||
● सूर्य तथा षष्ठेश 6 में ही हो और चन्द्रमा सप्तम भाव में बुध से दृष्ट होने से भी सन्तान नही होती है ||
● शनि पंचमेश षष्ठेश होकर लग्न में हो तो सन्तान सुख नही होगा ||
● पञ्चम स्थान में धनु अथवा मीन राशि हो तो कभी कभी सन्तान हो जाती है ||
● इसके अतिरिक्त तीसरे स्थान का स्वामी तीसरे भाव में हो या लग्न धन व्यय पञ्चम इनमे से कही भी हो सन्तान नही होती है || यदि हो भी जाए तो जीवित नही रहती है ||
● तीसरे भाव में सूर्य होने से पहली सन्तान नही रहती ; शनि से पिछली सन्तान नही रहती तथा मंगल से जो होती है वही नष्ट हो जाती है ||
● कन्या लग्न हो पंचमेश शनि आठवें भाव में हो तो अल्प सन्तानयुक्त होता है ||
● वृश्चिक लग्न हो गुरु निर्बल हो लग्नेश मंगल भी निर्बल हो पांचवे स्थान में राहु हो तो सन्तान नही होती है ||
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सन्तान प्राप्ति में बिलम्ब होने का कारण एवं समय
शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज