राजेन्द्र गुप्ता : शादी जीवन का एक ऐसा निर्णय है जिसको बहुत ही सोच समझ कर लेना चाहिए औ र अगर आपने गलत निर्णय ले लिया तो आपके पूरे जीवन भर सिर्फ पछतावा ही हाथ लगेगा । कुण्ड़ली में अनेक प्रकार के दोष पाये जाते है, जो कि जातक को बुरे फलों का संकेत देते है, उन्हीं दोषों में से एक है कुण्ड़ली का भकूट दोष। यह एक ऐसा दोष है जिसका पता हमें अक्सर विवाह के पूर्व लगता है, क्योंकि जब हम विवाह के लिए कुण्ड़ली का मिलान कराते है तो ज्योतिषी के द्वारा पता चलता है, कि आपकी कुण्ड़ली में भकूट दोष है। कुण्डली में अगर इस प्रकार का कोई दोष है तो हम विवाह का निर्णय नहीं कर सकते हैं। किसी प्रकार से अगर विवाह तय भी हो जाता है तो विवाह के बाद वैवाहिक जीवन में अनेक प्रकार की बाधायें उत्पन्न होती है और कभी-कभी तो ऐसी भी स्थिति आ जाती है कि तलाक के लिए कोर्ट का दरवाजा तक खटखटाना पड़ता है। समय पूर्व इस दोष का निवारण कर लिया जाए तो विवाह में किसी प्रकार की कोई रुकावट नहीं होती है तथा जीवन सुखमय रहता है।
• #भकूटदोष की प्रचलित धारणा के अनुसार- षड़-अष्टक भकूट दोष होने से वर-वधू में से एक की मृत्यु हो जाती है, नवम-पंचम भकूट दोष होने से दोनों को संतान पैदा करने में मुश्किल होती है या फिर सतान होती ही नहीं तथा द्वादश-दो भकूट दोष होने से वर-वधू को दरिद्रता का सामना करना पड़ता है।
• यदि वर-वधू दोनों की जन्म कुंडलियों में चन्द्र राशियों का स्वामी एक ही ग्रह हो तो भकूट दोष खत्म हो जाता है। जैसे कि मेष-वृश्चिक तथा वृष-तुला राशियों के एक दूसरे से छठे-आठवें स्थान पर होने के बावजूद भी भकूट दोष नहीं बनता क्योंकि मेष-वृश्चिक दोनों राशियों के स्वामी मंगल हैं तथा वृष-तुला दोनों राशियों के स्वामी शुक्र हैं। इसी प्रकार मकर-कुंभ राशियों के एक दूसरे से 12-2 स्थानों पर होने के बावजूद भी भकूट दोष नहीं बनता क्योंकि इन दोनों राशियों के स्वामी शनि हैं।
• यदि वर-वधू दोनों की जन्म कुंडलियों में चन्द्र राशियों के स्वामी आपस में मित्र हैं तो भी भकूट दोष खत्म हो जाता है जैसे कि मीन-मेष तथा मेष-धनु में भकूट दोष नहीं बनता क्योंकि इन दोनों ही उदाहरणों में राशियों के स्वामी गुरू तथा मंगल हैं जो कि आपसे में मित्र माने जाते हैं।
• इसके अतिरिक्त अगर दोनो कुंडलियों में नाड़ी दोष न बनता हो, तो भकूट दोष के बनने के बावजूद भी इसका असर कम माना जाता है।
▪भकूट दोष से बचने के उपाय-
भकूट दोष के उपाय –
▪वर-वधू दोनों के लिए महामृत्युंजय का जाप करवायें एवं गाय का दान करें।
▪ गुरुवार का व्रत रखें।
▪ प्रतिदिन पानी में हल्दी मिलाकर केले के वृक्ष पर हल्दी डालकर जल चढ़ाएं।