मित्रों सत्य असत्य पर भारी पड़ता है। परंतु सत्य असत्य को सुधरने का अवसर प्रदान करता रहता है। असत्य समझता है सत्य पराजित हो गया। वो और गलती करता हुआ असत्य का साम्राज्य स्थापित करता जाता है। उस असत्य का सहयोग करने के लिए छोटे छोटे असत्य उसको मजबूती प्रदान करते हैं। अब वो उनका साथ क्यों देते हैं ?
क्योंकि वो भी असत्य के मार्ग में चलते हैं वो भी असत्य को स्थापित करना चाहते हैं पर किसी कारणवश वो कमजोर पड़ जाते हैं। फिर वो एक साथ मिलकर अपने असत्य को जागरूक करते हैं। अपनी छोटी छोटी मिथ्या जैसी झूठी जीत का जश्न मनाते हैं। सत्य यह सब देखकर उनके ऊपर हँसाता है। जो झूठ होता है वो सदैव सबूत सबूत का आवाज लगाता है। जो सत्य होता है वो तो सत्य ही रहेगा। सत्य आसानी से विजय हो जाये तो सब जगह सत्य का ही साम्राज्य हो। सत्य साबित होने के लिए सत्य की कड़ी परीक्षा होती है। उस परीक्षा में जो अडिग रह गया वही विजय होगा। सत्य की असत्य पर पराजय होगी।
सत्य आसानी से विजय नहीं होता है जो आसानी से विजय हो जाये वो असत्य का एक अंश होता है। सत्य का जब विजय होता है तो असत्य का अस्तित्व तक नही रह जाता।
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