यदि शास्त्र को जानना है, सनातन धर्म को जानना है तो फिर शास्त्रों के अनुसार हमें चलना पड़ेगा आज जो हिंदू धर्म या कहें सनातन धर्म को लेकर के भाई चारे की जो बातें चल रही है यह कही ना कही मनमानी बाते हैं और कहीं ना कहीं अपने मन की उपज है जिसके ऊपर कभी भी खरा नहीं उतरा जा सकता अगर सनातन को वास्तविक रूप से जाना है तो शास्त्र प्रमाण मानना होगा जो कृष्ण ने अर्जुन को गीता में कहा वह मानना पड़ेगा गंगा स्नान करने से पुण्य मिलता है ना किसी ने देखा , न दिखा सकता है अगर मिलता है तो यह बात हमेशा पता चलती है और शास्त्र में वर्ण व्यवस्था बहुत ही व्यावहारिक तथा स्पष्ट है । हमारा कर्तव्य स्पष्ट करने वाली व्यवस्था है यह वर्ण व्यवस्था, जिसके अनुसार यदि तुम राजा बने हो तुम्हारा प्रथम कर्तव्य है कि समाज के अंदर जिस व्यक्ति की योग्यता वास्तविक रूप में सार्थक है उस व्यक्ति को पद पर बैठाना । अपूज्य व्यक्ति को शासकीय स्थान दोगे , जो इसके योग्य नहीं है तो शुभ , लाभ और यश प्रकृति में अपने आप घटने लगता है, इसीलिए शास्त्र के अनुसार ही सनातन धर्म को जीना एक राजनीतिक साफल्य है एक रणनीतिक साफल्य है । शास्त्रों का अवलम्बन करने में ही समस्त समस्याओं का निराकरण है ।