शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज :
ज्योतिष क्या है ? , क्या यह ज्योति का शास्त्र है ?
ज्योतिष ज्योति का शास्त्र है |
ज्योति आकाशीय पिंडो नक्षत्र ग्रह आदि से आती है परन्तु
ज्योतिष से हम पिण्डो का अध्ययन नही करते |
यह अध्ययन मात्र सौरमण्डल तक ही सीमित रखते है |
ज्योतिष
आकाशीय पिण्डो के प्रभाव सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड पर पड़ता है ; के सिद्घान्त पर स्थित है |
सरल शब्दों में
आकाशीय पिण्डो एवं मानव संसार में पारस्परिक सम्बन्ध है ||
जिसका अर्थ अथर्ववेद में स्पष्ट है
चित्राणि साकं दिवि रोचनानि सरीसृपाणि भुवने जवानि |
तुर्मिशं सुमति मिच्छमानो अहानि गीर्भि: सपर्यामि नाकम ||
द्युलोक सौरमण्डल में
चमकते हुए विशिष्ट गुणवाले अनेक नक्षत्र है ; जो साथ मिलकर अत्यंत तीव्र गति से टेढ़े मेढ़े चलते है ||
सुमति की इच्छा करता हुआ
मैं प्रतिदिन उनको पूजता हूँ ; जिससे मुझे सुख की प्राप्ति हो |
इसप्रकार इस मन्त्र में
नक्षत्रों को सुख तथा सुमति देने में समर्थ माना गया है ||
यह सुमति मनुष्यों को नक्षत्रों की पूजा से ही प्राप्त होती है |
यह मनुष्यों पर प्रभाव हुआ
जिसे ज्योतिष-शास्त्र मानता है ||
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