शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज : प्रथम भाग भाव में प्रथम भाव
कुण्डली में प्रथम भाव “जन्मभाव” कहलाता है ||
जन्म से जो जो वस्तुएं मनुष्य को प्राप्त होती है ; उनका विचार प्रथम भाव से किया जाता है :-
जैसे जाति रंग रूप कद जन्मस्थान जन्मसमय की बातें आदि ||
प्रथम भाव से जातक की हैसियत मकान की चारदीवारी जमीन के बारे में ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है ||
प्रथम भाव से व्यक्ति की परोपकारी प्रवृत्ति एवं उसके शील स्वभाव के बारे में जाना जा सकता है || इन बातो की जानकारी में नौवां भाव भी सहायक है ||
प्रथम भाव व्यक्ति की आयु के पहले भाग को दर्शाता है || प्रथम भाव से प्रारब्ध का फल जो इस जन्म में भोगना है पता चलता है ||
इसीप्रकार प्रथमभाव “पूर्वदिशा” का भी कारक है अर्थात यदि जातक का सूर्य कुण्डली में अच्छा है तो उसके लिए “पूर्वदिशा” का मकान शुभ होगा ||
प्रथमभाव का कारक “सूर्यग्रह” है ||
सूर्य यहाँ उच्च फल तथा शनि नीच फल देता है ||
कालपुरुष की कुण्डली के अनुसार प्रथमभाव का स्वामी ग्रह “मंगल” है || अतः “मंगल” भी यहाँ शुभ होता है ||
प्रथमभाव का कारक ग्रह सूर्य होने के कारण “सूर्य” कुण्डली में किस अवस्था में है ; यह देखकर भी प्रथमभाव के बारे में बहुत कुछ पता चलता है ||
प्रथमभाव आजीविका को भी दर्शाता है अर्थात धन की स्थिति भी बताता है ||
वह धन जो जातक अपने परिश्रम से अर्जित करता है ||
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