शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज : भृगसहिंता , आपका जन्मनक्षत्र और रत्न-रुद्राक्ष
[13] हस्त नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्मे जातक को उन्नति एवं आर्थिक सुरक्षा हेतु पन्ना एवं मोती रत्न तथा दोमुखी और चारमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ||
[14] चित्रा नक्षत्र
चित्रा नक्षत्र के दो चरणों में जन्म होने पर मूंगा एवं पन्ना रत्न तथा तीनमुखी एवं चारमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ||
चित्रा नक्षत्र के अंतिम दो चरणों में जन्म होने पर अर्थात तुला राशि एवं चित्रा नक्षत्र में जन्म होने पर हीरा अथवा ओपल के साथ सफेद मूंगा रत्न एवं तीनमुखी और छमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ||
इससे जातक को स्वास्थ्य लाभ और व्यापार में लाभ होगा और आत्मविश्वास में वृद्घि होगी ||
[15] स्वती नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्म होने पर स्वास्थ्य रक्षा और उन्नति हेतु गोमेद तथा हीरा या ओपल रत्न और छमुखी व आठमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ||
[16] विशाखा नक्षत्र
इस नक्षत्र के प्रारम्भिक तीन चरणों में जन्म होने पर पुखराज तथा ओपल रत्न एवं पांचमुखी छमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ||
और अंतिम चरण में और वृश्चिक राशि में जन्म होने पर पुखराज धारण करना चाहिए ||
अपार सफलता मिलती है ||
[17] अनुराधा नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्म होने पर नीलम तथा मूंगा रत्न एवं तीनमुखी सातमुखी रुद्राक्ष धारण करे ||
पराक्रम बढ़ता है और असम्भव कार्य सम्भव हो जाता है ||5
[18] ज्येष्ठा नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्म होने पर मूंगा पन्ना रत्न एवं तीनमुखी छमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इससे अपनी मति द्वारा यश एवं प्रतिष्ठा प्राप्त होती है ||
[19] मूल नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्मे जातक को पुखराज एवं लहसुनियां रत्न तथा पांचमुखी नौमुखी रुद्राक्ष धारण करने से आत्मविश्वास में वृद्घि अपार यश की प्राप्ति होती है ||
[20] पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्म होने पर पुखराज माणिक्य रत्न एवं एकमुखी पांचमुखी रुद्राक्ष धारण करे ||
भाग्य पक्ष मजबूत होगा उन्नति होगी ||
भृग-संहिता का जन्म (ज्योतिष ज्ञान (1) शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज द्वारा)
ज्योतिष सीखें : गुरु होते है शाश्वत (अध्याय २) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
भृगसंहिता : मंगल-ग्रह का स्वभाव और प्रभाव (अध्याय 3 , शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज द्वारा)
भृग संहिता में सूर्य एवं बुध ग्रहो का स्वभाव और प्रभाव : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज (अध्याय 4)
भृग्सहिता : शनि एवं शुक्र ग्रह का स्वभाव और प्रभाव (अध्याय 5)
भृग्सहिता : गुरु एवं राहु और केतु-ग्रह का स्वभाव और प्रभाव (अध्याय 6)
आओ ज्योतिष सीखें : भृगसहिंता अनुसार जन्म-नक्षत्र और रत्न-रुद्राक्ष (अध्याय 7)
आओ ज्योतिष सीखें : भृगसहिंता अनुसार जन्म-नक्षत्र और रत्न-रुद्राक्ष (अध्याय 8)
आओ ज्योतिष सीखें : भृगसहिंता ज्योतिष में भाव का महत्व (अध्याय 9)
आओ ज्योतिष सीखें : भृगसहिंता ज्योतिष में भाव का महत्व (भाव में प्रथम भाव अध्याय 10)