शैलेश, मुंबई : नफरत सिर्फ ब्राह्मणों के खिलाफ क्यों फैलाई जाती है ? नफरत यादव, सुनार, धोबी, कुम्हार, कुशवाहा, जाट, लुहार या बाकी जातियों के खिलाफ क्यों नहीं फैलाई जाती ? मित्रो क्योंकि ब्राह्मणवाद, मनुवाद तो बहाना है । असली मकसद हिन्दू धर्म को मिटाना हे , जाग जाओ अभी भी वक़्त हे , कहीं देर न हो जाए ।
अगर आप यादव से नफरत करेंगे तो उससे दूध लेना बंद कर देंगे; पर फिर भी हिन्दू रहेंगे। अगर आप सुनार से नफरत करेंगे तो उससे आभूषण बनवाना बंद कर देंगे; पर फिर भी आप हिन्दू रहेंगे।
अगर आप धोबी, कुशवाहा , कुम्हार से नफरत करेंगे तो कपड़े धुलवाना , सब्जी लेना, और बर्तन खरीदना बंद कर देंगे; पर फिर भी आप हिन्दू रहेंगे।
पर, *अगर आप ब्राह्मण से नफरत करेंगे तो तो आप सभी धार्मिक रस्मों जैसे कि जन्म, शादी, मृत्यु , गृह पूजन , इत्यादि के लिए उसके पास जाना बंद कर देंगे और और यह सब रस्में आकर चर्च का पादरी करेगा।*
ब्राह्मणों से नफरत करना यानि anti-brahminism, 2000 साल पुराने “जोशुआ प्रोजेक्ट” का हिस्सा है , जिसका एजेंडा पूरे हिंदुस्तान को ईसाई व मुस्लिम मुल्क बनाना है। हिंदुओं का धर्मान्तरण तब तक नहीं हो सकता जब तक वे ब्राह्मणों के संपर्क में हैं।
इसलिए हिन्दू जातियों में ब्राह्मणों के लिए इतनी नफरत बढ़ाओ की वे ब्राह्मणों के पास किसी भी काम के लिए जाना बंद कर दें और धर्मान्तरण के दरवाजे खुल जाएं।
*सबसे पहले ईसाई मिशनरी Robert Caldwell ने आर्यन-द्रविड़ियन थ्योरी बनाई ताकि दक्षिण भारतीयों को अलग पहचान देकर धर्मान्तरण किया जाए,* जिसमे उत्तर भारतीयों को ब्राह्मण आर्यन दिखाया गया।
इनका एजेंडा यहां खत्म नहीं हुआ। इसके बाद दूसरे मिशनरी और संस्कृत विद्वान John Muir ने मनुस्मृति को एडिट किया, इसमें वामपंथियों ने वैसे ही मदद की जैसे कि 26/11 के मुम्बई हमले में भारतीय मुसलमानों ने मदद की।
ब्राह्मण विरोध के चलते अम्बेडकर ने कई हिन्दू जातियों को दलित के नाम से टैग कर दिया जो ब्रिटिश सरकार में डिप्रेस्ड क्लासेज थीं। मंडल कमीशन के ब्राह्मण विरोधियों ने कई जातियों को पिछड़ा घोषित कर दिया जिनके राजघराने तक चलते थे।
ब्राह्मण विरोध, सनातन विरोध का ही छद्म नाम है। क्योंकि ब्राह्मणवाद, मनुवाद तो बहाना है । असली मकसद हिन्दू धर्म को मिटाना ..