मनीषा सिंह सूर्यवंशी : अदीना” मस्जिद का मूल नाम आदिनाथ मंदिर (भगवान विष्णु और भगवान शिव को समर्पित), स्थान पाण्डुआ, जिला- मालदा, पश्चिम बंगाल. इस्लामी अत्याचारों के बाद परिवर्तित नाम : अदीना मस्जिद.
आज का इतिहास यह कहता है कि अदीना मस्जिद सिकंदर शाह ने ईसवी सन् १३५८ में एक भव्य प्राचीन मंदिर को बलात् अधिगृहित कर बनाई थी। अदीना मस्जिद भारत की कुछ भव्य मस्जिदों में गिनी जाती है।
यह एक प्राचीन शिवालय भी था और भगवान विष्णु का देवालय भी। आइए देखें, कैसे –
• इसकी दिवारों का निचला हिस्सा जो कि लगभग १० फुट का है वह स्लेटी रंग के पत्थरों से बना हुआ है, जबकि १० फुट के ऊपर दिवारें लाल पत्थर से बनी हुई हैं। यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि प्राचीन हिन्दू मंदिर को विनष्ट करके, उसके पुराने स्लेटी पत्थरों पर मस्जिद का पुनर्निर्माण किया गया।
• प्रवेश द्वार के रास्ते में भगवान विष्णु की तराशी हुई प्रतिमा साफ़ दिखाई पड़ती है।
• साथ ही, भारत और एशियाई महाद्वीप में स्थित प्रत्येक विष्णु मंदिरों में जैसे अनूठे द्वारपाल पाए जाते हैं, वैसे ही अदीना मस्जिद में भी हैं।
• इसकी पहली मंजिल के मुख्य गलियारे में प्रवेश द्वार की तरफ़ भगवान विष्णु की ढली हुई और तराशी हुई प्रतिमाएं साफ़ नजर आती हैं।
• अदीना मस्जिद के हर हिस्से में हिन्दू वैदिक वास्तुशिल्प, नक्काशी और आकृतियों के नमूने बिखरे हुए हैं।
• इसके दो प्रवेश द्वारों पर कमल फूल की आकृतियां तथा ज्यामितीय मंडलों के साथ हिन्दू देवताओं की नक्काशी पाई गई है।
• भगवान गणेश और भगवान नटराज (भगवान शिव की नृत्य मुद्रा) की प्रतिमा वाली खंडित शिला भी वहां पाई गई है जो कि इस भव्य मंदिर के वैभवशाली इतिहास के अवशेष हैं। साथ ही जो जानबूझकर की गई तबाही, भीषण लूटमार और हिन्दुओं की संपत्ति तथा सांस्कृतिक विरासत पर पड़े भयंकर डाके की निशानियां भी है।
• इस मस्जिद के नमाज अदा करने वाले मुख्य कक्ष में कलम फूल की आकृतियाँ मौजूद हैं जो कि हिन्दुओं में देवी लक्ष्मी, धन-संपत्ति और सौभाग्य के प्रतीक माने जाते हैं।
• साथ ही, पश्चिम बंगाल सरकार की अधिकृत वेब साईट के अनुसार – “ अदीना मस्जिद, १३९६ में सुल्तान सिकंदर शाह द्वारा बनवाई गई। यह भारत की विशालतम मस्जिदों में से एक है, जो उस काल की सबसे उन्नत मस्जिद वास्तुकला का प्रतिनिधित्व करती है। इस की रूढिगत बनावट ८ वीं शताब्दी की दमिश्क की महान मस्जिद पर आधारित है। पूर्व हिन्दू मंदिरों की नक्काशीदार बेसाल्ट पत्थरों की संरचना का उपयोग कर ईंटों की ८८ मेहराबों और एक जैसे ३७८ छोटे गुम्बदों को आधार दिया गया है।”
हिन्दुओं को एहसास होना चाहिए कि कैसे उनके अपने हिंदू सांस्कृतिक विरासत – हिन्दू संरचनाएं – को जबरदस्ती इस्लाम में परिवर्तित किया गया। सांस्कृतिक विरासत को वापस पाने के लिए हिन्दुओ को एकजुट होकर आन्दोलन करना चाहिए।