कहते हैं कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती और ये सच साबित कर दिखाया है मुम्बई की 54 साल की कल्पना दत्ताराम माने ने। जिस उम्र में लोग अपने बच्चों के करियर और जीवन को लेकर चिंतित रहते हैं उस उम्र में कल्पना ने अपनी नई पारी की शुरुआत की है।
कल्पना ने 32 साल बाद फिर से पढ़ाई शुरु की और इस साल उन्होंने ssc की परीक्षा पास की है। दो बच्चों की मां कल्पना ने ठाना कि परिस्थितियों के चलते छूट गई पढ़ाई फिर से शुरु की जाए और उन्होंने मुम्बई के वर्ली नाका के अगरकर रात्रिकालीन विद्यालय में दसवी कक्षा में प्रवेश लिया।
16-17 साल के बच्चों के बीच बैठकर 54 साल की कल्पना के लिए पढ़ाई करना मुश्किल था लेकिन उनके हौंसले और आगे बढ़ने की चाहत ने इस झिझक और संकोच को दूर कर दिया।। आज नतीजा सबके सामने है। कल्पना ने SSC की परीक्षा 57 प्रतिशत अंकों से साथ पास की। कल्पना का मानना है कि अगर घर की औरत पढ़ेगी तभी तरक्की होगी।
32 साल बाद फिर से पढ़ाई शुरु करने का कल्पना का सफर आसान नहीं था। लेकिन उनकी बेटियों ने न सिर्फ उन्हें हौंसला दिया बल्कि वे अपनी मां के लिए शिक्षक की भूमिका में आ गईं। परीक्षा की तैयारी में बेटियों ने मां की खूब मदद की। कल्पना की पढ़ाई में परिवार के अलावा, उसके दोस्तों और यहां तक कि अगरकर स्कूल के बच्चों ने भी अहम भूमिका निभाई।
कल्पना कहती हैं कि उन्होंने पढ़ाई शुरु करके इन बच्चों के साथ अपना बचपन मानों दोबारा पा लिया है। कल्पना अब अपनी उड़ान को रोकना नहीं चाहतीं। वो पीएचडी करना चाहती है और अपनी पहली जीत के बाद वो समझ चुकी हैं कि अब उनकी उम्र उनकी शिक्षा में बाधा नहीं बन सकती।