दीपक गोयल, भारत चेतना मंच, पटियाला : 25th दिसम्बर आ गया ! अंग्रेजों ने एक उपहार हमें दे दिया ” क्रिस्मिस्चित डे ” का और हम धीरे – धीरे उसे अपने जेहन में इस तरह ढाल लिए हैं कि अपनी वास्तविकता भूल गये गये कि यह दिन माता तुलसी के लिए निर्धारित किया गया है ! अत: हमें अपनी वास्तविकता भूलनी नहीं चाहिए व इस दिन तुलसी दिवस के रूप में ही मनाना चाहिए ! तथा किसी के धर्म व त्यौहार से कटुता भी नहीं रखनी चाहिए ! आइये किस तरह तुलसी दिवस मनाया जाय उसकी विधि हम समझें !
तुलसी के पौधे का वैज्ञानिक रहस्य
25 दिसम्बर “तुलसी पूजन दिवस”
” जिन्होंने कभी तुलसी का पौधा नहीं लगाया घर में , आज वो क्रिसमस -ट्री सजाने में ज़ोर शोर से लगे हैं….?
25 दिसम्बर को तुलसी का पूजन करे,,,क्रिसमस ट्री का नहीं।
आओ भारतीय संस्कृति का पूजन
करे।
तुलसी पूजन निमित्त पूर्ण पूजन विधि की ऑडियो फ़ाइल उपलब्ध है. तुलसी पूज न कार्यक्रमों में इसका अधिक से अधिक इस्तेमाल करें .
तुलसी पूजन
पूजन के लिए आवश्यक सामग्री
* तुलसी का गमला या पौधा ।
* थाल-१, कटोरी, चम्मच-२ (एक अपने उपयोग के लिए, दूसरा पूजन के लिए)
* पूजा की थाल में – गंगाजल, चंदन, कुमकुम, फूल, तुलसी पत्ते, कलावा (रक्षासूत्र), धूपबत्ती, कपूर, माचिस, दीपक, बत्ती (तेल में भिगोयी हुई बत्ती), प्रसाद (मिश्री आदि), फल (केला, आँवला आदि कोई भी एक), अक्षत, दक्षिणा ।
तुलसी पूजन विधि
तुलसी के गमलों या पौधों को कप‹डे आदि से सजा के रखें । हर गमले के चारों ओर गोलाकार घेरा बनाकर १०-१२ व्यक्ति बैठें । लोग अपने घर से पूजन सामग्री लाये हो तो ठीक, अन्यथा शुल्क देकर पूजन-स्थल से उन्हें सामग्रीयुक्त थाल मिल सके ऐसी व्यवस्था करें । मुख्य व्यक्ति विधि बताता जाय और मंत्र उच्चारण करता जाय तथा अन्य लोग पीछे-पीछे मंत्र बोलते हुए पूजन सामग्री च‹ढाते जायें ।
ॐकार का गुंजन :-
सभी लोग ७ बार ‘हरि ॐ’ का गुंजन करेंगे ।
ॐ गं गणपतये नमः । ॐ श्री गुरुभ्यो नमः ।
ॐ श्री सरस्वत्यै नमः । ॐ तुलस्यै नमः ।
आचमन :- निम्न मंत्र प‹ढते हुए तीन बार आचमन करें।
ॐ केशवाय नमः।
ॐ नारायणाय नमः ।
ॐ माधवाय नमः ।
ॐ हृषिकेशाय नमः । (यह मंत्र बोलते हुए हाथ धो लें ।)
पवित्रीकरण :- आंतरिक व बाह्य शुद्धि की भावना करते हुए बायें हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ से अपने शरीर पर छाँटे ।
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा ।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः ।।
तिलक :- सभी लोग तिलक कर लें ।
ॐ गं गणपतये नमः ।
ॐ चंदनस्य महत्पुण्यं पवित्रं पापनानम् ।
आपदां हरते नित्यं लक्ष्मीः तिष्ठति सर्वदा ।।
रक्षासूत्र (मौली) बंधन :- हाथ में मौली बाँधे ।
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः ।
तेन त्वां प्रतिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।।
संकल्प :- हाथ में अक्षत-पुष्प व जल लेकर सभी संकल्प करे – ‘आज के इस पावन दिवस पर हम जो तुलसी-पूजन कार्यक्रम कर रहे हैं, इससे सभी मनुष्यों की भलाई हो । इससे हमारा तन तंदुरुस्त व मन प्रसन्न रहे तथा बुद्धि में बुद्धिदाता का प्रसाद प्रकट हो और हमारा आत्मविकास हो । गौ, गंगा, तुलसीजी से लाभ लेकर हम ओजस्वी-तेजस्वी बनें व गीता-ज्ञान से अपने मुक्तात्मा, महानात्मा स्वरूप को जानें । हम तुलसीजी से प्रार्थना करते हैं कि जैसी आपकी अडिग-अचल निष्ठा अपने स्वामी के, भगवान के श्रीचरणों में है ऐसी हमारी भी निष्ठा हमारे स्वामी के, हमारे इष्टके श्रीचरणों में दृढ रहे ।‘
(यह संकल्प थोडा-थोडा करके बोलते जायें, साथ-साथ सभीको बुलवाते चलें ।)
गुरुस्मरण :- हाथ जोडकर गुरुदेव का ध्यान करें ।
गुरुब्र्रह्मा गुरुर्विष्णुः… सद्गुरुं तं नमामि ।।
(पूरा मंत्र बोलें)
गणेशजी का स्मरण :-
वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ।।
जहाँ सामूहिक रूप से आयोजन हो रहा हो वहाँ नीचे की पूरी विधि का मंत्र एक व्यक्ति माइक में बोले और दूसरा दोहराता जाय । उसके साथ-साथ पूजन करनेवाले सभी लोग दोहराते जायें ।
तुलसीजी का ध्यान :- हाथ में अक्षत व पुष्प लेकर तुलसीजी का ध्यान करें और फिर तुलसीजी पर चढा दें ।
नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे ।
नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके ।।
आवाहन :- आवाहन के लिए तुलसीजी के ऊपर अक्षत चढाये । ॐ भगवत्यै तुलस्यै नमः ।
आसन :- आसन के लिए अक्षत च‹ढाये ।
ॐ विष्णुवल्लभायै नमः।
पाद्य :- पैर धुलाने की भावना से एक चम्मच जल चढाये ।
ॐ सर्वदेवमयायै नमः ।
अर्घ्य :- हाथ धुलाने की भावना से एक चम्मच जल चढाये ।
ॐ सर्वतीर्थमयायै नमः ।
आचमन :- आचमन के लिए एक चम्मच जल च‹ढाये ।
ॐ दैत्यान्तकृत्प्रियायै नमः ।
स्नान :- स्नान के लिए जल चढाये ।
ॐ सर्वलोकहितायै नमः ।
महाप्रसादजननी सर्वसौभाग्यवद्र्धिनी ।
आधिव्याधिहरा नित्यं तुलसी त्वं नमोऽस्तु ते ।।
वस्त्र :- वस्त्र व उपवस्त्र के लिए कलावा (रक्षासूत्र) च‹ढाये ।
ॐ लक्ष्मीसहोदरायै नमः ।
गंध :- चंदन का तिलक करे । ॐ महादेव्यै नमः ।
पुष्प :- सुगंधित पुष्प च‹ढाये । ॐ रमावासायै नमः ।
धूप :- धूप जलाकर दिखाये । ॐ अभीष्टदायै नमः ।
दीप :- दीपक जलाकर दिखाये । ॐ पापहारिण्यै नमः ।
नैवेद्य :- प्रसाद (मिश्री आदि) च‹ढाये । ॐ भगवत्यै नमः ।
ऋतुफल :- फल (केला, आँवला आदि) चढाये ।
ॐ अमृतसम्भूतायै नमः ।
दक्षिणा :- दक्षिणा च‹ढाये । ॐ अमृतरूपिण्यै नमः ।
आरती :- तुलसीजी की आरती करें ।
ॐ जय जगदीश हरे…
कर्पूर गौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदावसन्तं हृदयारविंदे भवं भवानी सहितं नमामि ।
पष्पांजलि :- पुष्प च‹ढाये । ॐ परमेश्वर्यै नमः ।
प्रार्थना करें :- ‘तुलसी नामाष्टक का पाठ करें ।
तुलसी नामाष्टक
वृन्दां वृन्दावनीं विश्वपावनीं विश्वपूजिताम् ।
पुष्पसारां नन्दिनीं च तुलसीं कृष्णजीवनीम् ।।
एतन्नामाष्टकं चैतत्स्तोत्रं नामार्थसंयुतम् ।
यः पठेत्तां च संपूज्य सोऽश्वमेधफलं लभेत् ।।
भगवान नारायण देवर्षि नारदजी से कहते हैं : ‘वृंदा, वृंदावनी, विश्वपावनी, विश्वपूजिता, पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी और कृष्णजीवनी – ये तुलसी देवी के आठ नाम हैं । यह सार्थक नामावली स्तोत्र के रूप में परिणत है । जो पुरुष तुलसी की पूजा करके इस नामाष्टक का पाठ करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त हो जाता है |
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खंड : २२.३२-३३)
प्रदक्षिणा :- निम्न मंत्र बोलते हुए सभी लोग तुलसीजी की सामूहिक रूप से ७ परिक्रमा करें ।
यानि कानि च पापानि जन्मान्तर कृतानि च ।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिण पदे पदे ।।
परिक्रमा के बाद सभी लोग तुलसीजी को प्रणाम कर लें ।
(बाद में ॐ, अपना गुरुमंत्र अथवा भगवन्नाम का जप करते हुए सामथ्र्य अनुसार ७, ११, २१, ५१ या १०८ परिक्रमा करें ।)
प्रार्थनाः- विश्व-कल्याण के लिए हाथ जो‹डकर प्रार्थना करें।
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग् भवेत् ।।
दुर्जनः सज्जनो भूयात् सज्जनः शांतिमाप्नुयात्।
शांतो मुच्येत बंधेभ्यो मुक्तः चान्यान् विमोचयेत् ।।
क्षमा प्रार्थना :- हाथ जो‹डकर सभी लोग प्रार्थना करें :
‘हे तुलसी माता इस विधि-विधान में, पूजन-पाठ में जाने-अनजाने कोई भूल हो गयी हो तो हमें क्षमा प्रदान करें ।
ॐ आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् ।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर ।।
ॐ मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर ।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे ।।
* जयघोष *
‘तं नमामि हरिं परम् । तीन बार बोलें ।
कार्यक्रम के बाद में सबको ऐसा संकल्प करवायें :
हम अपने घर में तथा पास पडोस में हर घर में तुलसी का पौधा लगवायेंगे । १०८ घरों में लगवाने का संकल्प लें तो बहुत उत्तम । नहीं तो २१ पौधा तो सभी अवश्य लगवायें । लगाने के लिए लोगों को प्रेरित करें ।
नोट :- यदि कोई अपने घर में अकेले तुलसीजी का पूजन करना चाहता है तो इस विधि से स्वयं कर सकता है ।
भारत चेतना मंच