मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिषविद् : पुरानी कहावत है- आया वसंत जाड़ा उड़ंत। यह दिन ऋतु परिवर्तन का परिचायक भी है। भगवान कृष्ण इस उत्सव के अधिदेवता भी हैं। पक्षियों में कलरव,भौरों की गुंजन,, पुष्पों की मादकता से युक्त वातावरण वसंत ऋतु की विशेषता है। पशु-पक्षियों तक में कामक्रीड़ा की अनुभूति होने लगती है। वस्तुत: यह मदनोत्सव का आरंभ है। इसी दिन , कामदेव के साथ साथ रति व सरस्वती का पूजन भी होता है। होली का प्रारंभ भी इस दिन से होता है और समापन फाल्गुन की पूर्णिमा पर होलिका दहन पर होता है।
सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त
प्रात: 9$15 से दोपहर 12$30 तक
यह अत्यंत शुभ मुहूर्त है। यदि आप किसी प्रकार की शिक्षा, कोर्स आरंभ करना चाहते हैं या कंपीटीशन के लिए कोई फार्म भरना चाहते हैं तो यह ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अबूझ मुहूर्तों में से एक है। नया व्यवसाय, आरंभ करने , गृह प्रवेश या नींव खोदने आदि के लिए विशेष फलदायी मुहूर्त है। आज आप कलम पूजन भी करवा सकते हैं।
यह योग विद्या एवं विद्यार्थियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहेगा। शिक्षा में कमजोर छात्र इस बार मां सरस्वती की आराधना अवश्य करें ताकि उन्हें परीक्षा में आशा से अधिक सफलता प्राप्त हो । सेना, पुलिस, या सैन्य बल में जाने के इच्छुक युवा – युवतियां बसंत पंचमी पर आवेदन करें तो सफल रहेंगे।
विवाह के लिए भी यह अबूझ मुहूर्त है। इस दिन अधिकांश विवाहों का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन संपन्न पाणि ग्रहण संस्कार काने से वैवाहिक जीवन में किसी प्रकार की बाधा नहीं आती ।
किसकी करें पूजा ?
वसंत पंचमी का पर्व भगवान विष्णु व सरस्वती जी की आराधना का पावन दिवस है।प्रात: काल स्नान के बाद पीले वस्त्र पहन कर धूप दीप, नैवेद्य , व लाल रोली से दोनों की पूजा अर्चना की जानी चाहिए परंतु इससे पूर्व गणेश जी का पूजन अवश्य होना चाहिए।पीले व मीठे चावलों का भोग लगाना चाहिए।
वाणी ,शिक्षा एवं अन्य कलाओं की अधिष्ठात्री देवी मां की आराधना छात्रों को अवश्य करनी चाहिए। इस दिन सरस्वती सिद्घ करके मंत्र साधना में सिद्घि प्राप्त करनी चाहिए। कण्ठ में सरस्वती को स्थापित किया जाता है। स्वर,संगीत, ललित कलाओं ,,गायन वादन,लेखन यदि इस दिन आरंभ किया जाए तो जीवन में सफलता अवश्य मिलती है। सरस्वती की आराधना में श्वेत वर्ण का अत्यंत महत्व होता हैै । अत: इनको अर्पित करने वाला नैवेद्य भी सफेद ही होना चाहिए।
कौन सा करें पाठ या मंत्र ?
ऽ यह मंत्र शिक्षा में कमजोर विद्यार्थी या उनके अभिभावक भी मां सरस्वती के चित्र को सम्मुख रख के 5 या 11 माला कर सकते हैं।
ओम् ऐं सरस्वत्यै नम:
ऽ वाक सिद्घि हेतु ,यह मंत्र जाप करें-
ओम् हृीं ऐं हृीं ओम् सरस्वत्यै नम:
ऽ आत्म ज्ञान प्राप्ति के लिए-
ओम् ऐं वाग्देव्यै विझहे धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्!!
ऽ रोजगार प्राप्ति व प्रोमोशन के लिए-
ओम् वद वद वाग्वादिनी स्वाहा !
ऽ परीक्षा में सफलता के लिए आज से ही इस मंत्र का जाप मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख करते रहें-
ओम् एकदंत महा बुद्घि, सर्व सौभागय दायक :!
सर्व सिद्घि करो देव गौरी पुत्रों विनायक: !!
कमजोर छात्र क्या करें उपाय ?
ऽ जो विद्यार्थी शिक्षा में कमजोर हैं, आज के दिन 6 मुखी रुद्राक्ष धारण करें। इससे उनकी एकाग्रता बढ़ेगी।
ऽ प्राण प्रतिष्ठायुक्त सरस्वती माता का चित्र अपने अध्ययन कक्ष या टेबल पर रखें
ऽ यदि किसी नवजात बच्चे के जन्म पर सोने की सलाई को शहद में डुबो कर उसकी जीभ पर ओम् लिख दिया जाए तो वह विद्या में प्रवीण होता है और उसकी एवं स्मरण शक्ति प्रखर रहती है।
ऽ अपनी टेबल पर क्रिस्टल या स्फटिक का ग्लोब रखें और उसे दिन में कम से कम 3 बार घुमाएं
ऽ परीक्षा से एक सप्ताह पूर्व छात्र को दही और मीठा खिलाना आरंभ कर दें।
ऽ पढ़ाई सदा टेबल कुर्सी पर बैठ कर ही करें और मुख पूर्व या उत्तर या उत्त्र -पूर्व की ओर रखें।पीठ के पीछे ठोस दीवार हो खिडक़ी नहीं।
ऽ कंप्यूटर आग्नेय कोण अर्थात दक्षिण- पूर्व दिशा और पुस्तकों की आल्मारी, दक्षिण – पश्चिम में रखें।
ऽ जहां बैठते हैं वहां क्रिस्टल बॉल लटका लें या टेबल पर एजूकेशन टॉवर रखें। इससे एकाग्रता बढ़ती है।
ऽ पढऩे वाले स्थान के पर्दे, कुर्सी के कवर आदि हल्के हरे रखें, काले या गहरे नीले न हों।
ऽ पढऩे बैठने से पहले – ओम् ऐं हृीं सरस्वत्यैै नम : का 5,11 या 21 बार मंत्र जाप करें।
ऽ तुलसी के 11 पत्ते, मिश्री के साथ ग्टक् जाएं, उसे चबाएं नहीं।
ऽ यदि इन दिनों परीक्षा आरंभ हो रही हो या हो तो ये उपाय करें –
सोमवार- परीक्षा में जाने से पूर्व दर्पण देखें और कमरे से पहले दाहिना पैर पहले निकालें।
ऽ म्ंागलवार- हनुमान जी के मंदिर में गुड़ या बूंदी का प्रसाद चढ़ाएं और प्रतिमा पर सिंधूर लगा कर जाएं
ऽ ब्ुाधवार- घर से मीठा धनिया खाकर जाएं और गणेश जी का मंत्र – ओम् गं गणपत्यै नम: पढ़ कर जाएं।
ऽ ग्ुारुवार- माथे पर केसर का तिलक लगाएं। पाकेट में पीला रुमाल या हल्दी का एक छोटा टुकड़ा रख कर जाएं।
ऽ शुक्रवार- सफेद चंदन का तिलक लगाएं, दहीमीठा खाकर और दही दान करके जाएं।
ऽ शनिवार- शनिदेव की प्रतिमा पर सरसों का तेल चढ़ाएं और जेब में थोड़ी सी काली सरसों या राई रख लें ।
ऽ रविवार- सूर्य को जल अर्पित करें और हलुवा खाकर व बांट कर जाएं।
मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिषविद्, 98156-19620$ मकान न0- 196 ,सैक्टर 20 ए चंडीगढ़-160020