By KAPOOR RAKESH :हिमाचल प्रदेश के मुख्य मन्त्री श्री वीरभद्र सिंह ने 20 दिसम्बर 2014 को राज्य स्तरीय शिकायत निवारण समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए जब दोहराया था कि उनकी सरकार उत्तरदायी व संवेदनशील प्रशासन देने के लिए कृत संकल्प है तो शायद उनके विरोधियों ने इसे राजनैतिक स्टंट करार देकर नकार दिया।
मगर वर्ष 2014-2015 में प्रशासनिक सुधार व जन शिकायत निवारण विभागों ने जो पहल की है उनसे जन साधारण की शिकायतों के निवारण की प्रक्रिया के सरलीकरण से लेकर से लेकर उत्तरदायी व संवेदनशील सरकार देना जिसके लिए“ गांव मन्दिर है, गरीब देवता और उसकी सेवा ही पूजा का मूल मन्त्र चरितार्थ करना ही उदेश्य है को परिकल्पना परियोजना से धरातल की सच्चाई पर उतारा जा रहा है यह कर के दिखा दिया है।
वर्ष 2004 में कांग्रेस शासन में ही मुख्य मन्त्री कार्यालय के सामान्य प्रशासन विभाग के एक छोटे से सैल को एक पृथक व पूर्ण विभाग बनाया गया था जिसके लिए मुख्यमन्त्री के प्रधान सचिव स्तर के अधिकारी को प्रभारी सचिव व स्वंय मुख्यमन्त्री को प्रभारी मन्त्री घोषित किया गया। 10 वर्षों के अंतराल में विभाग ने लगभग बिना बजट व बिना सुविधा/विभागाध्यक्ष जो उपलब्धियां हसिल की वे बेजोड है। 2008 से ही विभाग ने ई-समाधान प्रणाली के माध्यम से जन शिकायतें दर्ज करने से लेकर निवारण तक की पूर्ण प्रणाली को “आनलाईन“ बना दिया। शिकायत दर्ज करने से लेकर निवारण तक की सारी प्रक्रिया को पारदर्शी व जनसूचक बना देने से अपनी समस्या के निवारण की “जन“ को त्वरित जानकारी को उपलब्धता भी हो गई।
वर्ष 2014 में (नवम्बर 2013 में नियुक्ती के पश्चात) जन शिकायत निवारण विभाग ने प्रभारी सचिव व अति0 मुख्य सचिव अजय मित्तल तथा अति0 सचिव डा0 राकेश कपूर के नेतृत्व में न केवल नये प्रयोग किये, नई पहल की मगर दृड निश्चय व कृत संकल्प के बल पर व जन शिकायत निवारण जैसे कमजोर व निष्क्रिया समझे जाने वाले विभाग को भी प्रभावशाली व महत्वपूर्ण बना देने में सफल हुए।
सितम्बर 2014 में केन्द्रीय, कार्मिक, प्रशिक्षण तथा प्रशासनिक सुधारए पैन्शन मन्त्रालय/सचिवालय द्वारा प्रशासनिक सुधार हेतु आम आदमी के लिए छोटी-2 सेवाओं को प्राप्ती हेतु शपथ पत्र की अनिवार्यता समाप्त करने की पहल का स्वागत करते हुए चण्डीगढ के महात्मागंाधी प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित 2 दिवसीय कार्यशाला में नोडल अधिकारी /राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर के रूप में भाग लेकर लौटे डा0 राकेश कपूर ने श्री वीरभद्र सिंह व अजय मित्तल की प्रेरणा व परिकल्पना को मूर्त रूप देने का बीडा उठाया।
परिणिति स्वरूप 12 जनवरी 2015 की मन्त्रीमण्डलीय बैठक में पारित निर्णय के पश्चात हिमाचल प्रदेश, देश में पंजाब व उतराखण्ड ने बाद शपथ पत्र की अनिवार्यता समाप्त करने वाला तीसरा राज्य बन गया मगर देश में इसी कडी में हिमाचल प्रदेश पहला ऐसा राज्य बना जिसने चुनिंदा सेवाओं के स्थान पर समस्त लोक सेवाओं जहां पर न्यायालय की बाध्यता नहीं है शपथ पत्र लेने व देने की विभागीय अनिवार्यता समाप्त कर दी।
गरीब व भोगौलिक दृष्टि से कठिन क्षेत्र होने के साथ-2 अत्याधिक प्रशासनिक कठिनाई का सामना कर शपथ पत्र जुटाने वाले उन आम गा्रमीण गरीबों के लिए जिन्हे लगभग 450 रूपये की लागत से एक शपथ पत्र पर व्यय करना पडता था व जहां 93700 शपथ पत्र (अनुमानित) दैनिक बनाये व पंजीकृत होते हों यह बडी राहत का काम बन गया “शपथ पत्र“ अनिवार्यता की समाप्ति को अभी प्रचारित किया जाना बाकी है।
प्रशासनिक सुधार की यह कडी प्रदेश के इतिहास से सूचना के अधिकार 2005 सेवा के अधिकार 2011 के बाद तीसरी सबसे महत्वपूर्ण कडी होगी जो “मील का पत्थर बनेगी“।
प्रशासनिक सुधार के साथ-2 “जन शिकायत निवारण विभाग“ ने पहली जनवरी 2014 से शिकायत दर्ज करने व त्वरित कार्य हेतु (रंदेीपांलंजदपअंतंद/दपबण्पद) नाम की ई-मेल सेवा भी प्रारम्भ कर दी है जहां सीधे मेल से शिकायत करता अपनी शिकायत सम्बंधी पत्रों के साथ दर्ज करवा सकता है। इस कडी में 2011 से प्रदेश में लागू लोक से गारंटी अधिनियम 2011 के अर्तगत घोषित नियमावली नोडल अधिकारियों की सूची व सिटिजन चार्टर को भी ई-समाधन पोर्टल का हिस्सा बना दिया गया अब ई-समाधान के लिए शिकायतें दर्ज करने में प्रदेश में कार्यरत 2530 “लोकमित्र“ केन्द्रों का भी लोग लाभ उठा सकते है।
केन्द्र सरकार की बडी पहल “सेवा का अधिकार अधिनियम 2011“ लागू करने वाले राज्यों में भी हिमाचल प्रदेश आग्रणी रहा, अब प्रदेश सरकार में समस्त प्रशासनिक विभागों में “सिटिजन चार्टर“ बना कर विभाग द्वारा दी जाने वाली सेवाओं व सेवा अवधि को भी घोषित किया जा चुका है।
मार्च 2015 के बाद से “प्रशासन जनता के द्वार“ को “लोक सेवा आम आदमी का अधिकार -प्रशासन का कर्तव्य से बदलने में“ जन शिकायत निवारण विभाग की टीम, लोक सेवा अधिनियम 2011 के तहत उपमण्डल स्तर पर हर विभाग में नोडल आफिसर तैनाती जिनके ई-मेल, फोन न0, ई-समाधान व विभागीय वैब साईट पर दर्ज होगें में प्रयासरत है! अभी 15 विभागों की 86 सेवाऐं व 20 विभागों में नोडल आफिसर तय किये जा चुके हैं। उपायुक्तों व विभागाध्यक्षों से जनशिकायतों की प्रक्रिया पर विडियो कौन्फ्रेस भी दो दौर में हो चुकी है।
चूंकि अब केन्द्र सरकार में स्वंय प्रधान मन्त्री कार्यालय माह के हर अंतिम बुधवार को जन शिकायतों के अतिरिक्त सवेदनशील मामलों केन्द्र प्रायोजित योजनाओं की प्रगति पर निरंतर राज्यों से विडियो कौन्फ्रेसिंग के जरिया समीक्षा करेंगें व प्रधान मन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 25 मार्च को इसी कडी का शुभारम्भ किया।
राज्य के शिकायत निवारण विभाग की सचिव पूर्णिमा चौहान व अतिरिक्त सचिव डा0 राकेश कपूर ने वक्तव्य में स्पष्ट किया कि प्रधान मन्त्री कार्यालय की इस पहल से पूर्व ही माननीय मुख्यमन्त्री के निर्देशानुसार व्यवस्था व प्रक्रिया दोनों को चुस्त-दुरूस्त कर लिया गया है। इन सभी पहल बिन्दुओं को प्रचार प्रसार के पंख मिले इसके लिए लोक सम्पर्क विभाग, इलैक्ट्रानिक व प्रिंट मिडिया की बडी भूमिका है व इसका भी उपयोग किया जा रहा है विभागीय सचिव व प्रवक्ता दोनो ने इसकी भी जानकारी दी।