देहरादून : देश के सबसे भ्रष्ठ प्रदेश का नाम है उत्तराखंड। इस प्रदेश का जन्म 2000 में हुआ और तब से जो हुआ वो हमारा घिनोना इतिहास बन गया। उत्तराखंड जन परिषद के सक्रीय कार्यकर्त्ता अमित तोमर ने बताया की आज उत्तराखंड के हालात बहुत नाज़ुक है।
16 साल में उत्तराखंड ने 7 मुख्यमंत्री और 2 भाजपा और 2 कांग्रेस सरकार देखी। उत्तराखंड शायद एक मात्र ऐसा प्रदेश होगा जहां हर कंकड़-पत्थर को पलटते ही नेता निकलते है। यदि तथ्यों ही बात करू तो हमारी देवभूमि अध्यात्म की जननी है, 4 धाम, माँ गंगा और माँ यमुना का उद्धगम, राष्ट्रीय उद्यान, हर नल में मिनरल वाटर, हर घर में देव -ऐसी है हमारी देवभूमि।
उत्तराखंड से यदि हिमाचल प्रदेश की तुलना करे तो हिमाचल प्रदेश किसी भी प्रकार उत्तराखंड के आसपास भी नही आता। परंतु यह सत्य है आज हिमाचल प्रदेश विश्व में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा है और उत्तराखंड रोटी, पानी, बिजली और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है।व्यापार हो या पर्यटन, हिमाचल प्रदेश भारत के किसी भी बड़े राज्य को चुनौती दे रहा है और वही दूसरी ओर हमारी पवित्र देवभूमि अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही है। हिमाचल के पहाड़ हर वर्ष अरबों का व्यापार कर रहे है और हमारे पहाड़ उजड़ रहे है। गाँव खाली हो गए है। गढ़वाल अब देहरादून में और कुमाऊं अब हल्द्वानी में बस चुका है।
पर ऐसा हुआ क्यों ?
जिस उत्तराखंड को पाने के लिए हज़ारों भाई-बहन शहीद हुए उनके सपनों का उत्तराखंड कहाँ है?
जवाब है इस देवभूमि को राजनीती खा गयी। कोई भी राजनैतिक संगठन क्यों ना रहा हो उसने कभी बंजर पहाड़ की सुध नहीं ली। मासूम लोग दवाई-खाने को भी तरसने लगे। पलायन इस कदर हुआ की नेताओं के चेलों की प्रॉपर्टी डीलर फ़ौज ने पूरा उत्तराखण्ड ही बेच डाला। खनन, भूमि, वन, पानी, बिजली और यहां तक की शहीदों की सहादत की भी जमकर दलाली की गयी। उत्तराखंड में 7 में से 6 मुख्यमंत्री तो पहाड़ी बन गए पर उनकी लगाम उनके आकाओं ने ही थामे रखी। आज आलम यह है की उत्तराखंड के पहाड़ आज मातम में डूबे है। वन माफिया से बचे हुए देवदार और चीड़ के पेड़ आपस में कानाफूसी कर उत्तराखंड की दलाल सरकारों को कोसते है। माँ गंगा और माँ यमुना अपनी छाती पर होते खनन माफिया के हमलों से भयभीत है, मासूम पहाड़ की जनता छत और नमक को मोहताज़ पर इस प्रदेश में कुकुरमुत्ते नेताओं को केवल दलाली से वास्ता है देवभूमि या उसके लोगो से नही।
हे मेरी माँ देवभूमि उत्तरांचल, मैं शर्मिंदा हूँ और बेबस भी।
amit ji Jo bhi kr rhe hai bo
SB bo apne dharm aur Sanskriti ke liye kr rhe hai
mujhe proud hai unpe ke bo Hindu dharm m janme
Amit ji aap best ho
i like your work
m acche se janta hu Amit ji apne liye kuch nhi kr rhe bo apne dharm aur Hindu Sanskriti ke liye bne hai