मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद् ,चंडीगढ़ : सावन 1 अगस्त से 29 अगस्त तक रहेगा। पहली अगस्त से श्रावण का कृष्ण पक्ष आरंभ हुआ है। इसलिये श्रावण मास का पहला सोमवार अगस्त की 3, को पड़ा तथा शेष 10,17 ,24 तारीखों को होंगे। सावन का अंतिम दिन 29 अगस्त को राखी के पावन पर्व पर होगा।
इस मास के सोमवार पर उपवास रखे जाते हैं। कुछ श्रद्घालु 16 सोमवार का व्रत रखते हैं। श्रावण मास के मंगलवार के व्रत को मंगला गौरी व्रत कहा जाता है। जिन कन्याओं के विवाह में विलंब हो रहा है, उन्हें सावन के महीने में मंगला गौरी का व्रत रखना फलदायक रहता है। सावन के महीने में सावन शिवरात्रि और हरियाली अमावस का भी अपना अलग महत्व है।
कैसे करें पूजन?
श्रावण के किसी सोमवार ,प्रात: और सायंकाल स्नान के बाद, शिव परिवार की पूजा करें । पूर्वामुखी या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके , आसन पर बैठ कर , एक ओर पंचामृत, अर्थात दूध, दही,घी, शक्कर,शहद व गंगा जल रख लें । शिव परिवार को पंचामृत से स्नान करवाएं। फिर चंदन , फूल, फल,सुगंध,रोली व वस्त्र आदि अर्पित करें । शिवलिंग पर सफेद पुष्प, बेलपत्र, भांग, धतूरा ,सफेद वस्त्र व सफेद मिष्ठान चढ़ाएं । गणेश जी को दूर्वा यानी हरी घास, लडडू या मोदक व पीले वस्त्र अर्पित करें । भगवान शिव की आरती या शिव चालीसा पढ़ें । गणेश जी की आरती भी धूप दीप से करें । शिव परिवार से अपने परिवार की सुख समृद्घि की प्रार्थना करें ।
महादेव की स्तुति दिन में दो बार की जाती है। सूर्यादय पर ,फिर सूर्यास्त के बाद। पूजा के दौरान 16 सोमवार की व्रत कथा और सावन व्रत कथा सुनाई जाती है। पूजा का समापन प्रसाद वितरण से किया जाता है।
किस समस्या के लिए कौन से मंत्र करें ?
आज के आधुनिक युग में जहां हर कोई ,किसी न किसी दुख से त्रस्त हेेेै, सावन में विशेष प्रयोगों, मंत्रों व साधनाओं से अभीष्ट फल प्राप्त कर सकते हैं। न्यून परिश्रम से ही इस विशेष मास में हमें अधिकतम लाभ होने की पूर्ण संभावना रहती है।
इस मंत्र का जाप अत्यंत उपयोगी माना गया है-
!! ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्जवलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम !!
अन्यथा आप साधारण एवं सर्वाधिक सर्वप्रिय पंचाक्षरी मंत्र ‘ओम् नम: शिवाय ’ और गणेश मंत्र ‘ओम् गं गणपतये नम:’ का जाप करते हुए सामग्री चढ़ा सकते हैं ।
हम यहां कुछ अन्य साधारण मंत्र भी दे रहे हैं जिन्हें आप विभिन्न समस्याओं के लिए जप सकते हैं।
विलंबित विवाह के लिए-
ओम् ऐं हृृीं श्रीं विवाह बाधा निवारणाय नम: !
या
ओम् ऐं हृृीं श्रीं विवाह बाधा निवारणाय भवोद्भाव नम:!
व्यापार में वृद्घि-
ओम् व्यापारं वर्धय शिवाय नम: !
कुमार्गी संतान के लिए-
ओम् पुत्रान् देहि पशुपतये ओम् नम: !
विद्या में कमजोर छात्रों के लिए-
ओम् भवाय विद्यां देहि देहि ओम् नम:!
रोग ग्रस्त व्यक्ति के लिए-
ओम् ह्वौं जूं स: मृत्युजंयाय फट् !
धन प्रािप्त के लिए-
ओम् श्रीं श्रीययै शिव कुबेराय श्रीं ऊनम:!
मनोकामना पूर्ति के लिए-
ओम् मं महादेवाय मनोवांछितं सिद्घये ओम् नम:!
पति- पति के मध्य क्लेष समापन हेतु-
ओम् गृहस्थ सुख सिद्घये रुद्राक्ष नम:
परिवार कल्याण एवं सुख समृद्घि हेतु-
ओम् रं रुद्राय शिवाय सर्वभद्राय ओम् नम: !
सावन में कौन सी चंद्र राशि वाले भगवान शिव को क्या करें अर्पण ताकि अधिकतम लाभ मिले ?
मेष- जल में गुड़ डाल कर करें अभिषेक करें और मीठी रोटी का भोग लगाएं। लाल चंदन या कनेर या लाल पुष्प अर्पित करें !
बृष- दही अर्पित करें । सफेद चंदन, सफेद फूल और अक्षत चढ़ाएं।
मिथुन- गन्ने का रस अभिषेक हेतु अत्यंत फलदायी है।दूर्वा अर्थात हरी घास या कुशा व हरी मंूग की दाल अर्पित करें।
कर्क- शुद्घ घी से अभिषेक तथा कच्चा दूध चढ़ाएं।
सिंह- गुड़ मिश्रित जल से अभिषेक करें और गेहूं चढ़ा सकते हैं।खीर का अर्पण भी मान्य है।
कन्या- गन्ने के रस से अभिषेक करें और दूर्वा, पान या भांग के पत्ते चढ़ा सकते हैं।
तुला- इत्र, सुगंधित जल या तेल , सेंन्ट आदि से अभिषेक करें अैर शहद , दही अर्पित करें ।
वृश्चिक- पंचामृत का अभिषेक कल्याणकारी कहा गया है। लाल पुष्प अर्पित करें ।
धनु- केसर या हल्दी युक्त दुग्ध से अभिषेक के बाद गेंदे या पीले फूल चढ़ाएं।
मकर- नारियल जल का अभिषेक श्रेष्ठ है। उड़द दाल से निर्मित मिष्ठान या काले मांह भी चढ़ा सकते हैं।नील कमल अर्पित करें ।
कुंभ- तिल के तेल से शिवलिंग को स्नान करा के उड़द से निर्मित मीठी वस्तु का भोग लगाएं। शमी का फूल चढ़ाएं।
मीन- केसर युक्त दुग्ध से स्नान कराएं तथा पीली सरसों या नाग केसर अर्पित करें ।गेंदे के फूल चढ़ा सकते हैं।
विशेष: एक आधुनिक नवीनतम विचार धारा के अनुसार शिवलिंग पर दूध चढ़ा कर उसे नष्ट करने की बजाय जरुरत मंद लोगों के मध्य वितरित किया जाना चाहिए। कुछ धार्मिक संस्थानों व संस्थाओं ने इसका प्रावधान किया है ताकि अर्पित किया गया दूध एवं सामग्री प्रसाद के रुप में ही बांटी जाती है और उसका दुरुपयोग नहीं होता। चढ़ाया गया समस्त दूध एक स्थान पर एकत्रित हो जाता है और उसका वितरण सही ढंग से किया जाता है जिससे धार्मिक कृत्य भी संपन्न हो जाता है और दूध का सही उपयोग भी हो जाता है। आप भी इसका अनुसरण कर सकते हैं।
आने वाले विशेष पर्व
10 अगस्त- कामिका एकादशी
17 अगस्त- मधुश्रवा हरियाली सिंघारा तीज
20 अगस्त- नागपंचमी
26 अगस्त- पवित्रा एकादशी
29 अगस्त- श्रावण पूर्णिमा एवं रक्षा बंधन का शुभ समय दोपहर 1 बजकर 50 मिनट के बाद
विशेष: शुक्र 5 अगस्त से 20 अगस्त तक अस्त रहेगा और गुरु 12 अगस्त से 7 सितंबर तक अस्त रहेगा। इस अवधि में विवाह जैसे मांगलिक कार्य शुभ नहीं माने जाते। इस लिए पहली अगस्त के बाद विवाह के मुहूर्त 14 अक्तूबर से ही आरंभ होंगे।