गिव-इट-अप योजना से मिल रही राशि का उपयोग प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में किया जा रहा है। इस योजना में गरीबी रेखा के जीवन यापन करने वाले परिवारों के लोगों को गैस कनेक्शन दिया जा रहा है।
अगर गरीबों को ध्यान में रखकर कोई काम शुरू किया जाए तो उसकी सफलता की गति कितनी हो सकती है ये प्रधानमंत्री के गिव-इट-अप के लिए की गई अपील से साफ हो जाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस कार्यक्रम को 27 मार्च 2015 को शुरू किया था। योजना में स्वेच्छा से एलपीजी सब्सिडी छोड़ने की अपील की गई थी और अपील का असर भी दिखा। एक साल पूरा होते-होते गरीबों के कल्याण के इस अभियान में 1 करोड़ से ज्यादा देशवासी जुड़े चुके हैं। इस कैंपेन की सफलता से सरकार की झोली में 5 हज़ार 178 करोड़ रुपए आए हैं।
सरकार चाहती है कि गैस सब्सिडी का फायदा उन गरीबों को मिले जो इसके असल हकदार हैं। सबसे पहले योजना की बात करें तो अब तक 15 करोड़ 39 लाख लोग इस योजना का लाभ ले रहे हैं। योजना में एलपीजी गैस सिलेंडर की सब्सिडी उपभोक्ता के बैंक में जमा हो रही है। इसके अलावा गिव-इट-अप योजना से मिल रही राशि का उपयोग प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में किया जा रहा है। उज्ज्वला योजना के तहत बीपीएल परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन, गैस चूल्हे के लिए 990 रुपए दिए जा रहे हैं। योजना का लक्ष्य तीन साल में 5 करोड़ परिवारों को लाभ पहुंचाना है।
योजना के तहत गैस कनेक्शन महिलाओं को ही दिया जाएगा और सब्सिडी का लाभ भी महिलाओं को ही मिलेगा। इसके लिए 2,000 करोड़ आवंटित किए गए हैं। पूरी योजना के लिए कुल 8 हज़ार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
एनडीए सरकार की इस योजना से उन 14 राज्यों को सीधा फायदा होगा जो एलपीजी कनेक्शन के मामले में राष्ट्रीय औसत से पीछे हैं। इस योजना का एक और बड़ा मकसद है सेहत। दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकंड़ो के मुताबिक रसोई में चुूल्हे से निकलने वाले धुएं के कारण हर साल 5 लाख महिलाओं की मौत हो जाती है। जलते चूल्हे के पास एक घंटा बैठना 400 सिगरेट पीने के बराबर हानिकारक है। इस योजना से सीधा लाभ महिलाओं को होगा और उनका स्वास्थ्य सुधरेगा।
इसके अलावा योजना से पर्यावरण को भी लाभ होगा। गिव इट अप कार्यक्रम के तहत जिन लोगों ने एलपीजी सब्सिडी छोड़ी है वे एक साल बाद फिर से इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।