डाॅ0 हेमन्त कुमार चन्द्रचूड़ : 12 वर्षीय सन्नी एक हंँसमुख, भावुक और शर्मीले स्वभाव का बच्चा है। यह देखने में गोल-मटोल, चपटा चेहरा, आँखें तिरछी, पलकें छोटी और चैड़ी, इसकी ऊँगलियाँ छोटी हैं और इसके पैर के तलवे सपाट हैं। इसकी माँसपेशियों ढ़ीली -ढ़ाली और कमजोर है। इसका मानसिक विकास करीब पाँच-छह साल के बच्चे के अनुकूल है। इसे संगीत एवं नृत्य से विशेष लगाव है। गाने की धुन सुनकर यह अनायास थिरक उठता है।
ऊपर के उदाहरण में सन्नी एक डाउन सिंड्रोम बच्चा है। डाउन सिंड्रोम बोद्धिक क्षति अथवा मानसिक निःशक्तता की एक स्थिति है। सर्वप्रथम सन् 1866 ई0 में डाॅ0 लैंग्डन डाउन ने इसका पता लगाया था।
प्रत्येक व्यक्ति में 23 जोड़े यानी 46 गुणसूत्र (क्रोमोसोम) पाए जाते हंै। बच्चा देखने में और उसका स्वभाव कैसा होगा, ये बातें गुण सूत्र पर ही निर्भर करता है। गुणसूत्रों में असंतुलन अथवा दोषपूर्ण होने की वजह से गर्भ में पल रहे शिशु का सही विकास नहीं हो पाता है। डाउन सिंड्रोम गुणसूत्र संबंधी एक विकार है, जिसमें 21वंे जोड़े गुणसूत्र में एक अतिरिक्त गुण सूत्र जुड़ जाता है यानी त्रयी (ट्रायसोमिक) हो जाता है। तब, व्यक्ति मंे कुल गुणसूत्रों की संख्या 46 (23 युगल) की बजाय 47 (22 युगल और एक त्रयी) हो जाता है। इसे ‘ट्रायसोम-21’ मंगोलियन भी कहा जाता है।
विशिष्ट लक्षण/पहचानः
आम तौर पर डाउन सिंड्रोम बच्चों मंे निम्नलिखित प्रमुख लक्षण देखे जाते हैं-
ऽ जन्म के समय बच्चा बेढंगा और कमजोर दिखता है। इसकी माँसपेशियां ढीली-ढाली होती है।
ऽ इन बच्चों की त्वचा रूखी होती है। आँखें ऊपर की ओर उठी हुई अथवा भोंगापन लिए हुए होती है। पलकें छोटी और चैड़ी होती है। कान प्रायः छोटे होते हैं। नाक छोटा और चिपटा होता है। मुँह प्रायः खुला हुआ , तालू ऊँचा और शंकरा , जीभ छोटी और चैड़ी होती है। गर्दन छोटी और मोटी होती है। हाथ छोटे, हथेलियां मोटी और ऊँगलियां भी मोटी होती है। पैर का तलवा सपाट होता है एवं अंगूठा और उसके बगल की ऊँगली के बीच की दूरी अधिक होती है।
ऽ बच्चा अन्य सामान्य बच्चों की तुलना में करवट लेने, बैठने, खड़ा होने, चलने, बात करने अथवा समझने में सुस्त होता है।
ऽ इन बच्चों की बुद्धिलब्धि (आई0क्यू0) 50 के आस पास होती है। 10 प्रतिशत डाउन सिंड्रोम बच्चों की बुद्धिलब्धि 50 से ऊपर रहती है। वही आई0क्यू0 आमतौर पर 25 से 56 होती है।
स्वभाव:
डाउन सिंड्रोम बच्चे बचपन से ही हँसमुख, भावुक और शर्मीले स्वभाव के होते हैं। ये संगीत-गीत एवं नृत्य में अभिरूचि रखते हैं। इनकी मांसपेशियां लचीली होने की वजह से ये जिम्नास्टिक जैसे खेल पसंद करते हैं।
बीमारी की संभावना ः
इस तरह के बच्चों में जन्मजात हृदय एवं पाचन क्रिया संबंधी रोग की संभावना प्र्र्रबल होती है। सामान्य बच्चों की तुलना में इन्हें बड़ी जल्दी शर्दी, श्वासनली शोथ, न्यूमोनियां तथा अन्य संक्रामक रोग हो जाती है।
जनसंख्या में व्यापकता:
सामान्य जनसंख्या में डाउन सिंड्रोम बच्चे होने की संभावना 800 में से 1 होती है। यदि माँ की उम्र 15-19 वर्ष के बीच हो तो 1050 में 1 और यदि माँ की आयु 45 वर्ष से अधिक हो तो 50 में से 1 की संभावना रहती है।
माता-पिता क्या करें?
ऽ यदि प्रथम बच्चा डाउन सिंड्रोम हो अथवा माँ की आयु 35 वर्ष से अधिक हो रहा हो तो अगले बच्चे के लिए माता-पिता विशेषज्ञ से जेनेटिक काॅंन्सलिंग एवं जाँच कराएँ। गर्भवती माताआों के अजन्में बच्चे में विकार है अथवाा नहीं, इसके बारे में जानकारी के लिए विशेषज्ञों के द्वारा कई तरीके अपनाए जाते हैं जैसे – ड्यूल टेस्ट, ट्रिपल टेस्ट, कोरियन वाइलस सैंपलिंग, एम्नीयो- सेंटिसिस, अल्ट्रा सोनोग्राॅफी इत्यादि। इन परीक्षणों के बाद सही समय में उचित निदान किया जा सकता है।
ऽ माता-पिता या अभिभावक को ज्योंहि बच्चे में ऊपर दिए गए लक्षणों के होने का आभास हो तो तुरन्त किसी योग्य चिकित्सक अथवा पुनर्वास विशेषज्ञ जैसे स्पेशल एजुकेटर/ फिजियोे थेरापिस्ट/आँकूपेशनल थेरापिस्ट/स्पीच थेरापिस्ट आदि की सलाह लें और उनके द्वारा दिए गए निर्देशों का अनुपालन करें।
ऽ डाउन सिंड्रोम कोई रोग अथवा बीमारी नहीं है बल्कि एक स्थिति है। अतः इसका एक मात्र निदान बच्चे के कार्यक्षमता के अनूकूल शिक्षण और प्रशिक्षण है, यह बात हमेंशा याद रखें।
ऽ डाउन सिंड्रोम सामान्य बच्चे की तुलना में जल्दी बीमार पड़ते हैं। अतः जैसे ही बच्चे के गले में खराबी , कान व आँख में दर्द अथवा तेज खाँसी हो तो तुरन्त चिकित्सक के पास ले जाएँ। बच्चे कोे संक्रामक रोगों से बचाकर रखें। निश्चित समय पर टीकाकरण अवश्य कराएँं।
ऽ याद रखिए शीघ्र उपचार और प्रारंभिक-हस्तक्षेप ही शीघ्र निदान है। अतः ज्योंही बच्चे की पहचान हो जाए कि बच्चा डाउन सिंड्रोम है तो उसका प्रशिक्षण पुनर्वास विशेषज्ञों की देख-रेख में जल्द से जल्द शुरू कर देना चाहिए।
ऽ ऐसी धारणा है कि ‘‘उम्र बढ़ने के साथ-साथ डाउन सिंड्रोम बच्चे ठीक हो जाएंगे।’’ इन बच्चों के विकास में बाधक साबित होते हैं अतः उनका तुरन्त प्रशिक्षण शुरु कर दें।
ऽ इन बच्चे को ऐसे खेलों में भााग नहीं लेने देें जिसमें अधिक शारारिक जोर लगे अथवाा गरदन में झटका लगने का भय रहता हो। कला-वाजियांँ विशेष तौर पर खतरनाक है।
ऽ डाउन सिंड्रोम को पूर्व जन्मों का पाप न समझें, बल्कि इसे स्वीकार करें।
ऽ डाउन सिंड्रोम को भूत-प्रेत, डाइन, ओझा इत्यादि का चक्कर न मानें। ऐसे बहुत से बच्चे के माता-पिता उचित प्रशिक्षण देने के बजाय झाड़-फँूंक, ओझा-गुणी इत्यादि के चक्कर में फंसकर इन बच्चों के विकास में बाधक बनते हैं।
ऽ शादी डाउन सिंड्रोम का निदान नहीं है। अतः शादी करने से पूर्व निश्ंिचत हो लें कि क्या आपका लाडला अपने वैवाहिक और पारिवारिक दायित्व के निर्वाह करने में सक्षम हैं? भावुकता की जगह विवेक से काम लंें।
ऽ बच्चे को यदि मिर्गी का दौरा आता हो तो बिना किसी देरी किए विशेषज्ञ चिकित्सक से जांँच कराएँं एवं उनके निर्देशानुसार नियमित दवा का उपयोग करें। किसी झोले-छाप डाॅक्टर के चक्कर में न फँंसे।
ऽ डाउन सिंड्रोम बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ खेलने को प्रेरित करें।
ऽ ऐसा कोई भी व्यवहार डाउन सिंडोम बच्चे के साथ न करें, जो उनके अन्दर हीन भावना पनपने में मदद करें। एक डाउन सिंड्रोम बच्चे की तुलना एक सामान्य बच्चे से कतई न करें।
ऽ दैनिक क्रियाएँं जैसे खाने-पीने, शौच, ब्रश, स्नान, कंघी इत्यादि बच्चे स्वंय कर सकें इसके लिए प्रेरित करें। इसे अधिकतम मौका दें, इन्हें इन कार्यों में कम से कम सहयोग दें। जहाँं सहयोग बहुत जरूरी हो।
ऽ माता-पिता को चाहिए कि अपने डाउन सिंडोम बच्चे को भी छोटी-छोटी जिम्मेदारियों को सौपंे। अपने जिम्मेदारियों के प्रति सजग बनाएं। उनसे घरेलु कार्यों जैसे झाड़ू लगाना, विस्तर बिछाना, कुर्सियों को व्यवस्थित करना, कपड़े साफ करना, जग-ग्लास में पानी भरना इत्यादि कार्यों में उसके क्षमतानुसार मदद प्राप्त करें।
ऽ डाउन सिंड्रोम बच्चों में सीखने की गति काफी धीमी होती है। अतः इन्हें किसी भी गति विधि से छोटे-छोटे टुकड़े में बांँटकर सीखाएं। किसी चमत्कार की उम्मीद न रखें।
ऽ घर में दैनिक प्रयोग में आने वाली सामान्य वस्तुएं जैसे फलों, शब्जियांँ, अनाज, मसाले, बर्तन, कपड़े, फर्नीचर इत्यादि की पहचान और उसकी उपयोगिता के बारे में बच्चे को बताएं ताकि उसका शब्दकोष बढ सके।
ऽ अपने आस-पास की गति विधियाँं जैसे शादी-विवाह, जन्मदिन पार्टियांँ, सार्वजनिक स्थलों, धार्मिक स्थानों , शाॅपिंग इत्यादि में डाउन सिंड्रोम बच्चों को भी सहभागी बनाएंँ।
ऽ डाउन सिंड्रोम बच्चों के लिए सरकारी योजनाएं एवं सुविधाएंँ उपलब्ध हैं जैसे- रेलवे रियायती पास, बस पास, निःशक्तता पेंशन, निरामया स्वास्थ्य बीमा, ज्ञान प्रभा छात्रवृति इत्यादि। कृपया इसका लाभ उठाएं।
ऽ वर्तमानन में सभी सरकारी विद्यालयों में समावेशी शिक्षा के तहत सभी विशेष आवश्यकता वाले बच्चों जैसे डाउन सिंड्रोम (मानसिक निःशक्त) बच्चों आदि के लिए स्पेशल एजुकेटर की सुविधा उपलब्ध करायी गई है अतः यदि आपका बच्चा दैनिक क्रियाएंँ जैसे शौच, ब्रस, स्नान, कपड़े पहनना इत्यादि गतिविधियों को कर पाने में सक्षम है जो अपने पास के सामान्य विद्यालयों मंे उसका नामंाकन अवश्य करवाएंँ।
ऽ अगर आपका बच्चा विद्यालय/विशेष विद्यालय जाने योग्य है तो उसे सामान्य बच्चों की तरह ही समय पर तैयार कर विद्यालय भेजें। विद्यालय में उसकी नियमित उपस्थिति हो, इसका ख्याल रखें।
ऽ किशोरावस्था एवं युवावस्था में डाउन सिंड्रोम बच्चों में कई लैंगिक समस्याएं ,यौन शोषण, आदि देखने को मिलती है क्योंकि इनमें यौन संबंधी जानकारी की कमी होती है। अतः माता-पिता को इस स्थिति में विशेष सजग होने की जरूरत है। किशोरावस्था शुरू होने से पहले ही अपने डाउन सिंड्रोम लड़कों को भी यह बताना शुरू करें कि उनके शरीर में कई स्वाभाविक बदलाव आएंगे, इन सभी बदलावों की सही जानकारी दें।
ऽ माता-पिता/अभिभावक बच्चे के प्रथम शिक्षक होते हैं। बच्चों के विकास एवं शिक्षण-प्रशिक्षण मेें इनकी अहम भूमिका होती है। अतः असीम धैर्य, प्यार और सावधानी के साथ अपने बच्चे को शिक्षा दें व विशेषज्ञों से नियमित परामर्श एवं सहयोग लेते रहें।
बच्चे के सर्वांगीण विकास हेतु कहां सम्पर्क करें!
यांे तो केवल डाउन सिंड्रोम बच्चों के लिए कोई विशेष संस्थान नहीं है परन्तु बौद्धिक क्षति अथवा मानसिक निःशक्त बच्चों के शिक्षण -प्रशिक्षण एवं पुनर्वास कार्य में संलग्न सभी संस्थाएं , विशेष विद्यालय अथवा पुनर्वास केन्द्रों में डाउन सिंड्रोम बच्चों के भी शिक्षण-प्रशिक्षण एवं पुनर्वास दिए जाते हैं।
चण्डीगढ़ प्रशासन द्वारा संचालित बौद्धिक क्षति वाले बच्चों के लिए राजकीय पुनर्वास संस्थान (जी0आर0आई0आई0डी0) जो कि सैक्टर 31, चण्डीगढ़ में स्थित है और बौद्धिक क्षति (मानसिक निःशक्त) बच्चों के शिक्षण-प्रशिक्षण एवं पुर्नवास कार्यों में वर्षों से सक्रिय है, यहाँ डाउन सिंड्रोम बच्चों के लिए निम्नलिखित सुविधाएंँ उपलब्ध कराए जाते हैंः-
ऽ ओ0पी0डी0 एवं संवद्ध रोग जैसे मिर्गी आदि का इलाज।
ऽ प्रारम्भिक पहचान एवं हस्तक्षेप
ऽ तीन से छह आयु वर्ग के विकासात्मक विलंबित (Developmental delay) बच्चों के लिए विशेष शिक्षा एवं समावेशन ।
ऽ 18 वर्ष तक के डाउन सिंड्रोम बच्चों के लिए विशेष शिक्षा।
ऽ 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के डाउन सिंड्रोम वयस्कों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसे- कैंडल मेकिंग, कारपेंट्री, बुक बाइंडिंग, मसाला मेकिंग एवं पैकिंग, पोट्री इत्यादि।
ऽ स्पीच थेरापी
ऽ फिजियो थेरापी
ऽ आॅकूपेशनल थेरापी
ऽ समयात्मक व्यवहार वाले बच्चों के लिए व्यवहार सुधार कार्यक्रम।
ऽ बुद्धिलब्धि (आई.क्यू.) जाँच एवं प्रमाण पत्र इत्यादि।
विशेष जानकारी के लिए संस्थान के दूरभाष संख्या- 0172-2637361 पर सम्पर्क किया जा सकता है।