By Neeraj Joshi : भारत की आजादी की लड़ाई का भारत के इतिहास में बहुत महत्व है, जब हम अंग्रेजी शासन के अधीन थे तो १३ अप्रैल सन् १९१९ को अंग्रेजों के एक सेनापति जनरल ओ डायर ने अमृतसर के जलियांवाला बाग में करीब २० हजार निहत्थे क्रांतिकारियों की सभा में अंधाधुंध फायरिंग की जिसमें करीब दो हजार क्रांतिकारी शहीद हुए थे| बाद में उसी मीटिंग में शामिल एक भारतीय नौजवान स्व उधम सिंह ने इस हत्याकांड का बदला लेने की सौगन्ध खाई और इसी चरण में लंदन जाकर एक भरी सभा में जनरल ओ डायर की गोली मारकर हत्या कर दी और स्वयं गिरफ्तारी देकर फांसी के फंदे को गले लगा लिया| लेकिन आजादी के बाद बने देश के इस स्वरूप से नाखुश उधम सिंह ने आजादी के ६७ साल बाद अपने जन्मदिन २६ दिसंबर के दिन मेरे सपने में आकर जो कुछ कहा उसे मैं अपनी सबसे नवीनतम कविता के रूप में आप सबके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूँ :-
रात को ड्यूटी पर था तैनात, सुबह में थक कर के घर आया था,
गहरी नींद पड़ी थी मुझको, मदमस्त हुआ सा सोया था।
दिसंबर २६ थी तारीख तब, उधम सिंह सपने में मेरे आया था,
देख के मुख उस क्रांतिवीर का, मैं खुद पर बहुत लजाया था।।
बोला मुझसे उधम सिंह और क्या बोला:-
बोला मुझसे अरे ओ कलंकी सुन ओ प्यारे, कैसे निर्लज्ज बना तू सोया है,
सोने सी भारत माता का तुमने, हाल ये कैसा बनाया है?
नित नए टैक्स लगते जनता पर, महंगाई निशिदिन बढती है,
चोर-उचक्के बिरयानी खाते, जनता भूखी मरती है।
भूख गरीबी का ताज पहनकर, चलता हर इन्सान है,
संसद पर जाने वाला, हर नेता ही जब बेईमान है।।
कटती है गौमाता अब भी पिंक रिजॉल्यूशन बढता है,
सीने पर नहीं दूध माता के, पिता आत्महत्या करता है।
निर्दोषों का हत्यारा था जो, वह डायर बना हर इन्सान है,
आतंकों की आग में जला देश अब, जलियांवाला बाग समान है।।
माताओं बहनों के लिए समर्पित चार पंक्तियाँ –
दहेज बिना बहू जलती प्यारी, चौराहे पर बिकती नारी,
टी. वी. के हर विज्ञापन में ही, भोग का साधन बनी है नारी,
कोई कहता वह अबला है कोई करता शील हरण है,
पश्चिमी सभ्यताओं के दलदल में अब, फंस गया पूरा भारत है।।
वीरों की ये पावन धरती, देशभक्त हर इन्सान था,
इसीलिए हर क्रांतिवीर को, देश पे मेरे अभिमान था।
दासता से मुक्त हो भारत माता, हर वीर का यही अरमान था,
उनकी गोष्ठी को डायर ने तब, टैंक का निशाना बनाया था।
देख के खून उन क्रांतिवीर का, आँखों में मेरे काल समाया था,
इसलिए जाकर लंदन मैंने, हत्यारे डायर को निशाना बनाया था।
देख के हालत भारत माँ की, हर क्रांतिवीर अब रोता होगा,
इसीलिए क्या फांसी का फंदा, हमने गले से लगाया था।।
भर आयीं थी आँखे उसकी आँसू बहते जाते थे,
आँखें पानी पानी हुई थीं फिर भी कहते जाते थे-
कायर नहीं तू वीर बहादुर और भारत माता का लाल है
गीता भी पढ वेद धर्म पढ लेकिन, हाथ में हथियार उठा,
लोकतंत्र के हत्यारों का, देश से अब तू बोझ घटा।।
।। जय हिंद।। वन्दे मातरम् ।।