नीरज कुमार जोशी : घर के पुराने सदस्य बताते है कि आज से करीब 25 से 30 साल पहले तक देश में अधिकतर परिवार संयुक्त परिवार हुआ करते थे, उस वक्त पैसे को एक सुख माना जाता था लेकिन धीरे-धीरे ग्लोबलाइज़ेशन हुआ, हम मॉर्डन बने और अब हम पैसे को एकमात्र सुख मानाने लगे ग्लोबलाईजेशन के साथ साथ हमारी पूरी लाइफ स्टाइल बदल गई अब हमने एकल परिवार में रहना शुरू कर दिया जमीन से जुड़ाव ख़त्म हुआ और लाइफ स्टाइल में आये इस परिवर्तन से स्वास्थ पर भी बुरा प्रभाव पड़ना शुरू हुआ जहाँ कुछ समय पहले तक हम कई बीमारियों से अनभिज्ञ थे वहीं आज इन बीमारियों के रोगियों की संख्या हमारे देश में सबसे ज्यादा है जैसे कैंसर, डायबीटीज, उच्च रक्त चाप-हार्ट अटैक जैसी तमाम बीमारिया, आज बेशक हम बहुत पैसा कम लेते हैं लेकिन हमारी ,मेहनत की कमाई का एक बड़ा हिस्सा तो डाक्टर के पास चला जाता है…….
लेकिन अगर आयुर्वेद के कुछ साधारण से नियमों का ध्यान रखा जाय तो हम न केवल अपनी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा बचा सकते हैं बल्कि अपना सम्पूर्ण जीवन सवस्थ औए निरोगी होकर जी सकते हैं यहाँ मैं अपने अनुभवों के साथ साथ उन नियमो में कुछ अति महत्वपूर्ण नियमों का संक्षिप्त विवरण दे रहा हूँ
सुबह उठकर बिना कुल्ला किये या बिना दांत साफ किये हल्का गरम पानी एक से चार गिलास तक घूँट-घूँट करके पीना चाहिए यानी उषा पान करे इससे पेट सम्बन्धी रोगों में लाभ मिलता है जैसे गैस, कब्ज, एसीडिटी, हाइपर एसीडिटी, अल्सर, पेप्टिक अल्सर, स्टोन और आँतों का कैंसर ……
फिर फ्रेश होने के बाद चाय के स्थान पर अर्जुन की चाल का काड़ा लेने पर ह्रदय सम्बन्धी रोगों में लाभ मिलता है और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है जिससे हम हार्ट अटैक जैसी बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं इसके साथ 50 मिलीग्राम से लेकर एक ग्राम चूने के पानी का घोल इस्तेमाल किया जा सकता है जिससे अस्थि रोगों में लाभ होता है साथ कैल्शियम मिलता है
सुबह भरपेट भोजन करने की आदत डालें क्योंकि इस वक्त सूर्य का प्रकाश रहता है जिससे भोजन का पाचन करने वाले हार्मोन ज्यादा पैदा होते हैं और हमारे सम्पूर्ण भोजन का पाचन हो जाता है जिससे शरीर को सम्पूर्ण पोषक तत्व मिलते हैं
खाना खाने के लगभग 48 मिनट पहले से लेकर खाना खाने के डेड घंटे बाद तक पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि इससे भोजन के पाचन में बाधा आती है और कब्जियत बढ़ती है और भोजन पचने के बजाय सड़ता है जिससे शरीर में करीब 148 बीमारियां आती हैं, जरुरत पड़े तो सुबह ताजा फल का रस, दोपहर मे छाछ और रात्रि मे गर्म दूध का उपयोग कर सकते हैं।
पानी हमेशा बैठ कर और घूँट-घूँट करके पीना चाहिए क्योंकि इससे हमारे मुंह की लार पानी के साथ मिलकर पेट में जाती है और चूँकि लार एल्केलाइन है और पेट में एसिड रहता है तो दोनों मिलकर न्यूट्रल हो जाता है जबकि गटागट पानी पीने से लार का पानी के साथ मिश्रण नहीं हो पता है कभी भी पानी खड़े-खड़े नहीं पीना चाहिए क्योंकि इससे आर्थराइटिस की समस्या बढ़ती है और खाने को इतना चबाये की पानी बन जाये। माने कि “खाने को पियो और पानी को खाओ”
कभी भी फ्रीज का ठंडा पानी, बर्फ डाला हुआ पानी नही पिये। हमेशा गुनगुना या मिट्टी के घड़े का पानी ही पिये क्योंकि ठंडा पानी शरीर की समस्त क्रियाओं को ठंडा कर देता है जिससे बीमारियां बढ़ती हैं और मनुष्य के ठंडा होने/ मरने का खतरा बाद जाता है
भोजन हमेशा सुखआसन मे बैठकर करे और ध्यान खाने पर ही रहे, मतलब टेलीविजन देखते, गाने सुनते हुए, पढ़ते हुए, बातचीत करते हुए कभी भी भोजन न करे।
फ्रीज़ मे रखा हुआ भोजन न करें क्योंकि फ्रिज में भोजन को ठंडा करने के लिए जो गैसें प्रयुक्त होती हैं वो अत्यंत विषैली और जानलेवा हैं।
गूँथ कर रखे हुये आटे की रोटी कभी न खाये, जैसे- कुछ लोग सुबह में ही आटा गूँथ कर रख देते है और शाम को उसी से बनी हुई चपाती खा लेते है जो स्वास्थ के लिए हानिकारक है। ताजा बनाए ताजा खाये।
खाना खाने के तुरंत बाद पेशाब जरूर करे ऐसा करने से डायबिटज होने की समभावना कम होती हैं
मौसम पर आने वाले फल, और सब्जियाँ ही उत्तम है इसलिए बिना मौसम वाली सब्जियाँ या फल न खाये।
रात को खीरा, दही और कोई भी ठंडी / वात उत्पन्न करने वाली चीज न खाये।
दही के साथ उड़द की दाल न खाये। जैसे- दही और उड़द की दाल का बना हुआ बड़ा।
दूध के साथ नमक या नमक की बनी कोई भी चीज न खाये। क्योंकि ये दोनों एक दूसरे के प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
कोई भी खट्टी चीज दूध के साथ न खाये सिर्फ एक खा सकते है आँवला। खट्टे आम का शेक न पिये केवल मीठे पके हुए आम का ही शेक पीये ।
कभी भी घी और शहद का उपयोग एक साथ न करे! क्योंकि दोनों मिलकर विष बनाते है।
रिफाइण्ड तेल जहर हैं आप हमेशा कच्ची घाणी का सरसो, तिल या मूगंफली का तेल ही उपयोग करे ।
तला, और मसालेयुक्त खाना खाने से बचे। अगर ज्यादा ही मन हो तो सुबह मे खाये रात मे कभी भी नहीं।
खाने मे गुड या मिस्री का प्रयोग करें, चीनी के प्रयोग स बचें। नमक का अधिक सेवन न करें। आयोडिन युक्त समुद्री नमक का उपयोग बिल्कुल भी नही करे! सेधां, काला या डली वाला नमक इस्तेमाल करें।
शाम के खाने के बाद 2 घंटे तक न सोये। 5 से 10 मिनट वज्रासन मे बैठे 1000 कदम वाक जरूर करें।
खाना हमेशा ऐसी जगह पकाया जाये जहां वायु और सूर्य दोनों का स्पर्श खाने को मिल सके। कूकर मे खाना न पकाए बल्कि किसी खुले बर्तन मे बनाए, क्योकि कूकर मे खाना उबलता है और खुले बर्तन के अन्दर खाना पकता हैं इससे खाने प्रोटीन मात्रा 93 प्रतिशत होती है और कूकर मे मात्र 13 प्रतिशत रहती है ।
एल्मुनियम के बर्तनो का प्रयोग खाना बनाने और खाने दोनों के लिए कभी भी न करें! पीतल, कासां, मिट्टी के बर्तन का ही उपयोग करें।
खाने को कम से कम 32 बार चबाये।
अपनी दोनों नासिकाओ मे देशी गाय के घी को हल्का गुनगुना करके 2-2 बुंद रात मे डालने से दिमाग तंदरुस्त रहता है। नजला जुकाम, सिर दर्द, माइगृेन, नींद नहीं आना, तनाव आदि समस्या का समाधान होता हैं ।